For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी  २२ २२ २२ २ 

इतनी ज्यादा बात न कर
वादों की बरसात न कर

टूट न  जाए नाजुक दिल,
उससे भीतरघात  न कर

ख्यात न हो, कुछ बात नहीं,
पर खुद को कुख्यात न कर

मानव तो बस मानव है,
ऊंची नीची  जात न कर

खुलकर गले न मिल पाए,
पैदा  वो  हालात  न कर

पास बैठ  सुलझा  मुद्दे
थप्पड़ घूँसा लात न कर

भारत, भारत ही अच्छा,

संस्कृति काआयात  न कर

 

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नन्दकिशोर दुबे on September 24, 2017 at 3:37pm
भाई bsntkumarjee बहु सुन्दर रचना ।
आनन्द आ गया ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2017 at 4:33pm
आ. भाई बसंत जी, हार्दिक बधाई ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 1:11pm

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी , आपके उत्तम सुझाव का दिल से स्वागत है, सुधार कर देता हूँ.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 19, 2017 at 1:07pm

आ. बसंत कुमार जी 
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई 
.
उससे भीतरघात  न कर...इससे  भीतरघात  न कर (दूर की चीज़ को उससे और क़रीब को इससे)
सादर 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 12:55pm

aआदरणीय Samar kabeer जी आपका अतिशय आभार , यूँ ही मार्गदर्शन करते रहिये सादर 

Comment by Samar kabeer on September 19, 2017 at 11:56am
जी,अब मिसरा ठीक है ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 9:51am

आदरणीय Mohammed Arif जी आपका तहे दिल से शुक्रिया इसे इस तरह किया है 

संस्कृति का आयात न कर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 9:50am

आदरणीय Samar kabeer जी मेरी रचना की त्रुटि  पर ध्यान आकर्षित करने के लिए आपका शुक्रिया , इसे ऐसे ख सकते हैं 

संस्कृति को आयात न कर , शायद ठीक लगे. 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 9:48am

आदरणीय Niraj Kumar जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:40am
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, अच्छे अश'आर । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की इस्लाह पर गौर करें । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service