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ग़ज़ल...हर कदम पर जह्न मेरा आजमाता कौन है-बृजेश कुमार 'ब्रज'

2122 2122 2122 212
वेदना के तार झंकृत,गीत गाता कौन है
दर्द की ये रागनी आखिर सुनाता कौन है

कौन है ये रात के आगोश में सिमटा हुआ
चाँदनी की ओट लेकर मुस्कुराता कौन है

बादलों के पार से आवाज थी किसकी सुनी
ओढ़कर घूँघट घटा का ये लजाता कौन है

गुँजतीं हैं आहटें खामोशियों को चीरती
हर कदम पर जह्न मेरा आजमाता कौन है

चल रही पुरवा बसन्ती मुस्कुरा कर झूमती
लेके थाली आरती की गुनगुनाता कौन है
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 3:42pm
आदरणीय शुक्ला जी आप लोग बड़े हैं..आपकी हर सलाह में कुछ न कुछ सीख ही होगी....सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 3:39pm
आदरणीय नीरज कुमार जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 3:39pm
आदरणीया सुनंदा जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार..सादर
Comment by Ravi Shukla on August 14, 2017 at 3:11pm

आदरणीय बृजेश जी हमारे कहे को मान देने के लिये आभार

Comment by Niraj Kumar on August 13, 2017 at 4:49pm

आदरणीय बृजेश जी, 

ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर 

Comment by sunanda jha on August 13, 2017 at 2:34pm
वाहहहहह आदरणीय बृजेश जी ,बहुत प्यारी ग़ज़ल लिखी आपने ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 10, 2017 at 7:58pm
जरूर आदरणीय गिरिराज जी..स्नेह बनाये रखें..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 10, 2017 at 7:56pm
आदरणीय समर कबीर जी आखरी शेर के लिए आपका सुझाव बहुत ही खूबसूरत है। और आदरणीय रवि शुक्ला जी के सुझाव भी शिरोधार्य हैं।अभी सुधार करता हूँ।आपके स्नेह के लिए ह्र्दयतल से आभार व्यक्त करता हूँ..सादर

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Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 7:01pm

आदरणीय बृजेश भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल हुई है ,  बधाइयाँ स्वीकार करें । गुणि जन उचित सलाहें दे ही चुके हैं , गौर कीजियेगा ।

Comment by Samar kabeer on August 10, 2017 at 6:45pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेड़ करता हूँ ।
चौथे शैर के ऊला मिसरे पर रवि जी का सुझाव अच्छा है ।

आख़री शैर के सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'थाल लेकर',सानी मिसरा ऐसे कर लें तो ये ऐब निकल जायेगा :-
'लेके थाली आरती की गुनगुनाता कौन है'

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