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मजदूरों की बस्ती में दो कँपकँपाती हुई आवाज़ें

“सुना है घर वापसी के 5 लाख दे रहे हैं”

“हाँ भाई मैं भी सुना”

“हम तो घर में ही रहते हैं, कुछ हमें भी दे देते”

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 10:06pm

वाह बहुत सुंदर कथा , किस कदर बेबसी को दर्शाया है आपने वो भी इतने कम शब्दों में , बहुत खूब आदरणीय सिज्जू जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 9:58am

आदरणीय सौरभ सर रचना पर विस्तृत टिप्पणी से मन हर्ष से भर गया, उस पर आपका अनुमोदन हौसला बढ़ा गया। आपका तहेदिल से शुक्रिया।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 9:55am

आदरणीय विनय कुमार सिंह जी आपने रचना को समय दिया मैं आपका तहेदिल से आभारी हूँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 9:54am

आदरणीया महेश्वरी जी रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार


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Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2015 at 7:22pm

अय हय ! अय हय ! क्या करारा, क्या सटीक !

वार्तालाप में एक के स्वर की बेबसी जिस मासूमियत से उभर कर आयी है कि मुँह से बरबस ’वाह’ निकल रहा है, शिज्जू भाईजी.  एक अनायास ही व्यापक हो गयी गयी या सायास व्यापक की गयी प्रक्रिया कितनी गहराई तक समाज को आंदोलित करती है, यह आपकी लघुकथा से ज़ाहिर है.

फ़ैज़ ने सही ही कहा है न - और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा ..
इस सशक्त लघुकथा पर दिल से बधाइयाँ

Comment by विनय कुमार on January 14, 2015 at 3:09pm

बहुत बेहतरीन लघुकथा , हार्दिक बधाई आपको ..

Comment by Maheshwari Kaneri on January 7, 2015 at 6:25pm

सुंदर लघुकथाआपको हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:31am

आदरणीय सोमेश जी आपका हार्दिक आभार। प्रवासियों के घर लौटने पर 5 लाख कौन देगा आप ही बतायें। आजकल किसको पड़ी ये जानने की कि देश में कौन है और विदेश में कौन। सबका अपना स्वार्थ हैं थोड़ा सा ज़ोर दिमाग को दें तो आप समझ जायेंगे।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:27am

आदरणीय हरिप्रसाद दूबे जी आपका हार्दिक आभार

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 10:23am

सुंदर लघुकथा है पर इसका सांकेतिक भाव समझ नहीं आया ,यहाँ घर वापसी धर्मांतरण के संद र्भ में है अथवा प्रवासियों के लौटने हेतु 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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