For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द का रिश्ता- लघुकथा

बहुत चहल पहल थी आज, अमूमन सप्ताहांत में थोड़ी भीड़ होती है लेकिन ऐसी भीड़ साल में दो ही दिन देखने को मिलती है, एक आज के दिन और एक मदर्स डे पर. शर्माजी एक कुर्सी पर बैठे हुए कुछ हमउम्र बुजुर्गों को देखते हुए सोच रहे थे, कुछ के चेहरे पर ख़ुशी, कुछ पर उम्मीद तो कुछ चेहरे निराश भी थे. कुछ लोग बाहर भी गए थे, उनके बच्चे ले गए थे आज के दिन को यादगार बनाने के लिए. अब बिना सेल्फी या साथ फोटो लिए भला कैसे सोशल मीडिया पर फादर्स डे मनता।
एक कार बाहर रुकी, मल्होत्रा जी उससे बाहर निकले और खड़े हो गए. उन्हें उम्मीद थी कि बच्चे उनको अंदर तक छोड़ने आएंगे लेकिन कार के अंदर से ही बाय करते बच्चे निकल गए. उनके चेहरे पर आयी कुछ सेकेंड पहले की मुस्कान अब उदासी में बदलने लगी.
"आईये मल्होत्रा जी, आज तो खूब मजा आया होगा बच्चों के साथ. ऐसे में यह उदासी अच्छी नहीं लगती", शर्माजी ने आवाज लगायी तो मल्होत्राजी उनकी तरफ आ गए.
"अरे कहाँ उदास हूँ, इतने दिन बाद बच्चों से मिला था तो जाते समय थोड़ा मन खराब हो गया. और आपके बच्चे नहीं आये अभी तक?, मल्होत्राजी ने जबरन मुस्कुराते हुए पूछा।
शर्माजी ने गहरी सांस ली और ऊपर देखने लगे, उनको तो आदत पड़ गयी है बिना बच्चों के इस दिन को बिताने की.
"आप नहीं जानते हैं मल्होत्राजी, हमारे बच्चे तो इस प्रदेश में ही नहीं रहते, कहाँ आएंगे आज के दिन. खैर मैं कुछ सोच रहा था, बताऊँ आपको?
मल्होत्राजी ने शर्माजी को देखा, चेहरे पर सवाल पूछने वाला भाव था.
"मैं सोच रहा था कि मैं भी आज फादर्स डे मनाऊँ, आप मेरे पिता की भूमिका निभाएंगे?, शर्माजी ने पूछा।
मल्होत्राजी एक बार तो चौंके, उसके बाद उठकर शर्माजी की तरफ बढ़े. कुछ देर तक दोनों एक दूसरे से लिपटकर खड़े रहे, दोनों के कंधे आंसुओं से भीग गए थे. बाहर गेट पर एक कार से किसी बुजुर्ग के लिए "हैप्पी फादर्स डे" की आवाज आ रही थी.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 373

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 21, 2020 at 10:31pm
इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब
Comment by Samar kabeer on June 24, 2020 at 2:43pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by विनय कुमार on June 23, 2020 at 1:08pm

इस विस्तृत और हौसला बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on June 23, 2020 at 9:21am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी। पितृ दिवस के अवसर पर आपने एक लाज़वाब लघुकथा रच डाली। वाह अति उत्तम। कुछ लोग ऐसे ही अपनी खुशियाँ तलाशते रहते हैं।खुशी अपने मन की एक आंतरिक अवस्था है।जिसे आपको खुद ही महसूस करना है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
4 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
6 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
24 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
26 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
31 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
36 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
38 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
42 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
44 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
52 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
52 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service