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Subhash Verma "सुखन भोगामी"
  • 51, Male
  • RUDRAPUR UTTARAKHAND
  • India
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Profile Information

Gender
Male
City State
Rudrapur Uttarakhand
Native Place
Mainpuri UP
Profession
PRINCIPAL - DEGREE COLLEGE
About me
Interested in Hindi- Urdu poetry & research work on tribal communities

बारिश और तबाही के मुताल्लिक एक ग़ज़ल-
........................................................

संभले तो बूंद बूंद से रहमत बरस पड़ी 
बिगड़े तो आप जानिए वहशत बरस पड़ी/

भेजी थी जो फ़लक पे वो दौलत बरस पड़ी 
लालच की, तरक्की की शरारत बरस पड़ी /

हम पर तो कायनात की लानत बरस पड़ी 
हुक्काम बड़े खुश हैं की ज़न्नत बरस पड़ी /

सूखे के दिए ज़ख्म अभी तक भरे न थे 
देखा की असमान से आफत बरस पड़ी/

कुदरत की नींद हमने मुसलसल हराम की 
जागी तो फिर दहाड़ के कुदरत बरस पड़ी /

मुल्कों में होड़ है तो फ़क़त शोहरतों की है
अब हाय हाय क्या ? कि जो शोहरत बरस पड़ी /

इल्मो-अदब के नाम के सब मर्द हिल गए 
कुदरत है जिसका नाम वो औरत बरस पड़ी/

जब भी कोई ज़ुबां से हक़ीक़त बयां हुई 
यारो "सुखन" के नाम पे तोहमत बरस पड़ी /
........................सुखन भोगामी

मज़हब, जमात, पंथ में बिखरे जुदा जुदा 
वो रब सभी का एक है सजदे जुदा जुदा !
गीता, कुरान, वेद कि गुरग्रंथ, बाइबिल 
कहना सभी का एक है मिसरे जुदा जुदा 
.....................................................

अब मोहब्बत की दुहाई मत दे 
मेरे ख्वाबों में दिखाई मत दे /
आके मिल मुझसे हक़ीक़त की तरह 
बनके अफ़साना सुनाई मत दे/
रफ़्ता-रफ़्ता ये मोहब्बत कम हो 
इतनी लम्बी भी जुदाई मत दे/
उम्र भर छू न सके तू जिनको 
इतनी ख्वाबों को ऊंचाई मत दे /
मुझको हर बात पता है तेरी 
अब तू बेकार सफाई मत दे/
जिनकी महफ़िल में नहीं कद्र "सुभाष" 
उनकी महफ़िल में दिखाई मत दे/

"मुस्काना आसान नहीं है "
-------------------------------
जब तक जाँ में जान नहीं है 
मुस्काना आसान नहीं है /
पूजी जाने वाली हर शय 
वाकई में भगवान नहीं है /
उस रिश्ते से चिढती दुनिया 
जो अपने दरम्यान नहीं है/
दुनिया कोसे, हम मर जाएँ ?
इतनी सस्ती जान नहीं है /

दफ़्न किये हैं खुद में खुद को 
किसमे कब्रिस्तान नहीं है? 
है 'सुभाष' नज़रों से ज़ाहिर 
वो इतना नादान नहीं है / 

........ सुभाष वर्मा 

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At 10:29am on January 4, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 7:32am on June 21, 2013, डॉ नूतन डिमरी गैरोला said…

आदरणीय सुभाष वर्मा जी .. आपको ओ बी ओ मे देख कर खासी खुशी हुई .... आशा है कि हम आपस मे एक दूसरे से गंभीरता पूर्वक साहित्यसृजन मे नया सीख सकें ... आपका सादर आभार 

At 10:31am on June 17, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

आदरणीय सुभाष वर्मा जी,

आपका ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में हार्दिक स्वागत है.

१५ के आयोजन में आपकी गरिमामय उपस्थिति और पारखी गुणग्राह्यता व साहित्यप्रेम नें हम सभी के हृदय नें आपकी प्रतिभा के प्रति एक विशिष्ट स्थान बनाया है.

हमें विश्वास है कि ओबीओ परिवार पर हम और आप आपकी साहित्य रचनाकर्मिता और समर्पण से परस्पर लाभान्वित होते रहेंगे.

सादर शुभेच्छाएँ 

At 11:17pm on June 16, 2013, आशीष नैथानी 'सलिल' said…

OBO परिवार में आपका हार्दिक अभिनन्दन आदरणीय सुभाष जी । 
आपकी गरिमामयी उपस्थिति मुझ जैसे नव-रचनाकारों को कुछ नव-सृजित करने में मददगार होगी, ऐसी आशा है ।
हार्दिक अभिवादन ।

 
 
 

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"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रोला छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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