For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

S. C. Brahmachari
  • Male
  • Lucknow, Uttar Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

S. C. Brahmachari's Friends

  • annapurna bajpai
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
 

S. C. Brahmachari's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Lucknow, Uttar Pradesh
Native Place
Gorakhpur
Profession
Retired Joint Director, Khanij Vibhag, U P Government

S. C. Brahmachari's Blog

सह विनाश या सह विकास

सह विनाश या सह विकास  

 

दुनियाँ

परमाणु बम पर बैठी हुयी है

बस एक हिट की –

ज़रूरत है ,

मनु – युग मे जाने की

ज़रूरत नहीं होगी

तब मालूम होगा

अस्तित्व

सह विनाश का ।

पर यदि

नयी उमर की  नयी फसल -

देखनी है

तो सम्राट अशोक को

फिर से

बुद्ध के शरण मे आना होगा

गांधी और किंग की भावनाओं को

अपनाना होगा

फिर कल – कारखानों से 

सुमधुर संगीत जो…

Continue

Posted on April 8, 2014 at 9:47pm — 5 Comments

चेतनाहीन

चेतनाहीन

 

मैं

एक सपेरा हूँ , मदारी हूँ

कश्मीर से कन्या कुमारी , और –

गुजरात से अरुणाचल तक

दिल्ली

मेरी पिटारी है ।

बंद हैं इसमे काले विषधर साँप , बंदर

पर अफसोस –

ये गाँधीवादी नहीं

इनके आँख , कान और मुंह

सभी बंद हैं

क्यूँ कि ये अवसरवादी हैं ।

मैं गाँधी

एक सपेरा , मदारी !

खड़ा बजा रहा हूँ बीन

पर , अफसोस –

ये चेतनाहीन हो गए से लगते हैं ।

-------…

Continue

Posted on April 4, 2014 at 9:30pm — 5 Comments

दिल तो दीवाना हुआ

दिल तो दीवाना हुआ

 

आपका इस घर मे कुछ इस तरह आना हुआ

ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।

मुझको तो मालूम न था आप यूं छा जाएँगे

रेशमी ज़ुल्फों मे मुझको , यूं छुपा ले जाएँगे । 

आपकी ज़ुल्फों मे खोये  सुबह का आना हुआ

ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।।

आप सावन की घटा हैं, या हैं फागुन की बहार ?

अब गले लग जाइए , मत देखिये यूं बार बार ।

नयन है मदहोश अब  तो प्यार पैमाना  हुआ

ऐसा लगता है यह घर है  आपका…

Continue

Posted on April 3, 2014 at 8:30pm — 6 Comments

चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?

चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?

 

तुम सुंदर हो , तुम भोले हो

नटखट तुम हो बहुत सलोने ।

रूठ - रूठ जाते क्यूँ मुझसे ?

छुप छुप कर बादल के कोने ।

तुम बादल से झांक झांक कर, अपना रूप दिखाते क्यूँ हो

चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?

मुझसे स्नेह नहीं है, मानूँ –

तुम छुप जाओ नज़र न आओ ।

चंद्र बदन ढँक लो तुम अपना

मेरी बगिया नज़र न आओ ।

आँख मिचौली खेल खेल कर, रह रह मुझे रिझाते क्यूँ हो

चाँद मुझे…

Continue

Posted on March 31, 2014 at 5:00pm — 8 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:02am on October 28, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

You are welcome Mr.SC Brahmachari on this platform. We do look for a cooperating presence from all those like you.

Regards

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service