119 members
182 members
367 members
107 members
173 members
2122 2122 212
मिर्च कोई आग पर बोता है क्या,
लोन-पानी ज़ख्म को धोता है क्या।
हो रहा जो अब भले होता है क्या,
कोई अपने आप को खोता है क्या।
बेबसी को तू हटा औज़ार बन,
इसका दामन थाम कर रोता है क्या।
इश्क़ करता, सब्ज़ धरती देख ले,
बीज इसका तू कभी बोता है क्या।
'बाल' चुप्पी साध लेना जुर्म पर,
जुर्म से खुद कम कभी होता है क्या।
लोन-नमक
मौलिक अप्रकाशित
Posted on April 6, 2021 at 8:06pm
2122 2122 212
कौन कहता है खुशी मिट जाएगी?
हौसले से तीरगी मिट जाएगी।
है भरम बस धूल आँधी के समय,
शांत होते ही कमी मिट जाएगी।
चोर चोरी भी तो मिहनत से करे,
कर ले मिहनत, गंदगी मिट जाएगी।
एक होता दूसरे खातिर फिदा,
फिर कहा क्यों जिंदगी मिट जाएगी?
'बाल' कर अल्फ़ाज़ से तू दोस्ती,
तेरी तन्हा बेबसी मिट जाएगी।
मौलिक अप्रकाशित
Posted on March 29, 2021 at 7:34am — 2 Comments
तेरे सच्चे बयानों को यहाँ पर कौन समझेगा,
तेरे गम के निशानों को यहाँ पर कौन समझेगा?
यहाँ महलों से होती हैं हमेशा बात की कोशिश,
बता कच्चे मकानों को यहाँ पर कौन समझेगा।
हुई है कीमती नफ़रत, बनी व्यापार का सौदा,
मुहब्बत के ठिकानों को यहाँ पर कौन समझेगा।
बदलते पक्ष ये झट-से, फिसलते एक बोटी पर,
अडिग रह लें, उन आनों को यहाँ पर कौन समझेगा।
जिन्होंने 'बाल' सोचा था करें कुछ देश की खातिर,
शहीदों को व जानों को यहाँ पर कौन…
Posted on March 26, 2021 at 11:02pm — 8 Comments
2122 1212 22/112
देख लीजे ज़नाब बाकी है,
हर सफ़े का हिसाब बाकी है।
जब तलक इंतिसाब बाकी है,
तब तलक इंतिहाब बाकी है।
बर्क़-ए-शम से मिच मिचाए क्यों,
आना जब आफ़ताब बाकी है?
चंद अल्फ़ाज पढ़ के रोते हो,
पढ़ना पूरी क़िताब बाकी है।
रौंदने वाले कर लिया पूरा,
अपना लेकिन ख़्वाब बाकी है।
'बाल' अच्छा कहाँ यूँ चल देना,
जब कि काफ़ी शराब बाकी है।
---
इंतिसाब: उठ खड़े होना।
इंतिहाब: लूटना,…
Posted on March 19, 2021 at 10:30pm — 3 Comments
"आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर "
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
आदरणीय
सतविंदर कुमार जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
भाई सतविंदरजी,
आपका हार्दिक धन्यवाद कि आपको मेरी विवेचना तोषकारी लगी है.
आप किसी आयोजन या इवेण्ट पर अपनी भावनाएँ उसी थ्रेड में पोस्ट किया करें. यदि आपने अपना धन्यवाद ज्ञापन संकलित लघुकथाओं के पोस्ट में ही किया होता या अब भी कर दें तो यह अधिक उचित होगा.
पुनः धन्यवाद, भाईजी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2021 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |