ओ.बी.ओ. परिवार का सदस्य बनने का जो गौरव आप ने मुझे दिया उसके लिये दिल से आभार | इस परिवार से जुडकर आपके निर्देशन में शायद हम भी कुछ अच्छा लिखना सीख जायें | आपको व आपके परिवार को अनंत शुभकामनायें | आपकी गृहस्थी व ये ओ.बी.ओ. परिवार भी सदैव फलता-फूलता रहे यही मंगल कामना है |
आदरणीय प्रणाम, आपका बहुत बहुत शुक्रिया। अप्रकाशित रचना से तात्पर्य क्या है? रचना किसी मैगजीन, अखवार में प्रकाशित न हुई हो या साथ ही साथ फ़ेसबुक इत्यादि सोशल साईट पर भी न कहीं पोस्ट की हों ??? कृपया मार्ग दर्शन करें ।।। सादर धन्यवाद।
बहुतबहुत शुक्रिया आप का आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी . आप ने मेरा जन्म दिन याद रख कर मुझे अमूल्य/अतुल्य शुभकामनाएं दी. इस हेतु मैं आप का आजीवन ऋणी रहूंगा .
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
मिथिलेश वामनकर's Comments
Comment Wall (96 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
धन्यवाद मिथिलेश जी !
मुझे कुछ चीजे जननी थी .
जैसे 'मकबरा ' का सही वजन क्या होगा .
अभी के लिए इतना ही .
mithilesh saheb aap ka bahot shukriya mujhey ummed hai k is page k baarey me aap meri puri madad karengey
ओ.बी.ओ. परिवार का सदस्य बनने का जो गौरव आप ने मुझे दिया उसके लिये दिल से आभार | इस परिवार से जुडकर आपके निर्देशन में शायद हम भी कुछ अच्छा लिखना सीख जायें | आपको व आपके परिवार को अनंत शुभकामनायें | आपकी गृहस्थी व ये ओ.बी.ओ. परिवार भी सदैव फलता-फूलता रहे यही मंगल कामना है |
aadarneey mithilesh jee nav barsh par aapko hardikshubhkaamnaayein saadar
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
धन्य्वाद मिथिलेश जी,
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
इतनी स्वादिष्ट शुभकामना के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश भाई..
:-)))
आपका हार्दिक आभार आदरणीय
ji shukriya...
aap ka bahut bahut shukriya mithlesh ji
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
जन्मदिन पर स्नेहसिक्त शुभकामनाओं के लिए आ० मिथिलेश जी आपका और आपके माध्यम से ओबीओ परिवार के सभी सदस्यों का बहुत बहुत धन्यवाद..
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
तुझे पाना ही बस मेरी चाह नहीं
कुंडलिया छंद
एक ही सत्य है, "मैं"
ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)
दोहा पंचक. . . करवाचौथ
ग़ज़ल
संबंध
ग़ज़ल ; पतझड़ के जैसा आलम है विरह की सी पुरवाई है
दोहा सप्तक. . . . संबंध
दोहा पंचक. . . . दरिंदगी
ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
दोहा दसक- रोटी
दोहा पंचक. . . . विविध
दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
दोहा दसक - गुण
ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
दोहा दसक
Latest Activity