आदरणीय वीनस जी आपके द्वारा मेरी मित्रता के आग्रह को स्वीकार कर मुझ पर जो अनुकम्पा की उसके लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूँ-कृपया अपना स्नेह बनाये रखें। धन्यवाद
आदरणीय श्री वीनस जी जन्मदिन की विलम्ब से शुभकामनायें स्वीकारें ..आप श्रेष्ठ साहित्यकार तो है ही साथ ही साथ साहित्य के प्रसार -नवलेखन के प्रोत्साहन में आपका अंजुमन प्रकाशन के ज़रिये कार्य तारीख़ी है बहुत बहुत बधाई और शुभेच्छाएं !!
At 10:45pm on December 24, 2013, Suyash Sahu said…
Dear Venus,
I had posted some absolutely "Self Composed" Ghazals on the last Sunday (21 Dec.2013) but those were immediately deleted by the Admin. Team and Sri Arun"Anant" and Sri Saurabh Pandey instructed me not to post them.
Later I said "Sorry" for posting them.
Apart from it, I started a Blog with the Title " Khamoshiyon Ke Khutoot" and posted Two(2)self composed Ghazals under the said Blog Title but they were possibly also not approved by the Admin Team.
Kindly let me know the fundamental reasons of this entire unfortunate episode.
श्रीमान केसरी जी सादर प्रणाम मे नया जुडा हु एवम आपसे गज़ल के विषय मे बात करना चाहता हु और मेरा इस तरीके से बात करना सही है या नही, पता नही और यह शायद मेरा उतावलापन है जो बिना कुछ सीखे आपको मेरी गज़ल की अशुधियो के बारे मे जानने की आपसे बडी उत्सुकता हे आगे जेसा आप दिशा निर्देशित करे, फिलहाल एक गज़ल पोस्ट कर रहा हु और ये रचना मौलिक तो है पर अप्रकाशित इसलिये नही की मेने इसे फेसबूक के वाल पर पोस्ट कर दिया था क्षमा चाहुंगा गर मेरे वार्तालाप मे कोइ त्रुटि हो या मेने कुछ गलत किया हो शुक्रिया ।
गज़ल
शब्दो से खेलने का नया हूनर सीख रहा हूँ / मै फिर से आज एक गज़ल लिख रहा हूँ //
तु अपनी आबादियों की नुमाईँश कर बेशक / मै अपनी बर्बादियों की फसल लिख रहा हूँ //
खुद की तबाही से जी भरा नही मेरा अब तक / इस जमाने मे एक नयी नसल लिख रहा हूँ //
अब कोई उम्मीद बाकी रही नही फिर भी / क्यों तेरी जिन्दगी मे इक नया दखल लिख रहा हूँ//
खुद की ख्वाहिश रेत के घरोंदें से ज्यादा नही / पर तेरे लिये इक जमाने से ताजमहल लिख रहा हूँ //
वो जिन्दगी बीता रहा हे आज मे / और मै उसका दिया हुआ कल लिख रहा हूँ //
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल ..पहला और तीसरा शेर मेरे बिशेष आकर्षण का केंद्र रहे हैं ..
बीनस जी आपको कास्ट दे रहा हूँ दरअसल इस मशहूर गजल में मात्राएँ गिनते समय फर्क आ रहा है
"ना मैं तुम से कोई उम्मीद रखू दिलनवाज़ी कीन तुम मेरी तरफ देखो, ग़लत अंदाज़ नज़रों सेन मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों से ना जाहीर हो तुम्हारी कश्मकश का राज नजरों से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती हैं पेशकदमी से मुझे भी लोग कहते हैं की ये जलवे पराये हैं मेरे हमराह भी रुसवाईयाँ हैं मेरे माझी की तुम्हारे साथ अभी गुज़री हुई रातों के साये हैं ...आप मेरी मदद इस तरह करिये ताकी बहर निर्धारण की प्रक्रिया मैं भली भाति समझ सकूं ...
वाह हार्दिक बधाई आदरणीय श्री वीनस जी !! हमें आप पर गर्व है | आपकी सक्रियता ओ बी ओ को दिन दूनी - चौगुनी उन्नति पथ पर ले जाए आप साहित्यिक जगत का शिखर चूमें !!! हार्दिक शुभकामनाएं !!
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
वीनस केसरी's Comments
Comment Wall (52 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
आदरणीय वीनस जी आपके द्वारा मेरी मित्रता के आग्रह को स्वीकार कर मुझ पर जो अनुकम्पा की उसके लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूँ-कृपया अपना स्नेह बनाये रखें। धन्यवाद
सुशील सरना
आदरणीय वीनस जी..जन्मदिन की विलम्बित अशेष शुभकामनाएं..
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
जन्म दिन की हार्दिक बधाई, ईश्वर आपको प्रत्येक क्षेत्र में सफल करें ......
प्रिय भाई केसरी जी,
आप का तो नाम ही English में है, ऐसा क्यों ???
Not a complaint just a Curiosity.
Priya Venus Ji,
Aap ke jawaab ke liye bhut - bahut Shukriya.
Saadar...
Dear Venus,
I had posted some absolutely "Self Composed" Ghazals on the last Sunday (21 Dec.2013) but those were immediately deleted by the Admin. Team and Sri Arun"Anant" and Sri Saurabh Pandey instructed me not to post them.
Later I said "Sorry" for posting them.
Apart from it, I started a Blog with the Title " Khamoshiyon Ke Khutoot" and posted Two(2)self composed Ghazals under the said Blog Title but they were possibly also not approved by the Admin Team.
Kindly let me know the fundamental reasons of this entire unfortunate episode.
Yours truly,
(SUYASH SAHU}
श्रीमान केसरी जी सादर प्रणाम मे नया जुडा हु एवम आपसे गज़ल के विषय मे बात करना चाहता हु और मेरा इस तरीके से बात करना सही है या नही, पता नही और यह शायद मेरा उतावलापन है जो बिना कुछ सीखे आपको मेरी गज़ल की अशुधियो के बारे मे जानने की आपसे बडी उत्सुकता हे आगे जेसा आप दिशा निर्देशित करे, फिलहाल एक गज़ल पोस्ट कर रहा हु और ये रचना मौलिक तो है पर अप्रकाशित इसलिये नही की मेने इसे फेसबूक के वाल पर पोस्ट कर दिया था क्षमा चाहुंगा गर मेरे वार्तालाप मे कोइ त्रुटि हो या मेने कुछ गलत किया हो शुक्रिया ।
गज़ल
शब्दो से खेलने का नया हूनर सीख रहा हूँ /
मै फिर से आज एक गज़ल लिख रहा हूँ //
तु अपनी आबादियों की नुमाईँश कर बेशक /
मै अपनी बर्बादियों की फसल लिख रहा हूँ //
खुद की तबाही से जी भरा नही मेरा अब तक /
इस जमाने मे एक नयी नसल लिख रहा हूँ //
अब कोई उम्मीद बाकी रही नही फिर भी /
क्यों तेरी जिन्दगी मे इक नया दखल लिख रहा हूँ//
खुद की ख्वाहिश रेत के घरोंदें से ज्यादा नही /
पर तेरे लिये इक जमाने से ताजमहल लिख रहा हूँ //
वो जिन्दगी बीता रहा हे आज मे /
और मै उसका दिया हुआ कल लिख रहा हूँ //
राजवीर
आपने मित्रता का हाथ बढ़ाया, यह मेरा सौभाग्य है। धन्यवाद, आदरणीय।
सादर,
विजय निकोर
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल ..पहला और तीसरा शेर मेरे बिशेष आकर्षण का केंद्र रहे हैं ..
बीनस जी आपको कास्ट दे रहा हूँ दरअसल इस मशहूर गजल में मात्राएँ गिनते समय फर्क आ रहा है
"ना मैं तुम से कोई उम्मीद रखू दिलनवाज़ी की न तुम मेरी तरफ देखो, ग़लत अंदाज़ नज़रों से न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों से
ना जाहीर हो तुम्हारी कश्मकश का राज नजरों से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती हैं पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं की ये जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रुसवाईयाँ हैं मेरे माझी की
तुम्हारे साथ अभी गुज़री हुई रातों के साये हैं ...आप मेरी मदद इस तरह करिये ताकी बहर निर्धारण की प्रक्रिया मैं भली भाति समझ सकूं ...
janab kesri sab. typing error ke chalte :khayal: ki jagal 'mizaj' aa gaya hai. sorry.
आदरणीय वीनस केसरी जी आपका आभार । डी पी माथुर
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
चिरायु हो सखे, कि, कुशलता और स्वस्ति व्यापे..
विद्या, विवेक, विधा, कौशल सुलभ हों सर्व सिद्धियों संग..
कांति, शांति, ऐश्वर्य सघन हों, साहित्य-सोच भावावरण में.. .
अक्षय रहो.. प्रखर रहो.. मुखर रहो.. अक्षर रहो.. .
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
वीनस भाई नमस्कार! माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई.
आदरणीय वीनस जी,
सादर अभिवादन
गजल विधा की विस्त्रत जानकारी, उपयोगी लगी. इस विधा के बारे में अनजान हूँ. सीखने की प्रेरणा मिली.
आपका सहयोग भी लूँगा. आभार.
आदरणीय वीनस जी, आदर
माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने हेतु हार्दिक बधाई.
बधाईयां! महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर! साभार, :-) :-D
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
दोहा सप्तक. . . . संबंध
दोहा पंचक. . . . दरिंदगी
ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
दोहा दसक- रोटी
दोहा पंचक. . . . विविध
दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
दोहा दसक - गुण
ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
दोहा दसक
दोहा त्रयी .....वेदना
दोहा पंचक. . . प्रेम
समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
लौट रहे घन
दोहा पंचक. . . . .बारिश का कह्र
दोहा त्रयी .....रंग
दोहा पंचक. . . . विविध
कौन हुआ आजाद-(दोहा गीत)
दोहा पंचक. . . . .परिवार
Latest Activity