आप का पत्राचार का पता एवं नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत करने हेतु ) अभी तक अप्राप्त है, जिसके कारण प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार राशि नहीं भेजा जा सका है, कृपया शीघ्र उक्त विवरण admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराये जिससे अग्रेतर कार्रवाही कि जा सके | ध्यान रहे मेल उसी इ-मेल आई डी से भेजे जिस आई डी से आपने अपना ओ बी ओ प्रोफाइल बनाया है |
प्रिय वाहिद भाई आप के व्यस्त लम्हे कुछ हम सब को खलते तो हैं ही ....शब्दों के अर्थ आप ने बताये अच्छा लगा ...आप की शुभकामनाओं और बधाई के लिए बहुत बहुत आभार अपना स्नेह बनाये रखें
वाहिद भाई नमस्कार , आप के स्वागत के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ। सोचा यहाँ पे भी कुछ रस लिया जाये। आपको महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाये। डॉ. सूरज
खुली किताब मंच के सक्रीय सदस्य का खिताब पाकर धूम मचाने के लिए हार्दिक बधाई आपको ,..आपकी विलक्षण लेखनी सदैव शानदार रचनाये देती रहे ,.और नित नए मुकाम हासिल करती रहे यही भगवान भोलेनाथ से कामना है ,..कोटिशः शुभकामनाओ सहित
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Comments
Comment Wall (35 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
धन्यवाद वाहिद जी ... आशा है की आप का मार्गदर्शन मिलता रहेगा ...आभार
संदीप भाई आपका आभार!
संदीप जी जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनाएं.....
प्रिय सदस्य / सदस्या
आपका स्वागत है !
आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय संदीप द्विवेदी 'वाहिद' साहेब
प्रिय वाहिद भाई आप के व्यस्त लम्हे कुछ हम सब को खलते तो हैं ही ....शब्दों के अर्थ आप ने बताये अच्छा लगा ...आप की शुभकामनाओं और बधाई के लिए बहुत बहुत आभार अपना स्नेह बनाये रखें
बहुत खूबसूरत गजल संदीप जी.सभी पंक्तियाँ काबिलेतारीफ़ हैं.
बात कानों में घुलती शहद की तरह,
रात ही रात में क्यूँ ज़हर हो गयी;
अब तलक तो खुदा को न सजदा किया,
ये दुआ मेरी कैसे असर हो गयी.
बहुत सुन्दर.
संदीप जी,महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर बधाई!
वाहिद भाई नमस्कार , आप के स्वागत के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ। सोचा यहाँ पे भी कुछ रस लिया जाये। आपको महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाये। डॉ. सूरज
जय HO !! आदरणीय श्री वाहिद जी को माह का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई !!
वाहिद जी नमस्कार ,
महीने सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाये आपको /
आदरणीय संदीप भाई जी ,.सादर नमस्ते
खुली किताब मंच के सक्रीय सदस्य का खिताब पाकर धूम मचाने के लिए हार्दिक बधाई आपको ,..आपकी विलक्षण लेखनी सदैव शानदार रचनाये देती रहे ,.और नित नए मुकाम हासिल करती रहे यही भगवान भोलेनाथ से कामना है ,..कोटिशः शुभकामनाओ सहित
वन्देमातरम
सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
संदीप द्वेदी वाहिद जी महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई
भाई संदीप जी, आपकी सक्रियता से बहुत से लोगो का उत्साह वर्धन होता है. इस सम्मान हेतु आपको बधाई.
वाह,
संदीप जी को हार्दिक बधाई
विगत दिनों की आपकी सकारात्मक संलग्नता अन्यों के लिए एक मिसाल की तरह है
प्रबंधन समिति को इस निर्णय के लिए साधुवाद
संदीप जी, बहुत बहुत बधाई.....इस अलंकरण के लिए ......
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
दोहा पंचक. . . . .प्रेम
यह धर्म युद्ध है
कुंडलिया .... गौरैया
बनो सब मीत होली में -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
काश कहीं ऐसा हो जाता
दोहा पंचक. . .
आँख मिचौली
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
दोहा पंचक. . . . .
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
दोहा पंचक. . . . .नारी
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( आप क्यूँ दूर दूर हैं हम से )
मेरे नाम की पाति
ग़ज़ल: सही सही बता है क्या
है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
दोहा पंचक. . . . .
दोहा सप्तक. . . जीवन तो अनमोल है
सम्राट समुद्रगुप्त
चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
यहाँ बाँध घन्टी गले दीप के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Latest Activity