Comments - आया है जनवरी (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T02:11:51Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A998506&xn_auth=noआदरणीय मुसाफ़िर साहिब, आपका बे…tag:openbooks.ning.com,2020-01-11:5170231:Comment:9991092020-01-11T10:59:42.277Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय मुसाफ़िर साहिब, आपका बेहद शुक्रिया। आपको भी आपकी रचना "तू भी निजाम नित नया मत अब कमाल कर" के 'फ़ीचर' के लिए चुने जाने पर ढेर सी बधाई।</p>
<p>आदरणीय मुसाफ़िर साहिब, आपका बेहद शुक्रिया। आपको भी आपकी रचना "तू भी निजाम नित नया मत अब कमाल कर" के 'फ़ीचर' के लिए चुने जाने पर ढेर सी बधाई।</p> मोहतरम समर कबीर साहिब, आदाब।…tag:openbooks.ning.com,2020-01-11:5170231:Comment:9988772020-01-11T10:52:29.678Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p>मोहतरम समर कबीर साहिब, आदाब। आपका शुक्रिया किन अलफ़ाज़ में करूँ समझ नहीं आता, जो आपने नाचीज़ की ग़ज़ल को पढ़ने, ग़लतियाँ बताने और इस्लाह करने के लिए अपना क़ीमती वक़्त दिया। आप मेरे लिए दरअसल ग़ज़ल की यूनिवर्सिटी हैं, क्यूंकि आपकी इसलाहों से (अपनी तथा और शायर हज़रात की) बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस ग़ज़ल में की गई आपकी हर एक इस्लाह मेरे लिए एक पूरा सबक है, जिसे मैंने ध्यान से समझ लिया है। कृपया गुरुदक्षिणा के तौर पे मेरा हार्दिक आभार क़ुबूल करें।</p>
<p>मोहतरम समर कबीर साहिब, आदाब। आपका शुक्रिया किन अलफ़ाज़ में करूँ समझ नहीं आता, जो आपने नाचीज़ की ग़ज़ल को पढ़ने, ग़लतियाँ बताने और इस्लाह करने के लिए अपना क़ीमती वक़्त दिया। आप मेरे लिए दरअसल ग़ज़ल की यूनिवर्सिटी हैं, क्यूंकि आपकी इसलाहों से (अपनी तथा और शायर हज़रात की) बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस ग़ज़ल में की गई आपकी हर एक इस्लाह मेरे लिए एक पूरा सबक है, जिसे मैंने ध्यान से समझ लिया है। कृपया गुरुदक्षिणा के तौर पे मेरा हार्दिक आभार क़ुबूल करें।</p> आ. भाई रवि भसीन जी, रचना के '…tag:openbooks.ning.com,2020-01-09:5170231:Comment:9989552020-01-09T10:16:07.468Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, रचना के ' फीचर' के लिए चुने जाने पर हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, रचना के ' फीचर' के लिए चुने जाने पर हार्दिक बधाई ।</p> जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब…tag:openbooks.ning.com,2020-01-09:5170231:Comment:9989532020-01-09T10:10:52.268ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब,</p>
<p>ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>ना दिन में आफ़्ताब न महताब रात में'</span></p>
<p><span>उर्दू शाइरी में 'न' को 2 पर नहीं लिया जाता,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'दिन में है आफ़ताब न महताब रात में'</span></p>
<p></p>
<p><span>'कोहरा-ओ-धुंद और भी लाया है जनवरी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'कोहरा' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "कुहरा"22,दूसरी बात ये कि 'कुहरा' और 'धुंद' दोनों हिन्दी भाषा के शब्द हैं,इसलिए…</span></p>
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब,</p>
<p>ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>ना दिन में आफ़्ताब न महताब रात में'</span></p>
<p><span>उर्दू शाइरी में 'न' को 2 पर नहीं लिया जाता,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'दिन में है आफ़ताब न महताब रात में'</span></p>
<p></p>
<p><span>'कोहरा-ओ-धुंद और भी लाया है जनवरी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'कोहरा' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "कुहरा"22,दूसरी बात ये कि 'कुहरा' और 'धुंद' दोनों हिन्दी भाषा के शब्द हैं,इसलिए इसमें इज़ाफ़त नहीं लगेगी,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'शादाब ना शजर हों तो क्या लुत्फ़-ए-ज़िन्दगी<br/>तुझको सितम ये किसने सिखाया है जनवरी'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है,दूसरी बात ऊला में 'न' को 2 पर लेना उचित नहीं ।</span></p>
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<p><span>'रिश्ता तमाम माह से इन्सां का है मगर'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,यूँ कर लें तो ये ऐब निकल जायेगा:-</span></p>
<p><span>'रिश्ता सभी महीनों से इंसाँ का है मगर'</span></p>
<p></p>
<p><span>'बिछड़े थे हम जो आप से इस माह तभी से'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'तौबा ज़रूर बाक़ी महीने निभाइये<br/>इस में न पी शराब तो ज़ाया है जनवरी'</span></p>
<p><span>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं,और सानी में क़ाफ़िया दोष भी है,सहीह शब्द है "ज़ाए" ।</span></p>
<p><span>'इक और साल ज़िन्दगी का हो गया शुरू<br/>'शाहिद' ये फ़िक़्र में ही बिताया है जनवरी'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'सहीह शब्द है "शुरू'अ'"121 </span></p>
<p><span>और सानी मिसरे में व्याकरण दोष है,देखियेगा ।</span></p>
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<p></p> आद0 रवि भसीन साहब सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2020-01-09:5170231:Comment:9988452020-01-09T00:52:48.065Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 रवि भसीन साहब सादर अभिवादन। बढ़िया दमदार ग़ज़ल कही आपने, शैर दर शैर बधाई आपको</p>
<p>आद0 रवि भसीन साहब सादर अभिवादन। बढ़िया दमदार ग़ज़ल कही आपने, शैर दर शैर बधाई आपको</p> आ. भाई रवि भसीन 'शाहिद' जी, स…tag:openbooks.ning.com,2020-01-08:5170231:Comment:9986922020-01-08T23:55:19.649Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि भसीन 'शाहिद' जी, सादर अभिवादन।<br/>बहुत ही उम्दा गजल हुई है । ढेरों बधाइयाँ...</p>
<p>आ. भाई रवि भसीन 'शाहिद' जी, सादर अभिवादन।<br/>बहुत ही उम्दा गजल हुई है । ढेरों बधाइयाँ...</p>