Comments - मेरा चेहरा मेरे जज़्बात का आईना है - Open Books Online2024-03-29T04:40:17Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A997358&xn_auth=noमुहतरमा मंजू सक्सेना जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2019-12-09:5170231:Comment:9976162019-12-09T10:26:56.592ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा मंजू सक्सेना जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'दिल मे लिक्खे ये सफ़ाहात का आईना है'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र में नहीं है,'सफ़ाहात' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "सफ़हात"221 देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'अश्क् और आहें फ़ुगाँ और तराने ग़म के<br/>आपके प्यार की सौगात का आईना है'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में चूँकि बहुवचन के शब्द हैं,इसलिए रदीफ़ 'है' की बजाय "हैं" हो रही है ।</span></p>
<p>मुहतरमा मंजू सक्सेना जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'दिल मे लिक्खे ये सफ़ाहात का आईना है'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र में नहीं है,'सफ़ाहात' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "सफ़हात"221 देखियेगा ।</span></p>
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<p><span>'अश्क् और आहें फ़ुगाँ और तराने ग़म के<br/>आपके प्यार की सौगात का आईना है'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में चूँकि बहुवचन के शब्द हैं,इसलिए रदीफ़ 'है' की बजाय "हैं" हो रही है ।</span></p>