Comments - उल्फत या कि नफ़रत। (अतुकांत कविता) - Open Books Online2024-03-28T14:10:15Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A996928&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहब, इतनी कम…tag:openbooks.ning.com,2019-12-06:5170231:Comment:9973672019-12-06T04:31:11.898ZUshahttp://openbooks.ning.com/profile/Usha
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, इतनी कमज़ोर हुई मेरी रचना फिर भी आप बधाई देकर मेरा प्रोत्साहन बढ़ा रहे हैं। आपका हृदय से आभार।</p>
<p>(मेरे ख़याल से अभी आपको बहुत अध्यन करना है,मंच पर आई अतुकांत कविताओं का अध्यन करें ।)<br></br>- जी सर बिल्कुल, आपकी बात मान्य है।</p>
<p>('सुना था मसले'<br></br>इस पंक्ति में सहीह शब्द है 'मसअले')<br></br>- जी सर, भविष्य में ख़्याल रहेगा।</p>
<p>("पर हैरानी की बात तब हुई कि वो ख़फ़ा हो बैठे")<br></br>- अति सुन्दर। <br></br>- सर, मेरा भाव नहीं आ पाया लगता है। कहना चाहती कि खफ़ा होना किसी और को था,…</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, इतनी कमज़ोर हुई मेरी रचना फिर भी आप बधाई देकर मेरा प्रोत्साहन बढ़ा रहे हैं। आपका हृदय से आभार।</p>
<p>(मेरे ख़याल से अभी आपको बहुत अध्यन करना है,मंच पर आई अतुकांत कविताओं का अध्यन करें ।)<br/>- जी सर बिल्कुल, आपकी बात मान्य है।</p>
<p>('सुना था मसले'<br/>इस पंक्ति में सहीह शब्द है 'मसअले')<br/>- जी सर, भविष्य में ख़्याल रहेगा।</p>
<p>("पर हैरानी की बात तब हुई कि वो ख़फ़ा हो बैठे")<br/>- अति सुन्दर। <br/>- सर, मेरा भाव नहीं आ पाया लगता है। कहना चाहती कि खफ़ा होना किसी और को था, हो कोई और गया।</p>
<p>(इन पंक्तियों में 'महब्बते इज़हार' शब्द भर्ती के हैं,)<br/>- सर, (भर्ती के हैं) नहीं समझी। मेरा भाव ये था कि कई बार चुप हो जाने से बात बढ़ती नहीं और प्रेम भाव बिना किसी गाँठ के पुनः जागृत हो जाता है।</p>
<p>('अपना तो मजमा लग गया')<br/>- सर, मेरा भाव था कि तमाशा उसका बन गया जिसका कोई कुसूर ही नहीं था।</p>
<p>सर, आपके सभी सुझाव मान्य हैं। भविष्य में अवश्य और प्रयास की आवश्यकता है जो मैं अवश्य करुँगी, हार नहीं मानूँगी चूँकि आप जैसे गुरु का सानिध्य प्राप्त हो गया है। स्वयं को भाग्यशाली समझती हूँ। आपका हृदय से आभार। सादर।</p> आदरणीय महेंद्र साहब, समर कबीर…tag:openbooks.ning.com,2019-12-06:5170231:Comment:9975432019-12-06T04:11:22.946ZUshahttp://openbooks.ning.com/profile/Usha
<p>आदरणीय महेंद्र साहब, समर कबीर साहब का हर सुझाव मेरे लिए मान्य है। मैं प्रयासरत हूँ कि अच्छा कर सकूँ। इस मंच से ही सीख रही हूँ। यूँ तो मैं अंग्रेज़ी साहित्य की छात्रा व् प्राध्यापिका हूँ किन्तु हिन्दी में लिखने का प्रयास सुखद लगता है। इस मंच की कृतियों से ही सीख खुद को सीखा रही हूँ साथ ही आप सभी के सुझावों से भी। भविष्य में यकीनन अच्छा करने का प्रयास करुँगी। इतनी खामियों के बावज़ूद सकारात्मक टिप्पणी के लिए हृदय से आपका आभार। सादर।</p>
<p>आदरणीय महेंद्र साहब, समर कबीर साहब का हर सुझाव मेरे लिए मान्य है। मैं प्रयासरत हूँ कि अच्छा कर सकूँ। इस मंच से ही सीख रही हूँ। यूँ तो मैं अंग्रेज़ी साहित्य की छात्रा व् प्राध्यापिका हूँ किन्तु हिन्दी में लिखने का प्रयास सुखद लगता है। इस मंच की कृतियों से ही सीख खुद को सीखा रही हूँ साथ ही आप सभी के सुझावों से भी। भविष्य में यकीनन अच्छा करने का प्रयास करुँगी। इतनी खामियों के बावज़ूद सकारात्मक टिप्पणी के लिए हृदय से आपका आभार। सादर।</p> आदरणीया उषा जी, अतुकान्त का अ…tag:openbooks.ning.com,2019-12-04:5170231:Comment:9972652019-12-04T12:47:01.985ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीया उषा जी, अतुकान्त का अच्छा प्रयास है। कृपया आदरणीय समर कबीर सर की बातों का संज्ञान लें। हार्दिक बधाई। सादर।</p>
<p>आदरणीया उषा जी, अतुकान्त का अच्छा प्रयास है। कृपया आदरणीय समर कबीर सर की बातों का संज्ञान लें। हार्दिक बधाई। सादर।</p> मुहतरमा ऊषा जी आदाब,अच्छी अतु…tag:openbooks.ning.com,2019-11-28:5170231:Comment:9970522019-11-28T05:33:33.280ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा ऊषा जी आदाब,अच्छी अतुकांत कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मेरे ख़याल से अभी आपको बहुत अध्यन करना है,मंच पर आई अतुकांत कविताओं का अध्यन करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सुना था मसले'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में सहीह शब्द है 'मसअले'</span></p>
<p><span>'पर हैरानगी का आलम तब हुआ कि'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'हैरानगी' कोई शब्द ही नहीं है ,और दूसरी बात ये कि शिल्प भी कमज़ोर है,</span></p>
<p></p>
<p><span>'जब वे अकेले ही ख़फा हो, बैठ गए'</span></p>
<p><span>अरे भाई जब…</span></p>
<p>मुहतरमा ऊषा जी आदाब,अच्छी अतुकांत कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मेरे ख़याल से अभी आपको बहुत अध्यन करना है,मंच पर आई अतुकांत कविताओं का अध्यन करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सुना था मसले'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में सहीह शब्द है 'मसअले'</span></p>
<p><span>'पर हैरानगी का आलम तब हुआ कि'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'हैरानगी' कोई शब्द ही नहीं है ,और दूसरी बात ये कि शिल्प भी कमज़ोर है,</span></p>
<p></p>
<p><span>'जब वे अकेले ही ख़फा हो, बैठ गए'</span></p>
<p><span>अरे भाई जब कोई ख़फ़ा होता है तो किसी को साथ लेकर थोड़े ही ख़फ़ा होता है,इस पूरी पंक्ति को यूँ होना था:-</span></p>
<p><span>"पर हैरानी की बात तब हुई कि वो ख़फ़ा हो बैठे"</span></p>
<p></p>
<p><span>'हमने भी यह सोच कर,<br/>ज़िक्र न छेड़ा कि,<br/>ख़ामोशी कई मर्तबा,<br/>लौटा ही लाती है, मुहब्बते-इज़हार'</span></p>
<p><span>इन पंक्तियों में 'महब्बते इज़हार' शब्द भर्ती के हैं,</span></p>
<p></p>
<p><span>'अपना तो मजमा लग गया'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'मजमा' शब्द का क्या अर्थ लिया है आपने?</span></p>
<p></p> आदरणीय प्रदीप सर, ह्रदय से आप…tag:openbooks.ning.com,2019-11-27:5170231:Comment:9971352019-11-27T13:22:00.165ZUshahttp://openbooks.ning.com/profile/Usha
आदरणीय प्रदीप सर, ह्रदय से आपका आभार। सादर ।
आदरणीय प्रदीप सर, ह्रदय से आपका आभार। सादर । आदरणीय डॉ गीता चौधरी जी, ह्रद…tag:openbooks.ning.com,2019-11-27:5170231:Comment:9970432019-11-27T13:21:24.121ZUshahttp://openbooks.ning.com/profile/Usha
आदरणीय डॉ गीता चौधरी जी, ह्रदय से आपका आभार । सादर ।
आदरणीय डॉ गीता चौधरी जी, ह्रदय से आपका आभार । सादर । बेहतरीन ख्याल, बधाई उषा जीtag:openbooks.ning.com,2019-11-27:5170231:Comment:9970412019-11-27T13:09:49.009Zप्रदीप देवीशरण भट्टhttp://openbooks.ning.com/profile/PradeepDevisharanBhatt
<p>बेहतरीन ख्याल, बधाई उषा जी</p>
<p>बेहतरीन ख्याल, बधाई उषा जी</p> आदरणीय उषा जी, सुंदर कविता के…tag:openbooks.ning.com,2019-11-27:5170231:Comment:9971282019-11-27T04:52:29.864ZDr. Geeta Chaudharyhttp://openbooks.ning.com/profile/DrgeetaChaudhary
<p>आदरणीय उषा जी, सुंदर कविता के लिए बहुत बधाई आपको।</p>
<p>आदरणीय उषा जी, सुंदर कविता के लिए बहुत बधाई आपको।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:openbooks.ning.com,2019-11-27:5170231:Comment:9970342019-11-27T02:48:48.856ZUshahttp://openbooks.ning.com/profile/Usha
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' सर, आपको मेरी कविता पसंद आयी। प्रसन्नता हुई। आपका हृदय से आभार। सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' सर, आपको मेरी कविता पसंद आयी। प्रसन्नता हुई। आपका हृदय से आभार। सादर।</p> आदरणीय विजय शंकर सर , (उल्फत,…tag:openbooks.ning.com,2019-11-27:5170231:Comment:9968532019-11-27T02:47:18.408ZUshahttp://openbooks.ning.com/profile/Usha
<p>आदरणीय विजय शंकर सर , (उल्फत, नफ़रत, और किसी किसी की अपनी अपनी फितरत) इन शब्दों ने मुझे और नए भावों को मह्सूस करने का मौका दे दिया। प्रोत्साहित करने के लिए आपका धन्यवाद। आभार। सादर।</p>
<p>आदरणीय विजय शंकर सर , (उल्फत, नफ़रत, और किसी किसी की अपनी अपनी फितरत) इन शब्दों ने मुझे और नए भावों को मह्सूस करने का मौका दे दिया। प्रोत्साहित करने के लिए आपका धन्यवाद। आभार। सादर।</p>