Comments - भिड़े प्रहरी न्याय के - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" - Open Books Online2024-03-29T07:46:16Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A995929&xn_auth=noआ. भाई जवाहरलाल जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2019-11-19:5170231:Comment:9963652019-11-19T01:02:18.735Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई जवाहरलाल जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई जवाहरलाल जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।</p> आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2019-11-19:5170231:Comment:9960932019-11-19T01:00:43.241Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन। पुनः मार्गदर्शन के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन। पुनः मार्गदर्शन के लिए आभार ।</p> समसामयिक घटनाओं पर बेहतरीन दो…tag:openbooks.ning.com,2019-11-18:5170231:Comment:9960882019-11-18T13:36:41.704ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>समसामयिक घटनाओं पर बेहतरीन दोहे आदरणीय लक्ष्मण धामी जी! बहुत बहुत बधाई!</p>
<p>समसामयिक घटनाओं पर बेहतरीन दोहे आदरणीय लक्ष्मण धामी जी! बहुत बहुत बधाई!</p> 'आम आदमी को कहाँ, समझे ये इंस…tag:openbooks.ning.com,2019-11-12:5170231:Comment:9960332019-11-12T10:15:43.983ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>'आम आदमी को कहाँ, समझे ये इंसान'</p>
<p>यूँ कर सकते हैं ।</p>
<p>'आम आदमी को कहाँ, समझे ये इंसान'</p>
<p>यूँ कर सकते हैं ।</p> आ. भाई विजय निकोर जी सादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2019-11-12:5170231:Comment:9959922019-11-12T10:12:39.917Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय निकोर जी सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी सकारात्त्सामक पप्रतिक्रिया पा लेखन सफल हुआ। उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई विजय निकोर जी सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी सकारात्त्सामक पप्रतिक्रिया पा लेखन सफल हुआ। उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p> आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। उ…tag:openbooks.ning.com,2019-11-12:5170231:Comment:9961232019-11-12T10:09:24.559Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार । क्या ऐसा करने से दोहे का भाव स्पष्ट हो रहा है ?</p>
<p></p>
<p><span>आम नागरिक हैं लगे, कब इनको इन्सान।४।</span></p>
<p>आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार । क्या ऐसा करने से दोहे का भाव स्पष्ट हो रहा है ?</p>
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<p><span>आम नागरिक हैं लगे, कब इनको इन्सान।४।</span></p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2019-11-09:5170231:Comment:9958652019-11-09T10:05:34.357ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'आम नागरिक कब भला, हैं इनको इन्सान'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में आप जो कहना चाहते हैं,स्पष्ट नहीं हुआ,देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'आम नागरिक कब भला, हैं इनको इन्सान'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में आप जो कहना चाहते हैं,स्पष्ट नहीं हुआ,देखियेगा ।</span></p> आ. भाई सुरेंद्र जी सादर अभिवा…tag:openbooks.ning.com,2019-11-09:5170231:Comment:9957842019-11-09T02:42:04.320Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई सुरेंद्र जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए आभार।</span></p>
<p><span>आ. भाई सुरेंद्र जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए आभार।</span></p> आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2019-11-09:5170231:Comment:9957822019-11-09T02:39:32.580Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवदन। इतनी सुविचारित सराहना और विस्त्रित टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवदन। इतनी सुविचारित सराहना और विस्त्रित टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।</p> इस विषय पर लिखना आसान नहीं है…tag:openbooks.ning.com,2019-11-09:5170231:Comment:9958502019-11-09T01:53:36.718Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>इस विषय पर लिखना आसान नहीं है, फिर भी आप सफ़ल हुए हैं, आदरणीय मित्र लक्ष्मण धामी जी। हार्दिक बधाई।</p>
<p>इस विषय पर लिखना आसान नहीं है, फिर भी आप सफ़ल हुए हैं, आदरणीय मित्र लक्ष्मण धामी जी। हार्दिक बधाई।</p>