Comments - चंद क्षणिकाएँ : - Open Books Online2024-03-28T22:30:46Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994662&xn_auth=noआदाब। बेहतरीन क्षणिकायें। हार…tag:openbooks.ning.com,2019-10-31:5170231:Comment:9954502019-10-31T13:20:02.064ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। बेहतरीन क्षणिकायें। हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना साहिब। सभी कठिन उर्दू शब्दों के अर्थ हम जैसे पाठकों के लिए निवेदित।</p>
<p>आदाब। बेहतरीन क्षणिकायें। हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना साहिब। सभी कठिन उर्दू शब्दों के अर्थ हम जैसे पाठकों के लिए निवेदित।</p> आद0 KALPANA BHATT ('रौनक़')जी…tag:openbooks.ning.com,2019-10-31:5170231:Comment:9954462019-10-31T06:21:06.446ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p><span>आद0 <a href="http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832" class="fn url">KALPANA BHATT ('रौनक़')</a>जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया।</span></p>
<p><span>आद0 <a href="http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832" class="fn url">KALPANA BHATT ('रौनक़')</a>जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया।</span></p> भावपूर्ण क्षणिकाएँ! हार्दिक ब…tag:openbooks.ning.com,2019-10-30:5170231:Comment:9953552019-10-30T11:59:46.961ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>भावपूर्ण क्षणिकाएँ! हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील सरना जी|</p>
<p>भावपूर्ण क्षणिकाएँ! हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील सरना जी|</p> आदरणीय डॉ.गीता चौधरी जी सृजन…tag:openbooks.ning.com,2019-10-30:5170231:Comment:9954342019-10-30T11:09:55.767ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय डॉ.गीता चौधरी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। सृजन आपकी प्रेरक टिप्पणी का आभारी है। हार्दिक आभार।</p>
<p>आदरणीय डॉ.गीता चौधरी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। सृजन आपकी प्रेरक टिप्पणी का आभारी है। हार्दिक आभार।</p> आदरणीय सुशील सरना जी आपकी क्ष…tag:openbooks.ning.com,2019-10-30:5170231:Comment:9949022019-10-30T05:16:31.376ZDr. Geeta Chaudharyhttp://openbooks.ning.com/profile/DrgeetaChaudhary
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आपकी क्षणिकाओं को मै बार बार पढती हूँ, और शायद यही किसी रचना की खूबसूरती का पैमाना हैI सभी क्षणिकाएं बहुत ही अच्छी लगी... पर "याद में हो जायेंगी........" बहुत सुंदर हैI सर बहुत बहुत बधाई आपकोI</p>
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<p>आदरणीय सुशील सरना जी आपकी क्षणिकाओं को मै बार बार पढती हूँ, और शायद यही किसी रचना की खूबसूरती का पैमाना हैI सभी क्षणिकाएं बहुत ही अच्छी लगी... पर "याद में हो जायेंगी........" बहुत सुंदर हैI सर बहुत बहुत बधाई आपकोI</p>
<p></p> आदरणीय समीर कबीर साहिब, आदाब…tag:openbooks.ning.com,2019-10-29:5170231:Comment:9952222019-10-29T08:42:37.371ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय समीर कबीर साहिब, आदाब ... आपके मार्गदर्शन का तहे दिल से शुक्रिया। हो सकता है मेरे से ही कहीं गलती हो गई हो। असुविधा के लिए क्षमा। आपका स्नेह मेरी अमूल्य निधि है। हार्दिक आभार। अभी एडिट कर देता हूँ सर। सदर नमन। </p>
<p>आदरणीय समीर कबीर साहिब, आदाब ... आपके मार्गदर्शन का तहे दिल से शुक्रिया। हो सकता है मेरे से ही कहीं गलती हो गई हो। असुविधा के लिए क्षमा। आपका स्नेह मेरी अमूल्य निधि है। हार्दिक आभार। अभी एडिट कर देता हूँ सर। सदर नमन। </p> सहीह शब्द "सहर" है,जिसका अर्थ…tag:openbooks.ning.com,2019-10-28:5170231:Comment:9952092019-10-28T13:50:43.459ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>सहीह शब्द "सहर" है,जिसका अर्थ है सुब्ह ।</p>
<p>और "सह्र" का अर्थ होता है जादू ।</p>
<p>आपको ग़लत याद रह गया मैं ऐसी भूल सपने में भी नहीं करता ।</p>
<p>सहीह शब्द "सहर" है,जिसका अर्थ है सुब्ह ।</p>
<p>और "सह्र" का अर्थ होता है जादू ।</p>
<p>आपको ग़लत याद रह गया मैं ऐसी भूल सपने में भी नहीं करता ।</p> आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .…tag:openbooks.ning.com,2019-10-28:5170231:Comment:9952002019-10-28T13:08:28.810ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। जी हाँ, आपने ठीक समझा ... सर मेरे को ऐसा याद आ रहा है कि आपने एक रचना में सहर को सह्र की तरह लिखने का मशवरा दिया था कृपया मार्गदर्शन करें कि कौन सा सही है। तकलीफ के लिए क्षमा चाहूँगा।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। जी हाँ, आपने ठीक समझा ... सर मेरे को ऐसा याद आ रहा है कि आपने एक रचना में सहर को सह्र की तरह लिखने का मशवरा दिया था कृपया मार्गदर्शन करें कि कौन सा सही है। तकलीफ के लिए क्षमा चाहूँगा।</p> जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी…tag:openbooks.ning.com,2019-10-28:5170231:Comment:9951912019-10-28T10:15:05.789ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सह्र के काँधों पर'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'सह्र' का अर्थ जादू होता है,और आप शायद यहाँ सुब्ह के लिए "सहर" लिखना चाहते हैं ।</span></p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'सह्र के काँधों पर'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'सह्र' का अर्थ जादू होता है,और आप शायद यहाँ सुब्ह के लिए "सहर" लिखना चाहते हैं ।</span></p>