Comments - ग़ज़ल - चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम - Open Books Online2024-03-29T15:20:00Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994618&xn_auth=noBilkul Sirtag:openbooks.ning.com,2019-10-20:5170231:Comment:9945542019-10-20T11:50:44.677Zप्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'http://openbooks.ning.com/profile/PrashantDixit
<p>Bilkul Sir</p>
<p>Bilkul Sir</p> जनाब प्रशांत जी,
ग़ज़ल का प्…tag:openbooks.ning.com,2019-10-19:5170231:Comment:9945472019-10-19T19:07:19.525ZBalram Dhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>जनाब प्रशांत जी, </p>
<p>ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं। </p>
<p>आदरणीय समर सर की बातों पर गौर करें, ग़ज़ल और बेहतर हो सकेगी। </p>
<p>सादर। </p>
<p></p>
<p>जनाब प्रशांत जी, </p>
<p>ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं। </p>
<p>आदरणीय समर सर की बातों पर गौर करें, ग़ज़ल और बेहतर हो सकेगी। </p>
<p>सादर। </p>
<p></p> बहुत बहुत धन्यवाद समर सर ।
प्…tag:openbooks.ning.com,2019-10-19:5170231:Comment:9944612019-10-19T11:14:42.170Zप्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'http://openbooks.ning.com/profile/PrashantDixit
<p>बहुत बहुत धन्यवाद समर सर ।</p>
<p>प्रयास करता हूँ ।</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद समर सर ।</p>
<p>प्रयास करता हूँ ।</p> जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' ज…tag:openbooks.ning.com,2019-10-19:5170231:Comment:9944542019-10-19T08:58:08.556ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम'</span></p>
<p><span>'चरागाँ' किया जाता है,होता है,इसके साथ जला दो कहना उचित नहीं,मिसरा बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'ज़हर है ये,ज़हर ही तो पिला दो तुम'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में सहीह शब्द "ज़ह्र" है,इसे 12 पर लेना उचित नहीं देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम'</span></p>
<p><span>'चरागाँ' किया जाता है,होता है,इसके साथ जला दो कहना उचित नहीं,मिसरा बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'ज़हर है ये,ज़हर ही तो पिला दो तुम'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में सहीह शब्द "ज़ह्र" है,इसे 12 पर लेना उचित नहीं देखियेगा ।</span></p> बहुत बहुत धन्यवाद विमल शर्मा…tag:openbooks.ning.com,2019-10-18:5170231:Comment:9947152019-10-18T12:02:53.857Zप्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'http://openbooks.ning.com/profile/PrashantDixit
<p>बहुत बहुत धन्यवाद विमल शर्मा 'विमल' जी</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद विमल शर्मा 'विमल' जी</p> वाह वाह... बेहद खूबसूरत अल्फा…tag:openbooks.ning.com,2019-10-18:5170231:Comment:9946272019-10-18T07:12:10.782Zविमल शर्मा 'विमल'http://openbooks.ning.com/profile/07o4z2ua0u403
वाह वाह... बेहद खूबसूरत अल्फाजों से सजाया...बधाई।
वाह वाह... बेहद खूबसूरत अल्फाजों से सजाया...बधाई।