Comments - ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा - सलीम 'रज़ा' रीवा - Open Books Online2024-03-29T06:33:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A990722&xn_auth=no//
न मज़हब सिखाता है तकरार बाँ…tag:openbooks.ning.com,2019-08-22:5170231:Comment:9910572019-08-22T15:26:36.223Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>//</p>
<p><span>न मज़हब सिखाता है तकरार बाँटो</span></p>
<p><span>अगर बाँटना हो सदा प्यार बाँटो </span></p>
<p><span>अमन चैन हो सारी दुनिया में क़ाएम</span></p>
<p><span>ज़माने में हो हर तरफ भाई चारा //</span></p>
<p></p>
<p><span>बहुत ही खूबसूरत भाव। आपको हार्दिक बधाई, मित्र सलीम जी।</span></p>
<p>//</p>
<p><span>न मज़हब सिखाता है तकरार बाँटो</span></p>
<p><span>अगर बाँटना हो सदा प्यार बाँटो </span></p>
<p><span>अमन चैन हो सारी दुनिया में क़ाएम</span></p>
<p><span>ज़माने में हो हर तरफ भाई चारा //</span></p>
<p></p>
<p><span>बहुत ही खूबसूरत भाव। आपको हार्दिक बधाई, मित्र सलीम जी।</span></p> आदरणीय सलीम जी बहुत ही अच्छी…tag:openbooks.ning.com,2019-08-16:5170231:Comment:9904482019-08-16T11:03:20.254ZPratibha Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/PratibhaPandey
<p>आदरणीय सलीम जी बहुत ही अच्छी रचना , बधाई </p>
<p>आदरणीय सलीम जी बहुत ही अच्छी रचना , बधाई </p> आ. भाई सलीम जी, सुंदर रचना हु…tag:openbooks.ning.com,2019-08-16:5170231:Comment:9904332019-08-16T01:00:54.531Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सलीम जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सलीम जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।</p>