Comments - हवस - लघुकथा - Open Books Online2024-03-28T12:53:03Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A989602&xn_auth=noइस हौसला बढ़ाने वाली टिप्पणी क…tag:openbooks.ning.com,2019-08-13:5170231:Comment:9904072019-08-13T11:51:43.179Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस हौसला बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ डॉ विजय शंकर साहब</p>
<p>इस हौसला बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ डॉ विजय शंकर साहब</p> आदरणीय विनय कुमार जी , प्राकृ…tag:openbooks.ning.com,2019-08-09:5170231:Comment:9897732019-08-09T15:45:18.584ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय विनय कुमार जी , प्राकृतिक एवं नैसर्गिक प्रवृति की सुन्दर प्रस्तुति , बधाई , इस प्रस्तुति पर , सादर</p>
<p>आदरणीय विनय कुमार जी , प्राकृतिक एवं नैसर्गिक प्रवृति की सुन्दर प्रस्तुति , बधाई , इस प्रस्तुति पर , सादर</p> इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आ…tag:openbooks.ning.com,2019-08-08:5170231:Comment:9897522019-08-08T12:45:22.689Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ सी एम उपाध्याय जी</p>
<p>इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ सी एम उपाध्याय जी</p> इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए…tag:openbooks.ning.com,2019-08-08:5170231:Comment:9900472019-08-08T12:44:40.888Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब</p>
<p>इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब</p> इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए…tag:openbooks.ning.com,2019-08-08:5170231:Comment:9900452019-08-08T12:44:11.363Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी. मुझे भी आखिरी पंक्ति अनावश्यक लग रही थी, इसे एडिट कर देता हूँ</p>
<p>इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी. मुझे भी आखिरी पंक्ति अनावश्यक लग रही थी, इसे एडिट कर देता हूँ</p> जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी…tag:openbooks.ning.com,2019-08-08:5170231:Comment:9900392019-08-08T10:11:50.031ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p> सार्थक कथा tag:openbooks.ning.com,2019-08-06:5170231:Comment:9898092019-08-06T13:30:05.195ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"http://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p>सार्थक कथा </p>
<p>सार्थक कथा </p> हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमा…tag:openbooks.ning.com,2019-08-06:5170231:Comment:9894962019-08-06T09:08:35.368ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।लाज़वाब लघुकथा।मनुष्य की हवस पर करारा व्यंग एवम कटाक्ष।मेरी व्यक्तिगत सोच के हिसाब से अंतिम पंक्ति नहीं भी लिखते तो भी लघुकथा का संदेश पूरा हो गया था।सादर।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।लाज़वाब लघुकथा।मनुष्य की हवस पर करारा व्यंग एवम कटाक्ष।मेरी व्यक्तिगत सोच के हिसाब से अंतिम पंक्ति नहीं भी लिखते तो भी लघुकथा का संदेश पूरा हो गया था।सादर।</p>