Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T10:52:05Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A980707&xn_auth=noजनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी…tag:openbooks.ning.com,2019-04-15:5170231:Comment:9807772019-04-15T17:45:22.743ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुहब्बत की ख़ातिर ज़िगर कीजिये ।</span><br></br><span>अभी से न यूँ चश्मे तर कीजिये ।।'</span></p>
<p><span>मतले के ऊला मिसरे का शिल्प कमज़ोर है,और सानी में 'चश्म' शब्द में इज़फ़त मुनासिब नहीं,मतला यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'महब्बत में पत्थर जिगर कीजिये</span></p>
<p><span>अभी से न यूँ चश्म तर कीजिये'</span></p>
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<p>'वो पढ़ते हैं जब खत के हर हर्फ़ को ।'</p>
<p>इस मिसरे को यूँ कर…</p>
<p>जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'मुहब्बत की ख़ातिर ज़िगर कीजिये ।</span><br/><span>अभी से न यूँ चश्मे तर कीजिये ।।'</span></p>
<p><span>मतले के ऊला मिसरे का शिल्प कमज़ोर है,और सानी में 'चश्म' शब्द में इज़फ़त मुनासिब नहीं,मतला यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'महब्बत में पत्थर जिगर कीजिये</span></p>
<p><span>अभी से न यूँ चश्म तर कीजिये'</span></p>
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<p>'वो पढ़ते हैं जब खत के हर हर्फ़ को ।'</p>
<p>इस मिसरे को यूँ कर लें तो गेयता बढ़ जाएगी:-</p>
<p>'हरिक हर्फ़ ख़त का वो पढ़ते हैं जब'</p>
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<p><span>'है उतरा जमीं पर अगर चाँद है</span></p>
<p><span> तो रुख आज अपना उधर कीजिये'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में दो बार 'है' शब्द खटक रहा है,और सानी में 'आज'शब्द भर्ती का है,शैर यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'ज़मीं पर अगर चाँद उतरा मियाँ</span></p>
<p><span>तो रुख़ आप अपना उधर कीजिये' </span></p> आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी स…tag:openbooks.ning.com,2019-04-13:5170231:Comment:9807442019-04-13T16:38:37.195Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooks.ning.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर नमस्कार , शानदार ग़ज़ल हुई है, बहुत बहुत बधाई आपको - बसंत </p>
<p>आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर नमस्कार , शानदार ग़ज़ल हुई है, बहुत बहुत बधाई आपको - बसंत </p>