Comments - खैरमक़दम हमारा हुआ तो हुआ - Open Books Online2024-03-28T21:48:55Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A980243&xn_auth=noआ0 समर कबीर साहब सादर नमन के…tag:openbooks.ning.com,2019-04-09:5170231:Comment:9803422019-04-09T06:13:08.909ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 समर कबीर साहब सादर नमन के साथ आभार</p>
<p>आ0 समर कबीर साहब सादर नमन के साथ आभार</p> आ0 बृजेश कुमार ब्रज जी हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2019-04-09:5170231:Comment:9804152019-04-09T06:11:23.148ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 बृजेश कुमार ब्रज जी हार्दिक आभार </p>
<p>आ0 बृजेश कुमार ब्रज जी हार्दिक आभार </p> बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय त्रि…tag:openbooks.ning.com,2019-04-09:5170231:Comment:9803322019-04-09T03:45:21.629Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय त्रिपाठी जी..</p>
<p>बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय त्रिपाठी जी..</p> जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी…tag:openbooks.ning.com,2019-04-08:5170231:Comment:9802002019-04-08T06:08:24.675ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुझको मालूम था तीर तरकस में है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'तरकस' को "तरकश" कर लें ।</span></p>
<p>जनाब डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुझको मालूम था तीर तरकस में है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'तरकस' को "तरकश" कर लें ।</span></p> आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आ…tag:openbooks.ning.com,2019-04-07:5170231:Comment:9802622019-04-07T10:20:43.085ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।</p> आ0 सुशील शरण साहब हार्दिक आभा…tag:openbooks.ning.com,2019-04-07:5170231:Comment:9802602019-04-07T10:20:03.756ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 सुशील शरण साहब हार्दिक आभार। तहे दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आ0 सुशील शरण साहब हार्दिक आभार। तहे दिल से शुक्रिया।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि…tag:openbooks.ning.com,2019-04-06:5170231:Comment:9801852019-04-06T13:37:44.813ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>फर्क पड़ता कहाँ अब सियासत पे है ।</span><br/><span>रिश्वतों पर खुलासा हुआ तो हुआ ।।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>फर्क पड़ता कहाँ अब सियासत पे है ।</span><br/><span>रिश्वतों पर खुलासा हुआ तो हुआ ।।</span></p> ख़ैरमक़दम हमारा हुआ तो हुआ ।वार…tag:openbooks.ning.com,2019-04-05:5170231:Comment:9799952019-04-05T09:21:11.525ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>ख़ैरमक़दम हमारा हुआ तो हुआ ।<br/>वार फिर. कातिलाना हुआ तो हुआ ।।</p>
<p>फर्क पड़ता कहाँ अब सियासत पे है ।<br/>रिश्वतों पर खुलासा हुआ तो हुआ ।।</p>
<p>वाह जनाब वाह बहुत खूब .... सियासत के पैरहन को खूब उधेड़ा है आपने .. इस ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई आदरणीय नवीन जी ।</p>
<p>ख़ैरमक़दम हमारा हुआ तो हुआ ।<br/>वार फिर. कातिलाना हुआ तो हुआ ।।</p>
<p>फर्क पड़ता कहाँ अब सियासत पे है ।<br/>रिश्वतों पर खुलासा हुआ तो हुआ ।।</p>
<p>वाह जनाब वाह बहुत खूब .... सियासत के पैरहन को खूब उधेड़ा है आपने .. इस ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई आदरणीय नवीन जी ।</p>