Comments - ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर) - Open Books Online2024-03-28T17:17:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A972843&xn_auth=no'इश्क़ में भी अब तिजा रत हो र…tag:openbooks.ning.com,2019-07-20:5170231:Comment:9883952019-07-20T06:31:24.559ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p><span>'इश्क़ में भी अब तिजा रत हो रही तस्दीक है</span><br/><span>तुम किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर'</span></p>
<p></p>
<p><span>इस शेर की एक सूरत ये भी हो सकती है :</span></p>
<p></p>
<p><span>इश्क़ में भी याँ तिजारत है मियाँ तस्दीक तुम <br/>अब किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर</span></p>
<p></p>
<p>सादर </p>
<p><span>'इश्क़ में भी अब तिजा रत हो रही तस्दीक है</span><br/><span>तुम किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर'</span></p>
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<p><span>इस शेर की एक सूरत ये भी हो सकती है :</span></p>
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<p><span>इश्क़ में भी याँ तिजारत है मियाँ तस्दीक तुम <br/>अब किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर</span></p>
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<p>सादर </p> आदरणीय तस्दीक साहब, खूबसूरत अ…tag:openbooks.ning.com,2019-07-20:5170231:Comment:9884422019-07-20T06:21:33.992ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय तस्दीक साहब, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.</p>
<p></p>
<p><span>इश्क़ में भी अब तिजारत हो रही तस्दीक है > इश्क़ में भी अब तिजारत है मियाँ तस्दीक याँ</span></p>
<p></p>
<p>आदरणीय तस्दीक साहब, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.</p>
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<p><span>इश्क़ में भी अब तिजारत हो रही तस्दीक है > इश्क़ में भी अब तिजारत है मियाँ तस्दीक याँ</span></p>
<p></p> जनाब बलराम साहिब , ग़ज़ल पर…tag:openbooks.ning.com,2019-02-13:5170231:Comment:9747382019-02-13T02:54:17.143ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब बलराम साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I </p>
<p>जनाब बलराम साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I </p> आदरणीय तस्दीक़ भाई, ग़ज़ल के सभी…tag:openbooks.ning.com,2019-02-11:5170231:Comment:9747102019-02-11T17:39:06.796ZBalram Dhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय तस्दीक़ भाई, ग़ज़ल के सभी शेर क़ाबिले तारीफ़ हैं।</p>
<p>दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय तस्दीक़ भाई, ग़ज़ल के सभी शेर क़ाबिले तारीफ़ हैं।</p>
<p>दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं।</p>
<p>सादर।</p> जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब,…tag:openbooks.ning.com,2019-02-05:5170231:Comment:9728842019-02-05T09:07:12.046ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रियाऔर हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I </p>
<p>जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रियाऔर हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I </p> आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर…tag:openbooks.ning.com,2019-02-05:5170231:Comment:9727862019-02-05T01:45:22.009Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आने वाली है तबाही मुल्क में लगता है ये<br/>डूबी मज़हब के समुन्दर में सियासत देख कर l</p>
<p>बहुत खूब..</p>
<p>आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आने वाली है तबाही मुल्क में लगता है ये<br/>डूबी मज़हब के समुन्दर में सियासत देख कर l</p>
<p>बहुत खूब..</p> मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब,…tag:openbooks.ning.com,2019-02-04:5170231:Comment:9727802019-02-04T16:17:35.095ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I </p>
<p>मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I </p> जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अ…tag:openbooks.ning.com,2019-02-04:5170231:Comment:9728682019-02-04T15:49:44.361ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p>जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>