Comments - एक रदीफ़ पर दो ग़ज़लें "छत पर " (गज़ल राज ) - Open Books Online2024-03-29T11:06:09Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A970372&xn_auth=noएक ही रदीफ़ पर दो अलग-अलग भाव…tag:openbooks.ning.com,2019-01-27:5170231:Comment:9720132019-01-27T05:44:52.156ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>एक ही रदीफ़ पर दो अलग-अलग भाव प्रस्तुत करती इन ख़ूबसूरत ग़ज़लों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया राजेश मैम. सादर.</p>
<p>एक ही रदीफ़ पर दो अलग-अलग भाव प्रस्तुत करती इन ख़ूबसूरत ग़ज़लों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया राजेश मैम. सादर.</p> आद० रवि भैया आपको ग़ज़लें पसंद…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9718672019-01-26T18:12:44.383Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० रवि भैया आपको ग़ज़लें पसंद आई दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ </p>
<p>आद० रवि भैया आपको ग़ज़लें पसंद आई दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ </p> आदरणीय राजेश दीदी आपकी दोनों…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9716722019-01-26T16:09:42.448ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय राजेश दीदी आपकी दोनों ग़ज़ले अच्छी लगी । आपको पहली बार हास्य के अंदाज में गज़ल कहते देखा जिन दो शेर की तरफ समर साहब ने इशारा किया उन पर हमारा भी ध्यान गया था। उनकी इस्लाह से बेहतर होंजयेंगे मफ़हूम । हमने भी छत परकरदीफ़ से एक ग़ज़ल कही थी कभी।</p>
<p>आदरणीय राजेश दीदी आपकी दोनों ग़ज़ले अच्छी लगी । आपको पहली बार हास्य के अंदाज में गज़ल कहते देखा जिन दो शेर की तरफ समर साहब ने इशारा किया उन पर हमारा भी ध्यान गया था। उनकी इस्लाह से बेहतर होंजयेंगे मफ़हूम । हमने भी छत परकरदीफ़ से एक ग़ज़ल कही थी कभी।</p> आद० सतविंदर भैया आपका बेहद शु…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9711672019-01-26T04:08:37.482Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० सतविंदर भैया आपका बेहद शुक्रिया .</p>
<p>आद० सतविंदर भैया आपका बेहद शुक्रिया .</p> आद० अजय तिवारी जी आपको ग़ज़लें…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9712692019-01-26T04:08:05.032Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० अजय तिवारी जी आपको ग़ज़लें पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>आद० अजय तिवारी जी आपको ग़ज़लें पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया </p> आद० लक्ष्मण भैया आपको ग़ज़लें प…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9714722019-01-26T04:07:31.720Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० लक्ष्मण भैया आपको ग़ज़लें पसंद आई आपका दिल से बेहद शुक्रिया </p>
<p>आद० लक्ष्मण भैया आपको ग़ज़लें पसंद आई आपका दिल से बेहद शुक्रिया </p> आदरणीय राजेश जी, दोनों ग़ज़लें…tag:openbooks.ning.com,2019-01-24:5170231:Comment:9708372019-01-24T12:28:34.091ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय राजेश जी, दोनों ग़ज़लें अच्छी हैं. हार्दिक बधाई.</p>
<p>आदरणीय राजेश जी, दोनों ग़ज़लें अच्छी हैं. हार्दिक बधाई.</p> आदरणीया राजेश दीदी, सादर नमन!…tag:openbooks.ning.com,2019-01-24:5170231:Comment:9709212019-01-24T01:16:35.218Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीया राजेश दीदी, सादर नमन! दोनों ही गजल बेहतरीन कही आपने। जय जय</p>
<p>आदरणीया राजेश दीदी, सादर नमन! दोनों ही गजल बेहतरीन कही आपने। जय जय</p> आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । द…tag:openbooks.ning.com,2019-01-23:5170231:Comment:9708192019-01-23T14:02:00.214Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । दोनों ही गजलें बेहतरीन हुयी हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । दोनों ही गजलें बेहतरीन हुयी हैं । हार्दिक बधाई ।</p> आद० दयाराम मथानी जी आपको ग़ज़ले…tag:openbooks.ning.com,2019-01-23:5170231:Comment:9707122019-01-23T14:01:33.195Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० दयाराम मथानी जी आपको ग़ज़लें पसंद आई दिल से शुक्रगुजार हूँ </p>
<p>आद० दयाराम मथानी जी आपको ग़ज़लें पसंद आई दिल से शुक्रगुजार हूँ </p>