Comments - अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये - Open Books Online2024-03-29T10:15:44Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A964058&xn_auth=noआ0 दयाराम मैथानी साहब तहे दिल…tag:openbooks.ning.com,2018-12-01:5170231:Comment:9645152018-12-01T17:47:54.369ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 दयाराम मैथानी साहब तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>आ0 दयाराम मैथानी साहब तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।</p> आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी,…tag:openbooks.ning.com,2018-12-01:5170231:Comment:9644582018-12-01T17:21:00.993ZDayaram Methanihttp://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, बहुत सुंदर गज़ल कही है। बधाई स्वीकार करें। निम्न शेर बहुत पसंद आया।...</p>
<p dir="ltr">ये फिक्र हमें भी है कि आबाद हो चमन ।<br/>पैदा न वतन में कोई तूफ़ान कीजिये ।।</p>
<p>आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, बहुत सुंदर गज़ल कही है। बधाई स्वीकार करें। निम्न शेर बहुत पसंद आया।...</p>
<p dir="ltr">ये फिक्र हमें भी है कि आबाद हो चमन ।<br/>पैदा न वतन में कोई तूफ़ान कीजिये ।।</p> वाह वाह, बहुत ख़ूब, आदरणीय नवी…tag:openbooks.ning.com,2018-12-01:5170231:Comment:9642852018-12-01T06:10:27.218Zराज़ नवादवीhttp://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p>वाह वाह, बहुत ख़ूब, आदरणीय नवीन शंकर त्रिपाठी जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ बधाई. सादर. </p>
<p></p>
<p dir="ltr">गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।<br/>अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।</p>
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<p dir="ltr">भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।<br/>कितना गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।। क्या कहने. वाह वाह </p>
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<p>वाह वाह, बहुत ख़ूब, आदरणीय नवीन शंकर त्रिपाठी जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ बधाई. सादर. </p>
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<p dir="ltr">गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।<br/>अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।</p>
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<p dir="ltr">भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।<br/>कितना गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।। क्या कहने. वाह वाह </p>
<p></p> आ0 कबीर सर नई बह्र पर आप ने ग…tag:openbooks.ning.com,2018-12-01:5170231:Comment:9642012018-12-01T05:51:45.403ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर सर नई बह्र पर आप ने गौर किया और ग़ज़ल को चेक इसके लिए शत शत आभार और नमन ।</p>
<p>आ0 कबीर सर नई बह्र पर आप ने गौर किया और ग़ज़ल को चेक इसके लिए शत शत आभार और नमन ।</p> जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2018-12-01:5170231:Comment:9644292018-12-01T05:36:52.404ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ख़ुद साख़ता(अपने बनाये)अरकान पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,इस प्रयोग के लिए बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ख़ुद साख़ता(अपने बनाये)अरकान पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,इस प्रयोग के लिए बधाई स्वीकार करें ।</p>