Comments - 'सेटिंग' या 'अवलम्बन' (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T07:18:14Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A949084&xn_auth=noरचना के अनुमोदन और मेरी हौसला…tag:openbooks.ning.com,2018-09-23:5170231:Comment:9496682018-09-23T04:30:43.508ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>रचना के अनुमोदन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. <strong>विजय शंकर</strong> साहिब और आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहिब</a></p>
<p>रचना के अनुमोदन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. <strong>विजय शंकर</strong> साहिब और आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहिब</a></p> सामयिक एवं सार्थक प्रस्तुति क…tag:openbooks.ning.com,2018-09-22:5170231:Comment:9498172018-09-22T15:22:17.694ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>सामयिक एवं सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई , आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी , सादर।</p>
<p>सामयिक एवं सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई , आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी , सादर।</p> आ. भाई शेख शहजाद जी, बेहतरीन…tag:openbooks.ning.com,2018-09-19:5170231:Comment:9491732018-09-19T13:42:49.005Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शेख शहजाद जी, बेहतरीन कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई शेख शहजाद जी, बेहतरीन कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p> अपने विचार सांझा करते हुए अनु…tag:openbooks.ning.com,2018-09-18:5170231:Comment:9491462018-09-18T15:29:44.277ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>अपने विचार सांझा करते हुए अनुमोदन और.हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब<span> </span><strong>समर कबीर</strong><span> </span>साहिब, जनाब<span> </span><strong>सुशील सरना</strong><span> </span>साहिब और जनाब </p>
<p><span> </span><a class="fn url" href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" rel="nofollow">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a><span> साहिब, जनाब <strong>तेजवीर सिंह</strong> साहिब और मुहतरमा <em><strong>नीलम उपाध्याय</strong></em> …</span></p>
<p>अपने विचार सांझा करते हुए अनुमोदन और.हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब<span> </span><strong>समर कबीर</strong><span> </span>साहिब, जनाब<span> </span><strong>सुशील सरना</strong><span> </span>साहिब और जनाब </p>
<p><span> </span><a rel="nofollow" href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a><span> साहिब, जनाब <strong>तेजवीर सिंह</strong> साहिब और मुहतरमा <em><strong>नीलम उपाध्याय</strong></em> साहिबा।</span></p>
<p><span style="text-decoration: underline;"><strong>कृपया यह भी बताया कीजिए कि मेरी ब्लॉग पोस्ट्स में कौन.सी लघुकथा हो सकी और कौन सी नहीं , आपकी व सुधीजन की राय में!</strong></span></p> आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ..…tag:openbooks.ning.com,2018-09-18:5170231:Comment:9494272018-09-18T13:43:10.143ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... आप अगर नेताओं की सोच का पोस्टमार्टम करते रहे तो चुनाव कैसे होंगे। हा हा हा ... सोच की तहें उधेड़ती अति सुंदर व्याख्या। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... आप अगर नेताओं की सोच का पोस्टमार्टम करते रहे तो चुनाव कैसे होंगे। हा हा हा ... सोच की तहें उधेड़ती अति सुंदर व्याख्या। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p> आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी जी सादर…tag:openbooks.ning.com,2018-09-18:5170231:Comment:9492502018-09-18T09:03:29.750Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी आपने। बधाई निवेदित है।सादर</p>
<p>आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी आपने। बधाई निवेदित है।सादर</p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2018-09-18:5170231:Comment:9492462018-09-18T08:59:51.310ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय शेख उस्मानी जी, नमस्का…tag:openbooks.ning.com,2018-09-17:5170231:Comment:9491062018-09-17T09:21:59.830ZNeelam Upadhyayahttp://openbooks.ning.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय शेख उस्मानी जी, नमस्कार। सघन राजनीती का पूरा किस्सा बयां कर दिया आपने। क्या जो चित्रण किया। है। बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>आदरणीय शेख उस्मानी जी, नमस्कार। सघन राजनीती का पूरा किस्सा बयां कर दिया आपने। क्या जो चित्रण किया। है। बधाई स्वीकार करें। </p> हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मा…tag:openbooks.ning.com,2018-09-17:5170231:Comment:9492112018-09-17T04:52:26.661ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।वर्तमान राजनीति का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया।समाज सेवा के नाम पर उल्लू बनाना ही आज देश भक्ति कहलाता है।बेहतरीन लघुकथा।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।वर्तमान राजनीति का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया।समाज सेवा के नाम पर उल्लू बनाना ही आज देश भक्ति कहलाता है।बेहतरीन लघुकथा।</p>