Comments - सुबह का इंतज़ार (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T12:50:12Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A948550&xn_auth=no आदरणीय मिर्ज़ा हाफिज बेग जी,…tag:openbooks.ning.com,2018-09-17:5170231:Comment:9491182018-09-17T10:00:39.992ZNeelam Upadhyayahttp://openbooks.ning.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p> आदरणीय मिर्ज़ा हाफिज बेग जी, नमस्कार। आज की ज्वलंत समस्या - बेरोजगारी पर कटाक्ष करती बहुत ही उम्दा लघुकथा। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>
<p> आदरणीय मिर्ज़ा हाफिज बेग जी, नमस्कार। आज की ज्वलंत समस्या - बेरोजगारी पर कटाक्ष करती बहुत ही उम्दा लघुकथा। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p> आपने रोज़गार से जुड़ी समस्या…tag:openbooks.ning.com,2018-09-16:5170231:Comment:9490962018-09-16T15:05:45.747ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
<p> आपने रोज़गार से जुड़ी समस्या पर कथा जरिये प्रकाश डाला है जीवन से जुड़े चक्रव्यूह को भेदने के लिये धैर्य व भरोसे का होना ज़रूरी है ।हर रात के बाद सुबह आती है ,बधाई आद० हफ़ीज़ बैग जी ।</p>
<p> आपने रोज़गार से जुड़ी समस्या पर कथा जरिये प्रकाश डाला है जीवन से जुड़े चक्रव्यूह को भेदने के लिये धैर्य व भरोसे का होना ज़रूरी है ।हर रात के बाद सुबह आती है ,बधाई आद० हफ़ीज़ बैग जी ।</p> जनाब हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब,अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2018-09-16:5170231:Comment:9488972018-09-16T12:29:10.071ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> स्थायी संतोषजनक रोज़गार की समस…tag:openbooks.ning.com,2018-09-14:5170231:Comment:9487312018-09-14T15:22:19.727ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>स्थायी संतोषजनक रोज़गार की समस्याओं और पहेलियों और नेताओं के बड़बोलेपन पर बढ़िया कटाक्ष करती रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब <em><strong>मिर्ज़ा ह़ाफ़िज़ बेग</strong></em> साहिब। थोड़ा और समय देकर टंकण त्रुटियाँ सुधारते हुए इसमें अधिक निखार लाया जा सकता है, ऐसा लगा। सादर।</p>
<p>स्थायी संतोषजनक रोज़गार की समस्याओं और पहेलियों और नेताओं के बड़बोलेपन पर बढ़िया कटाक्ष करती रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब <em><strong>मिर्ज़ा ह़ाफ़िज़ बेग</strong></em> साहिब। थोड़ा और समय देकर टंकण त्रुटियाँ सुधारते हुए इसमें अधिक निखार लाया जा सकता है, ऐसा लगा। सादर।</p> आद0 मिर्ज़ा हाफ़िज़ सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2018-09-14:5170231:Comment:9486852018-09-14T13:25:11.702Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 मिर्ज़ा हाफ़िज़ सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार कीजिये।</p>
<p>आद0 मिर्ज़ा हाफ़िज़ सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार कीजिये।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा हफ़…tag:openbooks.ning.com,2018-09-14:5170231:Comment:9486802018-09-14T11:00:23.693ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग जी। आज के हालात पर बेहतरीन कटाक्ष करती सुंदर लघुकथा।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग जी। आज के हालात पर बेहतरीन कटाक्ष करती सुंदर लघुकथा।</p>