Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T15:57:02Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A942450&xn_auth=noआपके अमूल्य मार्गदर्शन के लिय…tag:openbooks.ning.com,2018-08-01:5170231:Comment:9427982018-08-01T13:20:48.845ZKishorekanthttp://openbooks.ning.com/profile/Kishorekant
<p><span style="font-size: 14pt;">आपके अमूल्य मार्गदर्शन के लिये मेरा धन्यवाद स्विकार करें ।आगेभ आपका सहयोग अपेक्षित !</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">सादर </span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आपके अमूल्य मार्गदर्शन के लिये मेरा धन्यवाद स्विकार करें ।आगेभ आपका सहयोग अपेक्षित !</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">सादर </span></p> एक बात ये कि शब्द पूरा होने प…tag:openbooks.ning.com,2018-08-01:5170231:Comment:9429702018-08-01T11:39:44.028ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>एक बात ये कि शब्द पूरा होने पर स्पेस दिया करें ,जैसे 'हमारेही'--"हमारे ही"-</p>
<p>'ख़ामोशियोंको'--"ख़ामोशियों को" वग़ैरह ।</p>
<p>एक बात ये कि शब्द पूरा होने पर स्पेस दिया करें ,जैसे 'हमारेही'--"हमारे ही"-</p>
<p>'ख़ामोशियोंको'--"ख़ामोशियों को" वग़ैरह ।</p> जनाब किशोर एकांत जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2018-08-01:5170231:Comment:9429002018-08-01T09:27:52.712ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब किशोर एकांत जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।</p>
<p></p>
<p>चूँकि ग़ज़ल के क़वाफ़ी मतला तय करता है,इसलिये पहले मतले पर ही बात करते हैं ।</p>
<p>आपने मतले में जो क़वाफ़ी लिए हैं 'अता' और 'ख़ता' आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ये उर्दू में 'तोय' अक्षर के क़वाफ़ी हैं, जबकि आगे के अशआर में 'त' के क़वाफ़ी लिए गए हैं जो मतले की वजह से ग़लत हो रहे हैं,आपको चाहिए कि इस ग़ज़ल में 'आ'स्वरांत क़वाफ़ी लें,इसके लिए मतले के एक मिसरे में क़ाफ़िया…</p>
<p>जनाब किशोर एकांत जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।</p>
<p></p>
<p>चूँकि ग़ज़ल के क़वाफ़ी मतला तय करता है,इसलिये पहले मतले पर ही बात करते हैं ।</p>
<p>आपने मतले में जो क़वाफ़ी लिए हैं 'अता' और 'ख़ता' आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ये उर्दू में 'तोय' अक्षर के क़वाफ़ी हैं, जबकि आगे के अशआर में 'त' के क़वाफ़ी लिए गए हैं जो मतले की वजह से ग़लत हो रहे हैं,आपको चाहिए कि इस ग़ज़ल में 'आ'स्वरांत क़वाफ़ी लें,इसके लिए मतले के एक मिसरे में क़ाफ़िया बदलने से काम हो जायेगा,मतले का ऊला मिसरा यूँ कर लें:-</p>
<p>'हमारे ही मुक़द्दर में जुदाई क्यों सज़ा कर दी'</p>
<p></p>
<p>//<span>मेरी तक़दीरसे, ख़ुशियाँ सभी क्यों लापता करदीं //</span></p>
<p><span>इस मिसरे में रदीफ़ बदल गई है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'मेरी तक़दीर से हर इक ख़ुशी क्यों लापता कर दी'</span></p>
<p></p>
<p></p>
<p><span>// तुम्हारा ज़िक्र क्या आया,खुदा या दासताँ करदी//</span></p>
<p><span>इस मिसरे में क़ाफ़िया दोष है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p></p>
<p>'तुम्हारा ज़िक्र क्या आया,क़यामत इक बपा कर दी'</p>
<p></p>
<p>//<span>हमें ये देखना, आते हो तुम की या कता करदी //</span></p>
<p><span>इस मिसरे में भी क़ाफ़िया दोष है,इस मिसरे को बदलकर यूँ करना होगा:-</span></p>
<p><span>'मगर तुमने तो जानाँ भूलने की इन्तिहा कर दी'</span></p>
<p><span>बाक़ी शुभ शुभ ।</span></p>
<p></p> //तुम्हारी राह पर आँखें बिछाय…tag:openbooks.ning.com,2018-08-01:5170231:Comment:9430162018-08-01T08:59:06.562Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>तुम्हारी राह पर आँखें बिछायें हम खड़े अबतक०</span><br/><span>हमें ये देखना, आते हो तुम की या कता करदी ।।//</span></p>
<p></p>
<p><span>वाह ! </span></p>
<p>आपकी गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, किशोर कांत जी।</p>
<p>//<span>तुम्हारी राह पर आँखें बिछायें हम खड़े अबतक०</span><br/><span>हमें ये देखना, आते हो तुम की या कता करदी ।।//</span></p>
<p></p>
<p><span>वाह ! </span></p>
<p>आपकी गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, किशोर कांत जी।</p> आदरणीय अमरमणि जी, आपकी प्रेरण…tag:openbooks.ning.com,2018-07-31:5170231:Comment:9427572018-07-31T16:10:37.840ZKishorekanthttp://openbooks.ning.com/profile/Kishorekant
<p><span style="font-size: 14pt;">आदरणीय अमरमणि जी, आपकी प्रेरणादायी टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवाद ।</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">गुणीजनों के मार्गदर्शन के लिये आतुर हूँ ।</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आदरणीय अमरमणि जी, आपकी प्रेरणादायी टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवाद ।</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">गुणीजनों के मार्गदर्शन के लिये आतुर हूँ ।</span></p> आ0 किशोर कांत साहब बहुत सुं…tag:openbooks.ning.com,2018-07-31:5170231:Comment:9429202018-07-31T16:04:30.020ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 किशोर कांत साहब बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई । मझे हर शेर अच्छे लगे । बाकी गुण दोष ग़ज़ल के विद्वान् देझेंगे । मेरी ओर से हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ0 किशोर कांत साहब बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई । मझे हर शेर अच्छे लगे । बाकी गुण दोष ग़ज़ल के विद्वान् देझेंगे । मेरी ओर से हार्दिक बधाई ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय किशोर कां…tag:openbooks.ning.com,2018-07-31:5170231:Comment:9429092018-07-31T15:19:53.045ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय किशोर कांत जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय किशोर कांत जी।बेहतरीन गज़ल।</p> आपका बहुत बहुत आभार श्री श्या…tag:openbooks.ning.com,2018-07-31:5170231:Comment:9427172018-07-31T12:19:12.913ZKishorekanthttp://openbooks.ning.com/profile/Kishorekant
<p><span style="font-size: 14pt;">आपका बहुत बहुत आभार श्री श्याम नारायण वर्मा जी ।</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">कृपा बनाये रक्खें, </span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">सादर ।</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आपका बहुत बहुत आभार श्री श्याम नारायण वर्मा जी ।</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">कृपा बनाये रक्खें, </span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">सादर ।</span></p> आदरणीय वसंतकुमार शर्माजी, ग़…tag:openbooks.ning.com,2018-07-31:5170231:Comment:9426322018-07-31T11:46:09.250ZKishorekanthttp://openbooks.ning.com/profile/Kishorekant
<p>आदरणीय वसंतकुमार शर्माजी, ग़ज़ल पसंद करनेकी धन्यवाद ।दास्ताँ पर मैं भी दुविधामें हूँ।मुझे योग्य विकल्प नहीं मिला इसलिये धृष्टता की है ?</p>
<p>मंचसे मार्गदर्शन चाहूँगा ।</p>
<p>सादर ।</p>
<p>आदरणीय वसंतकुमार शर्माजी, ग़ज़ल पसंद करनेकी धन्यवाद ।दास्ताँ पर मैं भी दुविधामें हूँ।मुझे योग्य विकल्प नहीं मिला इसलिये धृष्टता की है ?</p>
<p>मंचसे मार्गदर्शन चाहूँगा ।</p>
<p>सादर ।</p> बहुत ही सुन्दर , हार्दिक बध…tag:openbooks.ning.com,2018-07-31:5170231:Comment:9426302018-07-31T11:46:00.677ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
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<tbody><tr><td width="576">बहुत ही सुन्दर , हार्दिक बधाई आपको ………….. सादर </td>
</tr>
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<tbody><tr><td width="576">बहुत ही सुन्दर , हार्दिक बधाई आपको ………….. सादर </td>
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