Comments - पास रहते लोग से हम दूर कितने हो गए - Open Books Online2024-03-29T09:47:03Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A935929&xn_auth=noहार्दिक आभार आप सभी महानुभावो…tag:openbooks.ning.com,2018-06-29:5170231:Comment:9376302018-06-29T08:03:01.458ZNeeraj Neerhttp://openbooks.ning.com/profile/NeerajKumarNeer
हार्दिक आभार आप सभी महानुभावों का
हार्दिक आभार आप सभी महानुभावों का आदरणीय नीरज जी इस बढ़िया रचना…tag:openbooks.ning.com,2018-06-29:5170231:Comment:9376182018-06-29T06:38:49.268ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीय नीरज जी इस बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
आदरणीय नीरज जी इस बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर आदरणीय नीरज जी
नमस्कार बहुत ह…tag:openbooks.ning.com,2018-06-27:5170231:Comment:9364732018-06-27T08:20:18.422Zरक्षिता सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/RakshitaSingh
<p>आदरणीय नीरज जी</p>
<p>नमस्कार बहुत ही खूबसूरत गजल ...मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।</p>
<p>आदरणीय नीरज जी</p>
<p>नमस्कार बहुत ही खूबसूरत गजल ...मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।</p> आ. भाई नीरज जी, अच्छे असआर हु…tag:openbooks.ning.com,2018-06-26:5170231:Comment:9362422018-06-26T15:13:16.512Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई नीरज जी, अच्छे असआर हुये हैं हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई नीरज जी, अच्छे असआर हुये हैं हार्दिक बधाई।</p> हार्दिक आभार जनाब समर साहब .…tag:openbooks.ning.com,2018-06-26:5170231:Comment:9361872018-06-26T15:07:22.551ZNeeraj Neerhttp://openbooks.ning.com/profile/NeerajKumarNeer
<p>हार्दिक आभार जनाब समर साहब .... </p>
<p>हार्दिक आभार जनाब समर साहब .... </p> आपने जो मिसरा लिखा है वो शिल्…tag:openbooks.ning.com,2018-06-26:5170231:Comment:9363072018-06-26T05:50:24.729ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>आपने जो मिसरा लिखा है वो शिल्प और व्याकरण की दृष्टि से ठीक नहीं'चुनआव' कोई शब्द नहीं है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</p>
<p>'क़त्ल करना काम था जिनका हमेशा दोस्तो'</p>
<p>आपने जो मिसरा लिखा है वो शिल्प और व्याकरण की दृष्टि से ठीक नहीं'चुनआव' कोई शब्द नहीं है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</p>
<p>'क़त्ल करना काम था जिनका हमेशा दोस्तो'</p> जनाब समर साहब उसको इस तरह करन…tag:openbooks.ning.com,2018-06-25:5170231:Comment:9358942018-06-25T17:19:07.804ZNeeraj Neerhttp://openbooks.ning.com/profile/NeerajKumarNeer
जनाब समर साहब उसको इस तरह करने की कोशिश की है<br />
क़त्ल का था काम जिनका क़ब्ल बस चुनआव के
जनाब समर साहब उसको इस तरह करने की कोशिश की है<br />
क़त्ल का था काम जिनका क़ब्ल बस चुनआव के अब जबकि आपका संदेह दूर हो गया…tag:openbooks.ning.com,2018-06-25:5170231:Comment:9361432018-06-25T16:48:22.002ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>अब जबकि आपका संदेह दूर हो गया तो,आख़री शैर के ऊला मिसरे को कैसे दुरुस्त करेंगे?</p>
<p>अब जबकि आपका संदेह दूर हो गया तो,आख़री शैर के ऊला मिसरे को कैसे दुरुस्त करेंगे?</p> आदरणीय सुशिल सरना जी आपका आभा…tag:openbooks.ning.com,2018-06-25:5170231:Comment:9360042018-06-25T15:25:57.910ZNeeraj Neerhttp://openbooks.ning.com/profile/NeerajKumarNeer
<p>आदरणीय सुशिल सरना जी आपका आभार </p>
<p>आदरणीय सुशिल सरना जी आपका आभार </p> आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी…tag:openbooks.ning.com,2018-06-25:5170231:Comment:9358922018-06-25T15:25:42.859ZNeeraj Neerhttp://openbooks.ning.com/profile/NeerajKumarNeer
<p>आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपका आभार </p>
<p>आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपका आभार </p>