Comments - यहाँ जिंदा की है खबर नहीं यहाँ फोटो पे ही वबाल है - Open Books Online2024-03-28T16:17:21Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A927978&xn_auth=noआदरणीय तेजवीर जी आदरणीय लक्ष…tag:openbooks.ning.com,2018-05-07:5170231:Comment:9294442018-05-07T05:57:31.813ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय तेजवीर जी आदरणीय लक्ष्मण जी आदरणीय सोमेश जी आदरणीय नवीन जी रचना को आप सबका आशीर्वाद मिला मैं ह्रदय से आभारी हूँ / सादर </p>
<p>आदरणीय तेजवीर जी आदरणीय लक्ष्मण जी आदरणीय सोमेश जी आदरणीय नवीन जी रचना को आप सबका आशीर्वाद मिला मैं ह्रदय से आभारी हूँ / सादर </p> Samayik rajnit ko drishtigat…tag:openbooks.ning.com,2018-05-06:5170231:Comment:9292772018-05-06T17:33:35.881Zsomesh kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>Samayik rajnit ko drishtigat rkhte hue achchi gazal likhi aapne</p>
<p>Samayik rajnit ko drishtigat rkhte hue achchi gazal likhi aapne</p> आ. भाई आषुतोष जी, सुंदर गजल ह…tag:openbooks.ning.com,2018-05-06:5170231:Comment:9294312018-05-06T11:32:21.331Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आषुतोष जी, सुंदर गजल हुइ है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई आषुतोष जी, सुंदर गजल हुइ है । हार्दिक बधाई ।</p> बहुत अच्छा प्रयास । कबीर साहब…tag:openbooks.ning.com,2018-05-06:5170231:Comment:9292662018-05-06T10:54:03.537ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>बहुत अच्छा प्रयास । कबीर साहब की बात महत्वपूर्ण होती है ।</p>
<p>बहुत अच्छा प्रयास । कबीर साहब की बात महत्वपूर्ण होती है ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष…tag:openbooks.ning.com,2018-05-06:5170231:Comment:9293952018-05-06T05:53:03.947ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।बेहतरीन गज़ल।</p> आदरणीय सर आपकी इस अनमोल सलाह…tag:openbooks.ning.com,2018-05-05:5170231:Comment:9293752018-05-05T12:51:06.656ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय सर आपकी इस अनमोल सलाह का ख्याल आगे से अवश्य रखूँगा और जल्दबाजी से बचने की कोशिस करूंगा।या ग़ज़ल की गलतियों पर आपका और आदरणीय नीलेश जी का थोडा और मार्गदर्शन चाहिए। आप सबके मार्गदर्शन से ही सीख रहा हूँ ।किसी एक शेर को आप दुरस्त कर दीजियर तदनुसार मैं आगे प्रयास करूंगा सादर प्रणाम के साथ</p>
<p>आदरणीय सर आपकी इस अनमोल सलाह का ख्याल आगे से अवश्य रखूँगा और जल्दबाजी से बचने की कोशिस करूंगा।या ग़ज़ल की गलतियों पर आपका और आदरणीय नीलेश जी का थोडा और मार्गदर्शन चाहिए। आप सबके मार्गदर्शन से ही सीख रहा हूँ ।किसी एक शेर को आप दुरस्त कर दीजियर तदनुसार मैं आगे प्रयास करूंगा सादर प्रणाम के साथ</p> जबाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब…tag:openbooks.ning.com,2018-05-05:5170231:Comment:9289682018-05-05T10:33:09.477ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जबाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>ग़ज़ल कभी आनन फानन कहने की विधा नहीं है,इसमें एक एक शब्द नाप तोल कर रखा जाता है, पहले इत्मीनान से ग़ज़ल कहें फिर एक पाठक की तरह उसका अध्यन करें,तब आप अपनी कमी ख़ुद समझ लेंगे ।</p>
<p>जबाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>ग़ज़ल कभी आनन फानन कहने की विधा नहीं है,इसमें एक एक शब्द नाप तोल कर रखा जाता है, पहले इत्मीनान से ग़ज़ल कहें फिर एक पाठक की तरह उसका अध्यन करें,तब आप अपनी कमी ख़ुद समझ लेंगे ।</p> इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए …tag:openbooks.ning.com,2018-05-05:5170231:Comment:9292202018-05-05T06:20:05.409ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
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<tbody><tr><td width="576">इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई सादर</td>
</tr>
</tbody>
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<tbody><tr><td width="576">इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई सादर</td>
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</table> आदरणीय भाई नीलेश जी इस बेशक…tag:openbooks.ning.com,2018-05-05:5170231:Comment:9280832018-05-05T03:27:12.416ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p> आदरणीय भाई नीलेश जी इस बेशकीमती मशविरे के लिए हृदय से आभारी हूँ अभी तक जितनी ग़ज़ल बड़ी बहर में लिखी हैं उसमे इस तरह की कमियां आप सभी ने पूर्व में इंगित की थी कल समाचार सुनते ही बिचार मन ने उठा और आनन् फानन में लिख कर पोस्ट कर दी लेकिन आदरणीय आपजी बात को मैं और भली तरह समझ सकूंगा आप थोडा और विस्तार से बताएं कसावट में कमी तो मुझे भी लग रही है लेकिन कैसे ठीक करू सोच रहा हूँ हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर</p>
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<p> आदरणीय भाई नीलेश जी इस बेशकीमती मशविरे के लिए हृदय से आभारी हूँ अभी तक जितनी ग़ज़ल बड़ी बहर में लिखी हैं उसमे इस तरह की कमियां आप सभी ने पूर्व में इंगित की थी कल समाचार सुनते ही बिचार मन ने उठा और आनन् फानन में लिख कर पोस्ट कर दी लेकिन आदरणीय आपजी बात को मैं और भली तरह समझ सकूंगा आप थोडा और विस्तार से बताएं कसावट में कमी तो मुझे भी लग रही है लेकिन कैसे ठीक करू सोच रहा हूँ हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर</p>
<p></p> आ. डॉ आशुतोष जी,कठिन बहर पर ग़…tag:openbooks.ning.com,2018-05-05:5170231:Comment:9279942018-05-05T02:41:50.981ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. डॉ आशुतोष जी,<br/>कठिन बहर पर ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. ग़ज़ल के भाव भी बहुत अच्छे हैं लेकिन मिसरों में आवश्यक कसावट कम है.. वाक्य रचना भी थोड़ी उलझी हुई है ..<br/>ग़ज़ल को थोडा समय और दीजिये... और शेर की जगह मिसरा कहने का प्रयास कीजिये.. मिसरा मिसरा कसता जाएगा फिर ग़ज़ल अपने आप बोलने लगेगी <br/>सादर </p>
<p>आ. डॉ आशुतोष जी,<br/>कठिन बहर पर ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. ग़ज़ल के भाव भी बहुत अच्छे हैं लेकिन मिसरों में आवश्यक कसावट कम है.. वाक्य रचना भी थोड़ी उलझी हुई है ..<br/>ग़ज़ल को थोडा समय और दीजिये... और शेर की जगह मिसरा कहने का प्रयास कीजिये.. मिसरा मिसरा कसता जाएगा फिर ग़ज़ल अपने आप बोलने लगेगी <br/>सादर </p>