Comments - एक ताज़ा ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T12:35:26Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A923595&xn_auth=noजनाब नवीन मणि जी आदाब,सुख़न नव…tag:openbooks.ning.com,2018-04-17:5170231:Comment:9254462018-04-17T16:38:50.929ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।</p>
<p>जनाब नवीन मणि जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।</p> वाह सर वाह । आपकी ग़ज़लें तो बह…tag:openbooks.ning.com,2018-04-17:5170231:Comment:9253502018-04-17T16:24:19.778ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>वाह सर वाह । आपकी ग़ज़लें तो बहुत ही अच्छी होती हैं । आपको पढ़कर नए मफ़हूम मिलते हैं । </p>
<p></p>
<p> बहुत ही प्रभवशाली प्रस्तुति है । तहे दिल से बधाई ।।</p>
<p>वाह सर वाह । आपकी ग़ज़लें तो बहुत ही अच्छी होती हैं । आपको पढ़कर नए मफ़हूम मिलते हैं । </p>
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<p> बहुत ही प्रभवशाली प्रस्तुति है । तहे दिल से बधाई ।।</p> जनाब अजय तिवारी साहिब आदाब,सु…tag:openbooks.ning.com,2018-04-09:5170231:Comment:9244072018-04-09T12:53:44.964ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अजय तिवारी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
<p>जनाब अजय तिवारी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p> आदरणीय समर साहब, उम्दा ग़ज़ल ह…tag:openbooks.ning.com,2018-04-09:5170231:Comment:9242822018-04-09T12:33:25.429ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय समर साहब, उम्दा ग़ज़ल हुई है.हार्दिक बधाई.</p>
<p>आदरणीय समर साहब, उम्दा ग़ज़ल हुई है.हार्दिक बधाई.</p> जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़…tag:openbooks.ning.com,2018-04-09:5170231:Comment:9240832018-04-09T05:33:01.651ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:openbooks.ning.com,2018-04-09:5170231:Comment:9241562018-04-09T05:31:47.525ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p> आ. भाई समर जी, सुंदर गजल हुई…tag:openbooks.ning.com,2018-04-09:5170231:Comment:9239892018-04-09T00:06:27.593Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई समर जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आद0 आली जनाब समर साहब सादर प्…tag:openbooks.ning.com,2018-04-08:5170231:Comment:9241462018-04-08T23:15:18.447Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 आली जनाब समर साहब सादर प्रणाम। आपके जानिब से एक बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने को मिली। वाह क्या कहने। वैसे तो सभी शैर लाजबाब, पर कुछ बेहद खास लगे।</p>
<p></p>
<p>मेरे जज़्बात वही शख़्स समझ सकता है</p>
<p>जिसने अफ़साने सुने होंगे दिल-ओ-जाँ वाले</p>
<p>वाह क्या कहन है।</p>
<p></p>
<p>अपने मज़हब की किताबों से गुरेज़ां हैं सब</p>
<p>गीता वाले हों "समर"या कि हों क़ुरआँ वाले</p>
<p>बाकमाल कथ्य।</p>
<p></p>
<p>और सब कुछ यहाँ तब्दील हुआ है लेकिन</p>
<p>घर में दस्तूर हैं अब तक वही अम्माँ वाले</p>
<p>बेजोड़ शैर दिल…</p>
<p>आद0 आली जनाब समर साहब सादर प्रणाम। आपके जानिब से एक बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने को मिली। वाह क्या कहने। वैसे तो सभी शैर लाजबाब, पर कुछ बेहद खास लगे।</p>
<p></p>
<p>मेरे जज़्बात वही शख़्स समझ सकता है</p>
<p>जिसने अफ़साने सुने होंगे दिल-ओ-जाँ वाले</p>
<p>वाह क्या कहन है।</p>
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<p>अपने मज़हब की किताबों से गुरेज़ां हैं सब</p>
<p>गीता वाले हों "समर"या कि हों क़ुरआँ वाले</p>
<p>बाकमाल कथ्य।</p>
<p></p>
<p>और सब कुछ यहाँ तब्दील हुआ है लेकिन</p>
<p>घर में दस्तूर हैं अब तक वही अम्माँ वाले</p>
<p>बेजोड़ शैर दिल को छूता हुआ</p>
<p></p>
<p>शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ</p> जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आद…tag:openbooks.ning.com,2018-04-08:5170231:Comment:9242442018-04-08T16:06:28.272ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।</p> बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है आद…tag:openbooks.ning.com,2018-04-08:5170231:Comment:9240652018-04-08T16:00:59.921Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है आदरणीय..मक़्ता तो लाजबाब है..सादर</p>
<p>बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है आदरणीय..मक़्ता तो लाजबाब है..सादर</p>