Comments - मानवेतर कथा/लघुकथा (अतुकान्त कविता) - Open Books Online2024-03-28T23:17:24Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A921961&xn_auth=noबहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जना…tag:openbooks.ning.com,2018-03-30:5170231:Comment:9224612018-03-30T18:43:11.606ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सोमेश कुमार जी और <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a><span> जी।</span></p>
<p><span>लघुकथा लेखन की एक विधा है "मानवेतर" शैली! जिसमें मूर्त-अमूर्त या पशु--पक्षी/निर्जीव चीजों के मानवीकरण या बिम्बों में कोई लघुकथा कही जाती है किसी तंज/कटाक्ष/शिक्षा/ बोध हेतु। सादर।</span></p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सोमेश कुमार जी और <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a><span> जी।</span></p>
<p><span>लघुकथा लेखन की एक विधा है "मानवेतर" शैली! जिसमें मूर्त-अमूर्त या पशु--पक्षी/निर्जीव चीजों के मानवीकरण या बिम्बों में कोई लघुकथा कही जाती है किसी तंज/कटाक्ष/शिक्षा/ बोध हेतु। सादर।</span></p> आदाब।
तीतर (पक्षी) बीतर---(मा…tag:openbooks.ning.com,2018-03-30:5170231:Comment:9224602018-03-30T18:37:33.743ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब।</p>
<p>तीतर (पक्षी) बीतर---(मात्र तुकबंदी , यहां कबूतर लिख सकते थे) तुकबंदी वाले किसी और पक्षी/पशु.. का नाम सुझाइये!</p>
<p>आदाब।</p>
<p>तीतर (पक्षी) बीतर---(मात्र तुकबंदी , यहां कबूतर लिख सकते थे) तुकबंदी वाले किसी और पक्षी/पशु.. का नाम सुझाइये!</p> ब्लॉग स्पॉट में शीर्षक पढ़कर प…tag:openbooks.ning.com,2018-03-30:5170231:Comment:9223112018-03-30T05:21:32.847Zsomesh kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>ब्लॉग स्पॉट में शीर्षक पढ़कर पहले तो उलझन हुई की आखिर यह कौन सी रचना है पर पढ़कर ज्ञात हुआ की मानवजीवन के साहित्यिक पक्षों को बिबों और प्रतीकों के जरिए पहचानने का प्रयास किया गया है |</p>
<p>अच्छी रचना है |मुबारकबाद कबूल करें |</p>
<p>ब्लॉग स्पॉट में शीर्षक पढ़कर पहले तो उलझन हुई की आखिर यह कौन सी रचना है पर पढ़कर ज्ञात हुआ की मानवजीवन के साहित्यिक पक्षों को बिबों और प्रतीकों के जरिए पहचानने का प्रयास किया गया है |</p>
<p>अच्छी रचना है |मुबारकबाद कबूल करें |</p> उम्दा कविता हुई आदरणीय..tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9221792018-03-29T15:21:21.869Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>उम्दा कविता हुई आदरणीय..</p>
<p>उम्दा कविता हुई आदरणीय..</p> पक्षी केलिए 'तीतर' और "बीतर"?tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9221722018-03-29T12:07:38.734ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>पक्षी केलिए 'तीतर' और "बीतर"?</p>
<p>पक्षी केलिए 'तीतर' और "बीतर"?</p> बिल्कुल सही कहा है आपने। बहुत…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9219792018-03-29T09:45:50.745ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बिल्कुल सही कहा है आपने। बहुत-बहु शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब। पक्षी के लिए 'तीतर' शब्द लिया है प्रतीकात्मक रचना के लिए! </p>
<p>बिल्कुल सही कहा है आपने। बहुत-बहु शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब। पक्षी के लिए 'तीतर' शब्द लिया है प्रतीकात्मक रचना के लिए! </p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9219772018-03-29T09:31:07.149ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा अतुकान्त कविता,शब्दों का खेल,ग़ज़ल हो या कविता या लघुकथा,सब शब्दों का खेल ही तो है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरी पंक्ति में 'तीतर-बीतर' को "तितर बितर" कर लें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा अतुकान्त कविता,शब्दों का खेल,ग़ज़ल हो या कविता या लघुकथा,सब शब्दों का खेल ही तो है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरी पंक्ति में 'तीतर-बीतर' को "तितर बितर" कर लें ।</p> इतने ग़ौर से रचना को पढ़ने और…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9219752018-03-29T09:11:22.246ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>इतने ग़ौर से रचना को पढ़ने और अनुमोदन के साथ हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।</p>
<p>इतने ग़ौर से रचना को पढ़ने और अनुमोदन के साथ हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आ…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9221502018-03-29T02:35:38.659ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही शानदार , प्रभावोत्पादक और सशक्त कविता । शब्द विन्यास क्या ख़ूब ढूँढकर लाएँ हैं आप । शब्दों का क्रमश: उचित चयन काबिले तारीफ है और साथ ही साथ कविता में पीछा करता कटाक्ष भी । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>
<p> आज सुबह एक अच्छी रचना पढ़ने को मिली ।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही शानदार , प्रभावोत्पादक और सशक्त कविता । शब्द विन्यास क्या ख़ूब ढूँढकर लाएँ हैं आप । शब्दों का क्रमश: उचित चयन काबिले तारीफ है और साथ ही साथ कविता में पीछा करता कटाक्ष भी । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>
<p> आज सुबह एक अच्छी रचना पढ़ने को मिली ।</p>