Comments - आदर्शवाद - लघुकथा - Open Books Online2024-03-28T10:07:01Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A921596&xn_auth=no लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रोत्स…tag:openbooks.ning.com,2018-04-02:5170231:Comment:9231432018-04-02T08:41:49.968ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p><span> लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रोत्सहान देती प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार भाई अजय तिवारी जी। शुक्रिया</span></p>
<p><span> लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रोत्सहान देती प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार भाई अजय तिवारी जी। शुक्रिया</span></p> आदरणीय भाई सुरेन्द्र जी, लघुक…tag:openbooks.ning.com,2018-04-02:5170231:Comment:9234392018-04-02T08:40:52.239ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p><span>आदरणीय भाई सुरेन्द्र जी, लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया के लिये दिल से आभार। शुक्रिया भाई जी ...</span></p>
<p><span>आदरणीय भाई सुरेन्द्र जी, लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया के लिये दिल से आभार। शुक्रिया भाई जी ...</span></p> आदरणीया भाई आशुतोष मिश्र जी,…tag:openbooks.ning.com,2018-04-02:5170231:Comment:9234382018-04-02T08:40:03.715ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p><span>आदरणीया भाई आशुतोष मिश्र जी, लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार। शुक्रिया...</span></p>
<p><span>आदरणीया भाई आशुतोष मिश्र जी, लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार। शुक्रिया...</span></p> आदरणीय वीरेंद जी इस लघु कथा क…tag:openbooks.ning.com,2018-03-30:5170231:Comment:9222312018-03-30T08:56:35.184ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय वीरेंद जी इस लघु कथा के माध्यम से आपने सार्थक सन्देश दिया है रचना पर हार्दिक बधाई सादर </p>
<p>आदरणीय वीरेंद जी इस लघु कथा के माध्यम से आपने सार्थक सन्देश दिया है रचना पर हार्दिक बधाई सादर </p> आद0 वीरेंद्र वीर मेहता जी साद…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9220802018-03-29T21:15:12.496Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 वीरेंद्र वीर मेहता जी सादर अभिवादन।बढिया और शशक्त लघुकथा लिखी आपने। इस प्रस्तुति पर बधाई आपको</p>
<p>आद0 वीरेंद्र वीर मेहता जी सादर अभिवादन।बढिया और शशक्त लघुकथा लिखी आपने। इस प्रस्तुति पर बधाई आपको</p> आदरणीय वीरेन्द्र जी, एक संवेद…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9221732018-03-29T12:28:20.381ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय वीरेन्द्र जी, एक संवेदनशील विषय की कथा में इस प्रभावी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p>आदरणीय वीरेन्द्र जी, एक संवेदनशील विषय की कथा में इस प्रभावी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. </p> नैतिकता और आदर्शवादिता के लिए…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9221652018-03-29T09:48:08.991ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p><span>नैतिकता और आदर्शवादिता के लिए पढ़ा-लिखा होना, उच्च शिक्षित होना कतई अनिवार्य नहीं है आदरणीय टिप्पणीकर्ताओं। कबीरदास जी,</span> महापुरुषों और पैग़ंबर हज़रात से हमें सीख लेना चाहिए। </p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब वीरेंद्र वीर मेहता जी आपकी जवाबी टिप्पणी के लिए। कभी कभी मुझे भी लगता है कि पात्र के बड़े संवादों में ही सही भावाव्यक्ति संभव है मेरी लेखनी की शैली में।</p>
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<p>नया शीर्षक सुझाव : // प्रखर आदर्शवाद // प्रखर…</p>
<p><span>नैतिकता और आदर्शवादिता के लिए पढ़ा-लिखा होना, उच्च शिक्षित होना कतई अनिवार्य नहीं है आदरणीय टिप्पणीकर्ताओं। कबीरदास जी,</span> महापुरुषों और पैग़ंबर हज़रात से हमें सीख लेना चाहिए। </p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब वीरेंद्र वीर मेहता जी आपकी जवाबी टिप्पणी के लिए। कभी कभी मुझे भी लगता है कि पात्र के बड़े संवादों में ही सही भावाव्यक्ति संभव है मेरी लेखनी की शैली में।</p>
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<p>नया शीर्षक सुझाव : // प्रखर आदर्शवाद // प्रखर नेकियां//.......... </p>
<p>//मिसालियत-पसंद//....आदि!!!!!</p>
<p></p> पत्थरबाज़ दोषी हो सकते है उनक…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9218782018-03-29T07:34:59.581ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
<p>पत्थरबाज़ दोषी हो सकते है उनके परिवार वाले नही ।आदशवाद विचारों से आता है यदि वे पढ़ेलिखे शिक्षित होते तो एेसी घटनाओं में शामिल ना होते ।समाज की मुख्यधारा शामिल करने से ही से ही उन्है भटकाव से बचाया जा सकता है ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० वीरेंद्र मेहता जी ।</p>
<p>पत्थरबाज़ दोषी हो सकते है उनके परिवार वाले नही ।आदशवाद विचारों से आता है यदि वे पढ़ेलिखे शिक्षित होते तो एेसी घटनाओं में शामिल ना होते ।समाज की मुख्यधारा शामिल करने से ही से ही उन्है भटकाव से बचाया जा सकता है ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० वीरेंद्र मेहता जी ।</p> जी आद. वीरेंद्र भाई जी बहुत ब…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9219652018-03-29T04:21:43.602Zsurender insanhttp://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
<p>जी आद. वीरेंद्र भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका।</p>
<p>जी आद. वीरेंद्र भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका।</p> आदरणीया भाई सुरेन्द्र जी, लघु…tag:openbooks.ning.com,2018-03-28:5170231:Comment:9219532018-03-28T15:39:28.175ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
आदरणीया भाई सुरेन्द्र जी, लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार। शुक्रिया। आपने इसकी शब्द सीमा पर अपनी उत्सुकता दिखाई है। भाई जी रचना एक सामान्य लघुकथा से कुछ अधिक लगती जरूर है लेकिन सीमा से कहीं बाहर नहीँ जाती। वस्तुतः कभी कभी कथ्य भी अपने हिसाब से शब्दों की सीमा को तय कर लेता है।<br />
बाकी लघुकथा के वरिष्ठ अवश्य ही इस पर और अधिक सकारत्मक प्रतिक्रिया दे सकते है। सादर।
आदरणीया भाई सुरेन्द्र जी, लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार। शुक्रिया। आपने इसकी शब्द सीमा पर अपनी उत्सुकता दिखाई है। भाई जी रचना एक सामान्य लघुकथा से कुछ अधिक लगती जरूर है लेकिन सीमा से कहीं बाहर नहीँ जाती। वस्तुतः कभी कभी कथ्य भी अपने हिसाब से शब्दों की सीमा को तय कर लेता है।<br />
बाकी लघुकथा के वरिष्ठ अवश्य ही इस पर और अधिक सकारत्मक प्रतिक्रिया दे सकते है। सादर।