Comments - तरही ग़ज़ल - " पहले ये बतला दो उस ने छुप कर तीर चलाए तो '‘ ( गिरिराज भंडारी ) - Open Books Online2024-03-29T07:06:33Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A893138&xn_auth=noआदरणीय गिरिराज जी,यह एक रीपोस…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8950802017-11-04T18:57:44.561ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय गिरिराज जी,<br></br>यह एक रीपोस्ट है कल की पोस्ट में संबोधन दो बार टाइप हो गया था. उर्दू मेरी भी बहुत अच्छी नहीं है. कोशिश करके पढ़ लेता हूँ लिख नहीं पाता . नुक्ते अब भी परेशान करते हैं. आपके नुक्ते सही जगह लगे देखे इस लिए वह लिंक दे दी थी.<br></br>मुशायरे में मेरी प्रतिक्रिया का उदेश्य सही जानकारी सामने रखना भर था. यह आलेख मुशायरे के सन्दर्भों तक सीमित नहीं है . लिंक हिन्दी में ही है और इस मंच पर ही है:…</p>
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<p>आदरणीय गिरिराज जी,<br/>यह एक रीपोस्ट है कल की पोस्ट में संबोधन दो बार टाइप हो गया था. उर्दू मेरी भी बहुत अच्छी नहीं है. कोशिश करके पढ़ लेता हूँ लिख नहीं पाता . नुक्ते अब भी परेशान करते हैं. आपके नुक्ते सही जगह लगे देखे इस लिए वह लिंक दे दी थी.<br/>मुशायरे में मेरी प्रतिक्रिया का उदेश्य सही जानकारी सामने रखना भर था. यह आलेख मुशायरे के सन्दर्भों तक सीमित नहीं है . लिंक हिन्दी में ही है और इस मंच पर ही है:</p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:894879?xg_source=activity" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:894879?xg_source=activity</a></p>
<p>आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा.<br/>सादर</p> आदरणीय अफ़रोज़ साहब, आपकी उत्स…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8949062017-11-04T18:43:33.203ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय अफ़रोज़ साहब, <br/> आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पा कर ख़ुशी हुई. हार्दिक आभार.<br/> सादर</p>
<p>आदरणीय अफ़रोज़ साहब, <br/> आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पा कर ख़ुशी हुई. हार्दिक आभार.<br/> सादर</p> आदरणीय अजय तिवारी जी आदाब आपक…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8949582017-11-04T10:45:00.817ZAfroz 'sahr'http://openbooks.ning.com/profile/Afrozsahr
आदरणीय अजय तिवारी जी आदाब आपका आलेख पढ़ा बहुत अच्छा लगा दोनों बह्रों एवं उन के नये पुराने नाम, अरूज़ी उसूल ओ ज़वाबित और बह्रों के बीच बुनियादी इम्तियाज़ को तफसील के साथ नुमायां करने के लिए आपका मश्कूर हूँ।
आदरणीय अजय तिवारी जी आदाब आपका आलेख पढ़ा बहुत अच्छा लगा दोनों बह्रों एवं उन के नये पुराने नाम, अरूज़ी उसूल ओ ज़वाबित और बह्रों के बीच बुनियादी इम्तियाज़ को तफसील के साथ नुमायां करने के लिए आपका मश्कूर हूँ। आदरणीय अफ़रोज़ जी,
आलेख 'ग़ज़ल की…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8951552017-11-04T08:17:48.262ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय अफ़रोज़ जी,</p>
<p>आलेख 'ग़ज़ल की बातें' में पोस्ट कर दिया है. </p>
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<p>आदरणीय अफ़रोज़ जी,</p>
<p>आलेख 'ग़ज़ल की बातें' में पोस्ट कर दिया है. </p>
<p>सादर </p> आदरणीय समर साहब,आदाब,आलेख कल…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8948942017-11-04T08:14:01.287ZAjay Tiwarihttp://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय समर साहब,आदाब,<br/>आलेख कल देर रात पोस्ट कर पाया.आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी.<br/><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:894879?xg_source=activity" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:894879?xg_source=activity</a></p>
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<p>आदरणीय समर साहब,आदाब,<br/>आलेख कल देर रात पोस्ट कर पाया.आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी.<br/><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:894879?xg_source=activity" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:894879?xg_source=activity</a></p>
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<p>सादर </p> जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,त…tag:openbooks.ning.com,2017-11-03:5170231:Comment:8946952017-11-03T04:57:21.438ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,तरही मुशायरे में प्रतिक्रया इसलिये नहीं दे सका कि तबीअत ख़राब थी,इसी कारण से मुशायरे में अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा सका, अभी तक पूरी तरह स्वस्थ नहीं हूँ
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,तरही मुशायरे में प्रतिक्रया इसलिये नहीं दे सका कि तबीअत ख़राब थी,इसी कारण से मुशायरे में अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा सका, अभी तक पूरी तरह स्वस्थ नहीं हूँ आदरणीय अजय भाई , आलेख का इंति…tag:openbooks.ning.com,2017-11-03:5170231:Comment:8946852017-11-03T01:20:27.815Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय अजय भाई , आलेख का इंतिज़ार रहेगा , लिंक हिन्दी मे हो तो ज़रूर बताइयेगा ।</p>
<p>आदरणीय अजय भाई , आलेख का इंतिज़ार रहेगा , लिंक हिन्दी मे हो तो ज़रूर बताइयेगा ।</p> आदरणीय समर भाई जी , गज़ल की सर…tag:openbooks.ning.com,2017-11-03:5170231:Comment:8945962017-11-03T01:18:20.222Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय समर भाई जी , गज़ल की सराहना के लिए आपका शुक्रिया । भर्ती के शब्द को हटाने का प्रयास करूँगा , वैसे मेरे हिसाब से चूँकि दोनो .. 1- सूरज का उदय होना निकलना और बदली मे छिप जाना दोनो अलग अलग बात है , इस्लिये '' या '' मुझे गलत नही लगा था , लेकिन आप कह रहे हैं तो सही ही होगा । आपका आभार ।</p>
<p>आदरणीय समर भाई जी , गज़ल की सराहना के लिए आपका शुक्रिया । भर्ती के शब्द को हटाने का प्रयास करूँगा , वैसे मेरे हिसाब से चूँकि दोनो .. 1- सूरज का उदय होना निकलना और बदली मे छिप जाना दोनो अलग अलग बात है , इस्लिये '' या '' मुझे गलत नही लगा था , लेकिन आप कह रहे हैं तो सही ही होगा । आपका आभार ।</p> आ. अफरोज़ भाई , सराहना के लिये…tag:openbooks.ning.com,2017-11-03:5170231:Comment:8944942017-11-03T01:13:33.039Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आ. अफरोज़ भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार । आपकी इच्छा पूरी हुई , आ. समर भाई जी की भी प्रतिक्रिया बहर पर आ गई है ... अब कुछ शंशय की बात न रखिये मन में ।</p>
<p>आ. अफरोज़ भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार । आपकी इच्छा पूरी हुई , आ. समर भाई जी की भी प्रतिक्रिया बहर पर आ गई है ... अब कुछ शंशय की बात न रखिये मन में ।</p> आदरणीय अजय भाई , मै एक सीखने…tag:openbooks.ning.com,2017-11-03:5170231:Comment:8948172017-11-03T01:11:23.538Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय अजय भाई , मै एक सीखने वाला हूँ , मेरे लिये आपका ही कह देना काफी है , मुझे किसी और उदाहरण या सबूत की ज़रूरत नही है । वैसे भी अगर तार्किक रूप से सोचें तो , तरही मिसरे के नीचे बहर का नाम दिया जाना ही इस बात को साबित कर देता है कि ये बहर '' बहरे मीर या मात्रिक बहर'' नही है , नही तो आ. राणा प्रताप भाईए को इतना बड़ा नाम देने की ज़रूरत ही क्या थी । मैने आपकी प्रतिक्रियायें तरही मुशाइरे मे भी पढी थी , और आगे चर्चा को गलत मोड़ दे दिये जाने का दुख भी हुआ था । व्यस्तता के कारण मै उपस्थित नही हो पा…</p>
<p>आदरणीय अजय भाई , मै एक सीखने वाला हूँ , मेरे लिये आपका ही कह देना काफी है , मुझे किसी और उदाहरण या सबूत की ज़रूरत नही है । वैसे भी अगर तार्किक रूप से सोचें तो , तरही मिसरे के नीचे बहर का नाम दिया जाना ही इस बात को साबित कर देता है कि ये बहर '' बहरे मीर या मात्रिक बहर'' नही है , नही तो आ. राणा प्रताप भाईए को इतना बड़ा नाम देने की ज़रूरत ही क्या थी । मैने आपकी प्रतिक्रियायें तरही मुशाइरे मे भी पढी थी , और आगे चर्चा को गलत मोड़ दे दिये जाने का दुख भी हुआ था । व्यस्तता के कारण मै उपस्थित नही हो पा रहा था । <br/>इस बात को जानते मानते हुये भी इस गज़ल को यहाँ, बहर की खामियों के साथ पोस्ट करने का उद्देश्य भी मेरा यही था कि चर्चा फिर शुरू हो और नतीजे तक पहुँचे , ताकि सच मे सीखने वालों को कुछ नया जानने का अवसर मिले । <br/>मुझे आश्चर्य तब हुआ था जब आ. समर भाई जी भी तरही मुशाइरे मे कुछ प्रतिक्रिया इस विषय पर नही दिये थे ... आज वो शिकायत खत्म हुई । <br/><br/>चूँकि मै उर्दू ठीक नही पढ़ पाता , आपका दिया लिंक मेरे लिये काम का नही है .. मुझे भरोसा है जो आप पढे वही बता रहे हैं । <br/><br/>ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका शुक्रिया , अगर हल सूझा तो सुधार अवश्य करूँ गा , वैसे आपको सूझे तो आप भी बता सकते हैं । <br/> पुनः आभार आपका ।</p>