Comments - सवालों का पंछी सताता बहुत है-गीत - Open Books Online2024-03-29T01:29:59Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A888388&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आ…tag:openbooks.ning.com,2017-10-17:5170231:Comment:8900152017-10-17T03:41:01.436ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आभार
आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आभार आदरणीय बाऊजी आपने सही ध्यान ध…tag:openbooks.ning.com,2017-10-17:5170231:Comment:8898702017-10-17T03:40:41.731ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय बाऊजी आपने सही ध्यान धराया है, सादर प्रणाम
आदरणीय बाऊजी आपने सही ध्यान धराया है, सादर प्रणाम भाई पंकज जी, बेहतरीन गीत हुआ…tag:openbooks.ning.com,2017-10-16:5170231:Comment:8896972017-10-16T13:50:11.395Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
भाई पंकज जी, बेहतरीन गीत हुआ है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
भाई पंकज जी, बेहतरीन गीत हुआ है । हार्दिक बधाई स्वीकारें । अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2017-10-12:5170231:Comment:8884752017-10-12T12:09:21.829ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,बहुत उम्दा गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
बह्र इसकी ग़ालिबन 122 122 122 122ली है आपने,कुछ मिसरे बह्र में नज़र नहीं आते उन्हें देखियेगा :-<br />
'धड़कन को मेरी थकाता बहुत है'<br />
'सब कुछ सुनाकर हौले से आकर'<br />
'कानों में ख़ुद की ज़रूरत बताकर'<br />
'लालच में मुझको फँसाता बहुत है'
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,बहुत उम्दा गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
बह्र इसकी ग़ालिबन 122 122 122 122ली है आपने,कुछ मिसरे बह्र में नज़र नहीं आते उन्हें देखियेगा :-<br />
'धड़कन को मेरी थकाता बहुत है'<br />
'सब कुछ सुनाकर हौले से आकर'<br />
'कानों में ख़ुद की ज़रूरत बताकर'<br />
'लालच में मुझको फँसाता बहुत है'