Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T16:52:38Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A882623&xn_auth=noआ सलीम रज़ा रेवा जी, आ शिज्जू…tag:openbooks.ning.com,2017-09-23:5170231:Comment:8832602017-09-23T04:29:20.221ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooks.ning.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आ सलीम रज़ा रेवा जी, आ शिज्जू 'शकूर' जी और आ निलेश शेवगांवकर जी , ब्लॉग पर शिरकत करने और सलाह देने के लिए आप तीनों को तहे दिल से शुक्रिया | आदाब </p>
<p>आ सलीम रज़ा रेवा जी, आ शिज्जू 'शकूर' जी और आ निलेश शेवगांवकर जी , ब्लॉग पर शिरकत करने और सलाह देने के लिए आप तीनों को तहे दिल से शुक्रिया | आदाब </p> आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप…tag:openbooks.ning.com,2017-09-21:5170231:Comment:8828432017-09-21T06:20:10.343ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब अपनी बात कह चुके हैं
आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब अपनी बात कह चुके हैं आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप…tag:openbooks.ning.com,2017-09-21:5170231:Comment:8828392017-09-21T05:46:28.083Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p>आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब अपनी बात कह चुके हैं</p>
<p>सादर</p>
<p>आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब अपनी बात कह चुके हैं</p>
<p>सादर</p> आ. मण्डल जी,प्रस्तुति के लिए…tag:openbooks.ning.com,2017-09-21:5170231:Comment:8825592017-09-21T01:53:47.141ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. मण्डल जी,<br/>प्रस्तुति के लिए बधाई ...ग़ज़ल को और समय दीजिये..<br/>समर सर सब कह ही चुके हैं.<br/>सादर </p>
<p>आ. मण्डल जी,<br/>प्रस्तुति के लिए बधाई ...ग़ज़ल को और समय दीजिये..<br/>समर सर सब कह ही चुके हैं.<br/>सादर </p> 'तंज़ सुनना तो विवशता है, सुना…tag:openbooks.ning.com,2017-09-20:5170231:Comment:8828272017-09-20T16:09:44.359ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
'तंज़ सुनना तो विवशता है, सुनाए न बने<br />
दर्द दिल का न दिखे,और दिखाए न बने'<br />
मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,सानी मिसरा यूँ होना चाहिए था:-<br />
'दर्द जो दिल में छुपा है वो दिखाए न बने'<br />
<br />
दूसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है,और आप जो बात कहना चाहते हैं वो स्पष्ट नहीं हो रही है<br />
<br />
तीसरे शैर में व्याकरण दोष है,अल्फ़ाज़ की बंदिश सही नहीं है,आप जो बात कहना चाहते हैं वो भी स्पष्ट नहीं है ।<br />
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चौथे शैर में आप जो कहना चाहते है वो समझ में तो आ रहा है,लेकिन यहां भी व्याकरण दोष साफ़ नज़र आ रहा है,और बात की अदायगी…
'तंज़ सुनना तो विवशता है, सुनाए न बने<br />
दर्द दिल का न दिखे,और दिखाए न बने'<br />
मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,सानी मिसरा यूँ होना चाहिए था:-<br />
'दर्द जो दिल में छुपा है वो दिखाए न बने'<br />
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दूसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है,और आप जो बात कहना चाहते हैं वो स्पष्ट नहीं हो रही है<br />
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तीसरे शैर में व्याकरण दोष है,अल्फ़ाज़ की बंदिश सही नहीं है,आप जो बात कहना चाहते हैं वो भी स्पष्ट नहीं है ।<br />
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चौथे शैर में आप जो कहना चाहते है वो समझ में तो आ रहा है,लेकिन यहां भी व्याकरण दोष साफ़ नज़र आ रहा है,और बात की अदायगी के लिए अल्फ़ाज़ की बंदिश चुस्त नहीं है ।<br />
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पांचवें शैर में भी बात स्पष्ट नहीं हो रही है ।<br />
<br />
छटे शैर में भी सानी मिसरे के साथ ऊला मिसरे का रब्त नहीं है ।<br />
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आख़री शैर बाक़ी अशआर से कुछ बहतर है ।<br />
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आपकी सबसे बड़ी कमज़ोरी भाषा है,जिस पर आपकी पकड़ नहीं है,मैंने आपको पहले भी मश्विरा दिया था कि आप अध्यन पर अपना ध्यान केंद्रित करें और पुराने और नए शायरों का कलाम ध्यान से पढ़ें,भाषा पर अपनी पकड़ मज़बूत करें,इसके बाद ही आपकी शाइरी पर निखार आएगा ।<br />
बाक़ी शुभ शुभ । आदरणीय कालीपद जी सुंदर ग़ज़ल के…tag:openbooks.ning.com,2017-09-20:5170231:Comment:8825462017-09-20T14:25:52.421ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय कालीपद जी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। </p>
<p>आदरणीय कालीपद जी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। </p> शुक्रिया आ सुरेन्द्र नाथ सिं…tag:openbooks.ning.com,2017-09-20:5170231:Comment:8827222017-09-20T14:11:43.085ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooks.ning.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>शुक्रिया आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुश क्षत्रप'जी , सादर </p>
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<p>शुक्रिया आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुश क्षत्रप'जी , सादर </p>
<p></p> थोड़ा व्यस्त हूँ अभी,जल्द ही आ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-20:5170231:Comment:8828242017-09-20T14:10:22.172ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
थोड़ा व्यस्त हूँ अभी,जल्द ही आता हूँ ।
थोड़ा व्यस्त हूँ अभी,जल्द ही आता हूँ । आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब…tag:openbooks.ning.com,2017-09-20:5170231:Comment:8828232017-09-20T14:06:03.575ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooks.ning.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब , आप विन्तुवत सलाह देते आये हैं मुझे और मैं उसी के मुताबिक सुधार करता आया हूँ | यहाँ किस विन्दु पर मुझे और समय देना है , क्रपया इंगित करे | विषय इतना विस्तृत है कि हर बात दिमाग में रहती नहीं है | सादर </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब , आप विन्तुवत सलाह देते आये हैं मुझे और मैं उसी के मुताबिक सुधार करता आया हूँ | यहाँ किस विन्दु पर मुझे और समय देना है , क्रपया इंगित करे | विषय इतना विस्तृत है कि हर बात दिमाग में रहती नहीं है | सादर </p> आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब ,आदा…tag:openbooks.ning.com,2017-09-20:5170231:Comment:8827202017-09-20T14:00:21.819ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooks.ning.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब ,आदाब , इन्तेजार यही है कि गुणी जन विन्दुवत सुधार के लिए सलाह दें तो कुछ सुधार कर सकूँ | आभारी रहूँगा </p>
<p>आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब ,आदाब , इन्तेजार यही है कि गुणी जन विन्दुवत सुधार के लिए सलाह दें तो कुछ सुधार कर सकूँ | आभारी रहूँगा </p>