Comments - तरही ग़ज़ल - ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ " ( गिरिराज भंडारी ) - Open Books Online2024-03-28T10:20:16Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A877141&xn_auth=noआदरणीय गजेन्द्र भाई , हौसला अ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-04:5170231:Comment:8790622017-09-04T12:47:22.399Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय गजेन्द्र भाई , हौसला अफ्ज़ाई का शुक्रिया आपका ।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय गजेन्द्र भाई , हौसला अफ्ज़ाई का शुक्रिया आपका ।</p>
<p></p> अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० गिरिराज भ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-04:5170231:Comment:8790602017-09-04T12:26:08.945ZGajendra shrotriyahttp://openbooks.ning.com/profile/Gajendrashrotriya
अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० गिरिराज भंडारी जी। मुबारकबाद पेश करता हूँ,कुबूल करें।
अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० गिरिराज भंडारी जी। मुबारकबाद पेश करता हूँ,कुबूल करें। आदरणीय नहेन्द्र भाई , ग़ज़ल पर…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8786922017-09-03T11:51:08.732Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय नहेन्द्र भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।</p>
<p>आदरणीय नहेन्द्र भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।</p> धो लीजिये न शक़्ल मुआफ़ी के आब…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8786882017-09-03T07:45:54.234ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>धो लीजिये न शक़्ल मुआफ़ी के आब से </p>
<p>मुँह को छिपाये घूमेंगे हज़रत कहाँ कहाँ ... बहुत ख़ूब!</p>
<p>इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. गिरिराज सर. सादर.</p>
<p>धो लीजिये न शक़्ल मुआफ़ी के आब से </p>
<p>मुँह को छिपाये घूमेंगे हज़रत कहाँ कहाँ ... बहुत ख़ूब!</p>
<p>इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. गिरिराज सर. सादर.</p> आदरणीय आशुतोष भाई , सराहना के…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8789142017-09-03T01:27:49.431Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय आशुतोष भाई , सराहना के ल्लिये हार्दिक आभार आपका ।</p>
<p>आदरणीय आशुतोष भाई , सराहना के ल्लिये हार्दिक आभार आपका ।</p> आदरणीय सलीम भाई , तहे दिल से…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8786822017-09-03T01:27:15.617Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय सलीम भाई , तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p>
<p>आदरणीय सलीम भाई , तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई , सराहना क…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8786812017-09-03T01:26:38.129Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , सराहना के लिये आभार आपका ।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , सराहना के लिये आभार आपका ।</p> आदरनीय मो. आरिफ भाई , बहुत आभ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8789132017-09-03T01:26:08.547Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय मो. आरिफ भाई , बहुत आभार आपका</p>
<p></p>
<p>आदरनीय मो. आरिफ भाई , बहुत आभार आपका</p>
<p></p> आदरनीय समर भाई जी , आपका हृदय…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8789122017-09-03T01:25:31.422Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय समर भाई जी , आपका हृदय से आभार ।</p>
<p>आदरनीय समर भाई जी , आपका हृदय से आभार ।</p> आ, बृजेश भाई , हार्दिक आभार आ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-03:5170231:Comment:8788622017-09-03T01:25:03.414Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आ, बृजेश भाई , हार्दिक आभार आपका</p>
<p>आ, बृजेश भाई , हार्दिक आभार आपका</p>