Comments - बदल रहा है इतिहास (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T04:55:14Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A876802&xn_auth=noधन्यवाद आदरणीय समर भाई जी ।tag:openbooks.ning.com,2017-09-02:5170231:Comment:8787592017-09-02T04:04:56.819ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
धन्यवाद आदरणीय समर भाई जी ।
धन्यवाद आदरणीय समर भाई जी । बहुत अच्छी लघुकथा कही है आदरण…tag:openbooks.ning.com,2017-09-02:5170231:Comment:8787522017-09-02T02:27:23.182ZDr. Chandresh Kumar Chhatlanihttp://openbooks.ning.com/profile/ChandreshKumarChhatlani
<p>बहुत अच्छी लघुकथा कही है आदरणीया कल्पना दी| अंतिम पंक्ति का कटाक्ष अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम है| सादर बधाई स्वीकार करें इस सृजन हेतु|</p>
<p>बहुत अच्छी लघुकथा कही है आदरणीया कल्पना दी| अंतिम पंक्ति का कटाक्ष अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम है| सादर बधाई स्वीकार करें इस सृजन हेतु|</p> बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत…tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8785542017-09-01T15:57:02.595ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी लघुकथा,प्रयास करती रहें,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी लघुकथा,प्रयास करती रहें,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें । धन्यवाद् आदरणीय शहजाद भाई | tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8786302017-09-01T10:37:13.147ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>धन्यवाद् आदरणीय शहजाद भाई | </p>
<p>धन्यवाद् आदरणीय शहजाद भाई | </p> धन्यवाद् आदरणीय फूल सिंह जी |tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8787282017-09-01T10:36:45.830ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>धन्यवाद् आदरणीय फूल सिंह जी |</p>
<p>धन्यवाद् आदरणीय फूल सिंह जी |</p> बहुत ही समसामयिक विचारोत्तेजक…tag:openbooks.ning.com,2017-08-31:5170231:Comment:8782292017-08-31T11:25:30.811ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत ही समसामयिक विचारोत्तेजक विषय पर रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना भट्ट जी। अंतिम कुछ पंक्तियां बहुत बढ़िया हैं जो रचना का मुख्य भाग हैं। बाकी भाग में कहीं-कहीं मुझे भावों की पुनरावृत्ति समझ में आ रही है।
बहुत ही समसामयिक विचारोत्तेजक विषय पर रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना भट्ट जी। अंतिम कुछ पंक्तियां बहुत बढ़िया हैं जो रचना का मुख्य भाग हैं। बाकी भाग में कहीं-कहीं मुझे भावों की पुनरावृत्ति समझ में आ रही है। बेहतरीनtag:openbooks.ning.com,2017-08-31:5170231:Comment:8782172017-08-31T10:33:37.753ZPHOOL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/PHOOLSINGH
<p><span>बेहतरीन</span></p>
<p><span>बेहतरीन</span></p>