Comments - जयति जयति जय...-रामबली गुप्ता - Open Books Online2024-03-29T05:52:48Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A876720&xn_auth=no.आद0 रामबली गुप्ता जी, बहुत ह…tag:openbooks.ning.com,2017-09-18:5170231:Comment:8824452017-09-18T16:43:54.439Zअलका 'कृष्णांशी'http://openbooks.ning.com/profile/AlkaChanga
<p><br/>.आद0 रामबली गुप्ता जी, बहुत ही सुंदर रचना <span>के लिए</span> हार्दिक बधाई। सादर</p>
<p><br/>.आद0 रामबली गुप्ता जी, बहुत ही सुंदर रचना <span>के लिए</span> हार्दिक बधाई। सादर</p> फिर अटकाव किधर है?
आ० लगता है…tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8787072017-09-01T05:21:21.375Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p><span>फिर अटकाव किधर है?</span></p>
<p><span>आ० लगता है आपने मेरी बात को दिल पर ले लिया . मेरा ऐसा आशय कदापि नहीं था . मैं आपकी रचनाओं पर पर प्रायः इसलिये आता हूँ कि आप अच्छा लिखते हैं .. आपके शब्द कल सही है . शिल्पभी ठीक है . इस पर भी कभी कभी प्रवाह बाधित हो सकता है जैसे -' माली आवत देखकर ' को अगर 'आवत माली देखकर ' कहें तो शब्द कल सही होने पर प्रवाह बाधित होता है . आप ओ बी ओ ब्लॉग पर विद्यमान एक एनी आल्हा की निम्न पंक्ति देखिये-</span></p>
<p><span>मूक बधिर है शासन अपना, सुने…</span></p>
<p><span>फिर अटकाव किधर है?</span></p>
<p><span>आ० लगता है आपने मेरी बात को दिल पर ले लिया . मेरा ऐसा आशय कदापि नहीं था . मैं आपकी रचनाओं पर पर प्रायः इसलिये आता हूँ कि आप अच्छा लिखते हैं .. आपके शब्द कल सही है . शिल्पभी ठीक है . इस पर भी कभी कभी प्रवाह बाधित हो सकता है जैसे -' माली आवत देखकर ' को अगर 'आवत माली देखकर ' कहें तो शब्द कल सही होने पर प्रवाह बाधित होता है . आप ओ बी ओ ब्लॉग पर विद्यमान एक एनी आल्हा की निम्न पंक्ति देखिये-</span></p>
<p><span>मूक बधिर है शासन अपना, सुने नहीं उनकी चीत्कार||---------------- इसमें चीकार और चीत्कार सममात्रिक हैं पर चीकार लिख नहीं सकते और चीत्कार से प्रवाह बाधित होता है . दरअसल आल्हा गायन की अपनी एक विशिष्ट शैली है जिसमे प्रवाह का ही सारा खेल है .जैसे - तड़ -तड़ , तड़ -तड़ तेगा बोले रण माँ छपक-छपक तलवार . आशा है आपका समाधान हुआ होगा यद नहीं तो मैं छमा प्रार्थी हूँ . . सादर . <span><br/></span></span></p>
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<p><span> </span></p> आ. भाई रामबली जी,देश भक्ति से…tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8783932017-09-01T01:53:01.888Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
आ. भाई रामबली जी,देश भक्ति से ओत प्रोत आपकी गीत रचना के लिये हार्दिक बधाई ।
आ. भाई रामबली जी,देश भक्ति से ओत प्रोत आपकी गीत रचना के लिये हार्दिक बधाई । धन्यवाद आद0 फूल सिंह जीtag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8785272017-09-01T01:24:55.925Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
धन्यवाद आद0 फूल सिंह जी
धन्यवाद आद0 फूल सिंह जी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8785262017-09-01T01:23:47.334Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आद0 गिरिराज भाई जी
स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आद0 गिरिराज भाई जी बेहतरीन रचनाtag:openbooks.ning.com,2017-08-31:5170231:Comment:8781152017-08-31T10:35:38.522ZPHOOL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/PHOOLSINGH
<p><span>बेहतरीन <span>रचना</span></span></p>
<p><span>बेहतरीन <span>रचना</span></span></p> जी,मेरा नम्बर है 09753845522…tag:openbooks.ning.com,2017-08-30:5170231:Comment:8776062017-08-30T15:55:54.340ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जी,मेरा नम्बर है 09753845522<br />
जल्द ही प्रयास करता हूँ ।
जी,मेरा नम्बर है 09753845522<br />
जल्द ही प्रयास करता हूँ । आदरणीय रामबली भाई , देश भक्ति…tag:openbooks.ning.com,2017-08-30:5170231:Comment:8774852017-08-30T15:09:42.462Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय रामबली भाई , देश भक्ति से ओत प्रोत आपकी गीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ... वन्दे मातरम !!</p>
<p>आदरणीय रामबली भाई , देश भक्ति से ओत प्रोत आपकी गीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ... वन्दे मातरम !!</p> बेशक इस पंक्ति में कोई प्रवाह…tag:openbooks.ning.com,2017-08-30:5170231:Comment:8776282017-08-30T13:43:05.911Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
बेशक इस पंक्ति में कोई प्रवाह की कमी नहीं है, अपितु जो सुझाया गया है, वह रिदम में नहीं बैठ पा रहा है। आपकी पंक्ति रामबली जी मुझे एकदम सटीक लग रही है
बेशक इस पंक्ति में कोई प्रवाह की कमी नहीं है, अपितु जो सुझाया गया है, वह रिदम में नहीं बैठ पा रहा है। आपकी पंक्ति रामबली जी मुझे एकदम सटीक लग रही है समर भाई साहब***tag:openbooks.ning.com,2017-08-30:5170231:Comment:8774632017-08-30T13:32:21.416Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
समर भाई साहब***
समर भाई साहब***