Comments - सियासत पर दो मुक्तक - Open Books Online2024-03-29T13:48:20Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A874257&xn_auth=noआद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम…tag:openbooks.ning.com,2017-08-22:5170231:Comment:8751902017-08-22T11:04:37.184Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, प्रोत्साहन के लिए आभार
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, प्रोत्साहन के लिए आभार जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:openbooks.ning.com,2017-08-21:5170231:Comment:8752142017-08-21T13:01:11.158ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छे मुक्तक लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।<br />
पहले मुक्तक की पहली पंक्ति में 'लहूँ'को "लहू" कर लें ।
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छे मुक्तक लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।<br />
पहले मुक्तक की पहली पंक्ति में 'लहूँ'को "लहू" कर लें । आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2017-08-21:5170231:Comment:8750882017-08-21T07:29:12.465Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन के लिए आभार
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन के लिए आभार अच्छे मुक्तक के लिए बधाई, सुर…tag:openbooks.ning.com,2017-08-21:5170231:Comment:8750812017-08-21T04:17:56.377Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>अच्छे मुक्तक के लिए बधाई, सुरेन्द्र जी</p>
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<p>अच्छे मुक्तक के लिए बधाई, सुरेन्द्र जी</p>
<p></p> आद0 लक्ष्मण धामी जी आपको मुक्…tag:openbooks.ning.com,2017-08-20:5170231:Comment:8749582017-08-20T23:49:06.045Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 लक्ष्मण धामी जी आपको मुक्तक अच्छे लगे, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका।
आद0 लक्ष्मण धामी जी आपको मुक्तक अच्छे लगे, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका। आद0 मोहित मिश्रा जी मुक्तक पस…tag:openbooks.ning.com,2017-08-20:5170231:Comment:8751302017-08-20T23:47:44.139Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 मोहित मिश्रा जी मुक्तक पसंद आये, लेखन सार्थक हुआ, आभार
आद0 मोहित मिश्रा जी मुक्तक पसंद आये, लेखन सार्थक हुआ, आभार आ. भाई सुरेन्द्र जी सुंदर मुक…tag:openbooks.ning.com,2017-08-20:5170231:Comment:8750632017-08-20T15:42:28.107Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
आ. भाई सुरेन्द्र जी सुंदर मुक्तक हुए हैं हर्दिक बधाई ।
आ. भाई सुरेन्द्र जी सुंदर मुक्तक हुए हैं हर्दिक बधाई । आद0 भाई मोहम्मद आरिफ जी सादर…tag:openbooks.ning.com,2017-08-20:5170231:Comment:8750462017-08-20T09:57:13.354Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 भाई मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, आपकी प्रतिक्रिया पाकर आश्वस्त हुआ, लेखन सार्थक लगने लगा। आभार आपका
आद0 भाई मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, आपकी प्रतिक्रिया पाकर आश्वस्त हुआ, लेखन सार्थक लगने लगा। आभार आपका आदरणीय सुरेंद्र जी आदाब, सिया…tag:openbooks.ning.com,2017-08-20:5170231:Comment:8747982017-08-20T04:50:34.572ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
आदरणीय सुरेंद्र जी आदाब, सियासत के चरित्र को उजागर करते बेहतरीन मुक्तक । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय सुरेंद्र जी आदाब, सियासत के चरित्र को उजागर करते बेहतरीन मुक्तक । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।