Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T15:02:42Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A868698&xn_auth=noजी आदाब मोहतरम समर कबीर साहब।…tag:openbooks.ning.com,2017-08-01:5170231:Comment:8707812017-08-01T03:41:05.596Zsurender insanhttp://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी आदाब मोहतरम समर कबीर साहब। बेहद दिली शुक्रिया आपका जी।<br />
आदरणीय किर्पया बताये जी थोड़ा विस्तार से जी ।<br />
<br />
<br />
आदरणीय कोई एक शेर देखे जी जैसे कि यह।<br />
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मैं उस से इतना दूर चला आया हूँ।<br />
वो आना चाहे तो आ भी नहीं सकता।।<br />
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क्या लय के आधार पर ही यह बह्र से ख़ारिज है जी? इस में केवल सानी में भी' में मात्रा पतन है जी। ताकि इस बह्र में आगे बढ़ सकूँ जी।
जी आदाब मोहतरम समर कबीर साहब। बेहद दिली शुक्रिया आपका जी।<br />
आदरणीय किर्पया बताये जी थोड़ा विस्तार से जी ।<br />
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आदरणीय कोई एक शेर देखे जी जैसे कि यह।<br />
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मैं उस से इतना दूर चला आया हूँ।<br />
वो आना चाहे तो आ भी नहीं सकता।।<br />
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क्या लय के आधार पर ही यह बह्र से ख़ारिज है जी? इस में केवल सानी में भी' में मात्रा पतन है जी। ताकि इस बह्र में आगे बढ़ सकूँ जी। जनाब सुरेश इंसान जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2017-07-26:5170231:Comment:8690142017-07-26T10:37:39.191ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुरेश इंसान जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
आपकी पूरी ग़ज़ल बह्र में नहीं है,इस हेतु पटल पर आलेख मौजूद हैं उनका अध्यन करें ।<br />
मेरे ब्लॉग पर इस बह्र में कुछ ग़ज़लें हैं,उनपर आई टिप्पणियां भी हैं जो आपको इस बह्र को सीखने में मददगार होंगी,उनका भी अध्यन करें ।
जनाब सुरेश इंसान जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
आपकी पूरी ग़ज़ल बह्र में नहीं है,इस हेतु पटल पर आलेख मौजूद हैं उनका अध्यन करें ।<br />
मेरे ब्लॉग पर इस बह्र में कुछ ग़ज़लें हैं,उनपर आई टिप्पणियां भी हैं जो आपको इस बह्र को सीखने में मददगार होंगी,उनका भी अध्यन करें । जी आदाब आदरणीय रवि शुक्ला जी।…tag:openbooks.ning.com,2017-07-26:5170231:Comment:8687922017-07-26T10:32:11.098Zsurender insanhttp://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी आदाब आदरणीय रवि शुक्ला जी। बेहद शुक्रिया आपका जी।<br />
आदरणीय किर्पया बताये जी थोड़ा विस्तार से जी ।<br />
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आदरणीय यह शेर देखे जी ।<br />
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मैं इतना दूर चला आया हूँ उस से।<br />
वो आना चाहे तो आ भी नहीं सकता।<br />
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क्या इसमें सानी में अटकाव या लय बाधित है जी? सादर जी।
जी आदाब आदरणीय रवि शुक्ला जी। बेहद शुक्रिया आपका जी।<br />
आदरणीय किर्पया बताये जी थोड़ा विस्तार से जी ।<br />
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आदरणीय यह शेर देखे जी ।<br />
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मैं इतना दूर चला आया हूँ उस से।<br />
वो आना चाहे तो आ भी नहीं सकता।<br />
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क्या इसमें सानी में अटकाव या लय बाधित है जी? सादर जी। जी आदाब आदरणीय रवि शुक्ला जी।…tag:openbooks.ning.com,2017-07-26:5170231:Comment:8690132017-07-26T10:03:34.510Zsurender insanhttp://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी आदाब आदरणीय रवि शुक्ला जी। बेहद शुक्रिया आपका जी।<br />
आदरणीय किर्पया बताये जी थोड़ा विस्तार से जी ।<br />
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आदरणीय यह शेर देखे जी ।<br />
क्या इसमें सानी में अटकाव या लय बाधित है जी? सादर जी।
जी आदाब आदरणीय रवि शुक्ला जी। बेहद शुक्रिया आपका जी।<br />
आदरणीय किर्पया बताये जी थोड़ा विस्तार से जी ।<br />
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आदरणीय यह शेर देखे जी ।<br />
क्या इसमें सानी में अटकाव या लय बाधित है जी? सादर जी। जी बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2017-07-26:5170231:Comment:8690112017-07-26T10:00:37.610Zsurender insanhttp://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बसन्त कुमार शर्मा जी।
जी बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बसन्त कुमार शर्मा जी। आदरणीय सुरेन्द्र जी गजल का प…tag:openbooks.ning.com,2017-07-26:5170231:Comment:8687812017-07-26T07:47:42.471ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी गजल का प्रयास ठीक है पर इस बहर मे कथ्य के साथ महत्वपूर्ण बात है लय जिसके बिना ये बहर कारगर नहीं होती आपकी गजल में लय को और बेहतर करने की गंजाइश है अभी । सादर</p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी गजल का प्रयास ठीक है पर इस बहर मे कथ्य के साथ महत्वपूर्ण बात है लय जिसके बिना ये बहर कारगर नहीं होती आपकी गजल में लय को और बेहतर करने की गंजाइश है अभी । सादर</p> बहुत खूब tag:openbooks.ning.com,2017-07-26:5170231:Comment:8688492017-07-26T07:27:20.015Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooks.ning.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>बहुत खूब </p>
<p>बहुत खूब </p>