Comments - कालिख: लघुकथा :हरि प्रकाश दुबे - Open Books Online2024-03-28T14:06:23Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A868647&xn_auth=noआदरणीय हरी सर , बहुत सटीक लघु…tag:openbooks.ning.com,2017-07-29:5170231:Comment:8692852017-07-29T03:39:12.452Zkhursheed khairadihttp://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
आदरणीय हरी सर , बहुत सटीक लघुकथा है।संभ्रांत वर्ग के नैतिक पतन को उजागर करती हुई रचना है। बहुत बहुत बधाई सर।
आदरणीय हरी सर , बहुत सटीक लघुकथा है।संभ्रांत वर्ग के नैतिक पतन को उजागर करती हुई रचना है। बहुत बहुत बधाई सर। सार्थक,संदेशप्रद कथा के लिये…tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8687732017-07-25T15:45:11.961ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
सार्थक,संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० हरिप्रकाश दुबे जी ।
सार्थक,संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० हरिप्रकाश दुबे जी । बेहतरीन सृजन। सादर हार्दिक बध…tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8686922017-07-25T15:21:39.633ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बेहतरीन सृजन। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी।<br />
//बोल क्या तकलीफ़ है? // का अप्रत्याशित जवाब पढ़ कर पाठक चौंक जाएंगे। जवाब कुछ और भी हो सकता था उसी प्रवाह को बरकरार रखते हुए। लेकिन यह कालिख पूर्ण करारा व्यंगात्मक/कटाक्षपूर्ण जवाब भी रोचक व विचारोत्तेजक है। फिर भी समापन पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
बेहतरीन सृजन। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी।<br />
//बोल क्या तकलीफ़ है? // का अप्रत्याशित जवाब पढ़ कर पाठक चौंक जाएंगे। जवाब कुछ और भी हो सकता था उसी प्रवाह को बरकरार रखते हुए। लेकिन यह कालिख पूर्ण करारा व्यंगात्मक/कटाक्षपूर्ण जवाब भी रोचक व विचारोत्तेजक है। फिर भी समापन पर पुनर्विचार किया जा सकता है। जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8688402017-07-25T12:47:39.155ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । बेहतरीन संदेश प्रद रचना आदरणी…tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8686612017-07-25T08:16:31.595ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>बेहतरीन संदेश प्रद रचना आदरणीय हरि प्रकाश जी। हार्दिक बधाई।</p>
<p>बेहतरीन संदेश प्रद रचना आदरणीय हरि प्रकाश जी। हार्दिक बधाई।</p>