Comments - शुरूआत (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T21:46:55Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A867936&xn_auth=noविधवा विवाह को प्रोत्साहित कर…tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8686902017-07-25T15:12:57.519ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
विधवा विवाह को प्रोत्साहित करती बढ़िया प्रस्तुति। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय मनीषा सक्सेना जी। इस विषय पर अन्य रचनाएं भी लिखी जा चुकी हैं।
विधवा विवाह को प्रोत्साहित करती बढ़िया प्रस्तुति। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय मनीषा सक्सेना जी। इस विषय पर अन्य रचनाएं भी लिखी जा चुकी हैं। आ.रविजी प्रतिक्रिया के लिए आभ…tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8688302017-07-25T05:50:40.360ZManisha Saxenahttp://openbooks.ning.com/profile/ManishaSaxena
<p>आ.रविजी प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ ,आगे से ज्यादा ध्यान रखने की कोशिश करूंगी |</p>
<p>आ.रविजी प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ ,आगे से ज्यादा ध्यान रखने की कोशिश करूंगी |</p> कबीर जी व विजय जी धन्यवाद |tag:openbooks.ning.com,2017-07-25:5170231:Comment:8687422017-07-25T05:47:33.109ZManisha Saxenahttp://openbooks.ning.com/profile/ManishaSaxena
<p>कबीर जी व विजय जी धन्यवाद |</p>
<p>कबीर जी व विजय जी धन्यवाद |</p> आदरणीय मनीषा जी मुझे ये तो एक…tag:openbooks.ning.com,2017-07-24:5170231:Comment:8685852017-07-24T07:55:27.223ZRavi Prabhakarhttp://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आदरणीय मनीषा जी मुझे ये तो एक द़श्य का वर्णन मात्र ही लगा, उसमें लघुकथा का कोई फ्लेवर नज़र नहीं आया । सादर</p>
<p>आदरणीय मनीषा जी मुझे ये तो एक द़श्य का वर्णन मात्र ही लगा, उसमें लघुकथा का कोई फ्लेवर नज़र नहीं आया । सादर</p> लघु कथा अच्छी लिखी है। बधाई।tag:openbooks.ning.com,2017-07-23:5170231:Comment:8684872017-07-23T18:37:57.029Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>लघु कथा अच्छी लिखी है। बधाई।</p>
<p>लघु कथा अच्छी लिखी है। बधाई।</p> मोहतरमा मनीषा सक्सेना जी आदाब…tag:openbooks.ning.com,2017-07-23:5170231:Comment:8683022017-07-23T12:36:46.355ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा मनीषा सक्सेना जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
मोहतरमा मनीषा सक्सेना जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । धन्यवाद कल्पना जी |tag:openbooks.ning.com,2017-07-23:5170231:Comment:8686112017-07-23T11:57:13.623ZManisha Saxenahttp://openbooks.ning.com/profile/ManishaSaxena
<p>धन्यवाद कल्पना जी |</p>
<p>धन्यवाद कल्पना जी |</p> अच्छी कथा हुई है आदरणीया मनीष…tag:openbooks.ning.com,2017-07-22:5170231:Comment:8683322017-07-22T13:53:26.602ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अच्छी कथा हुई है आदरणीया मनीषा सक्सेना जी | बधाई आपको | </p>
<p>अच्छी कथा हुई है आदरणीया मनीषा सक्सेना जी | बधाई आपको | </p>