Comments - 'अजय' बीते जमाने में कहीं कुछ छोड़कर आया, - Open Books Online2024-03-29T13:58:28Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A865413&xn_auth=noआ. अजय जी, ग़ज़ल कहने का अच्छा…tag:openbooks.ning.com,2017-07-12:5170231:Comment:8663182017-07-12T16:41:45.905ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आ. अजय जी, ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुणीजनों की बातों का पालन करें, निस्संदेह लाभ होगा. शुभकामनाएँ. सादर.</p>
<p>आ. अजय जी, ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुणीजनों की बातों का पालन करें, निस्संदेह लाभ होगा. शुभकामनाएँ. सादर.</p> आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी गजल…tag:openbooks.ning.com,2017-07-09:5170231:Comment:8651932017-07-09T09:04:57.209ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी गजल के रूप में आपने जो कहने का प्रयास किया है उसका स्वागत है बहुत बहुत बधाई इसके लिए काफिया रदीफ़ आदि के बारे में जानकारी लीजिये मंच पर काफी सामग्री उपलब्ध है एक बार फिर से मुबारकबाद हाजिर है
आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी गजल के रूप में आपने जो कहने का प्रयास किया है उसका स्वागत है बहुत बहुत बधाई इसके लिए काफिया रदीफ़ आदि के बारे में जानकारी लीजिये मंच पर काफी सामग्री उपलब्ध है एक बार फिर से मुबारकबाद हाजिर है आप सभी विद्वानों का कोटिश: धन…tag:openbooks.ning.com,2017-07-08:5170231:Comment:8653772017-07-08T14:05:38.113ZAjay Kumar Sharmahttp://openbooks.ning.com/profile/AjayKumarSharma805
आप सभी विद्वानों का कोटिश: धन्यवाद . पूरा प्रयास करूँगा .
आप सभी विद्वानों का कोटिश: धन्यवाद . पूरा प्रयास करूँगा . अजय जी भाव के लिए बधाई, समर स…tag:openbooks.ning.com,2017-07-07:5170231:Comment:8652612017-07-07T22:09:53.563Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
अजय जी भाव के लिए बधाई, समर साहब की बातों पर गौर कीजियेगा
अजय जी भाव के लिए बधाई, समर साहब की बातों पर गौर कीजियेगा जनाब अजय शर्मा अज्ञात जी आदाब…tag:openbooks.ning.com,2017-07-07:5170231:Comment:8653412017-07-07T09:20:17.568ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब अजय शर्मा अज्ञात जी आदाब,ग़ज़ल कहने का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन अभी आपको बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है,बह्र के अलावा शिल्प,क़ाफ़िया रदीफ़ के बारे में मंच पर कई आलेख हैं,उनका अध्यन करें ।<br />
आपने मतले के दोनों मिसरों में एक ही क़ाफ़िया ले लिया,ये ग़ज़ल में दोष कहलाता है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब अजय शर्मा अज्ञात जी आदाब,ग़ज़ल कहने का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन अभी आपको बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है,बह्र के अलावा शिल्प,क़ाफ़िया रदीफ़ के बारे में मंच पर कई आलेख हैं,उनका अध्यन करें ।<br />
आपने मतले के दोनों मिसरों में एक ही क़ाफ़िया ले लिया,ये ग़ज़ल में दोष कहलाता है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । भाई अजय जी रचना के भाव अच्छे…tag:openbooks.ning.com,2017-07-06:5170231:Comment:8651262017-07-06T17:02:47.460Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
भाई अजय जी रचना के भाव अच्छे हैं । हारदिक बधाई स्वीकारें ।
भाई अजय जी रचना के भाव अच्छे हैं । हारदिक बधाई स्वीकारें ।