Comments - तरही ग़ज़ल नंबर-2 - Open Books Online2024-03-28T09:10:53Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A847711&xn_auth=noबेहतरीन ग़ज़ल हुई है मोहतरम जना…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483562017-04-09T14:53:00.726Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है मोहतरम जनाब समर साहिब रावण और भवानी वाले शेर का क्या कहना, मुश्किल ज़मीन पर आपने तीसरी ग़ज़ल कह दी, यही आपको ओबीओ में विशिष्टता प्रदान करता है
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है मोहतरम जनाब समर साहिब रावण और भवानी वाले शेर का क्या कहना, मुश्किल ज़मीन पर आपने तीसरी ग़ज़ल कह दी, यही आपको ओबीओ में विशिष्टता प्रदान करता है //मेरे लिये आप काफी हैं//
बहु…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483542017-04-09T14:09:00.581ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
//मेरे लिये आप काफी हैं//<br />
बहुत बहुत धन्यवाद,इस सम्मान के लिये ।
//मेरे लिये आप काफी हैं//<br />
बहुत बहुत धन्यवाद,इस सम्मान के लिये । /.( मेरे लिये आप काफी हैं ) /…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8480992017-04-09T12:39:14.667Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>/.( <strong>मेरे लिये आप काफी हैं</strong> ) / आ. समर भाई , <strong>इसके बाद और कुछ रह जाता है क्या</strong>.. ? आपने कहा मैने माना ... बाक़ी बातें मैने उदाहरण के लिये कहीं ... कि मै इन उदाहरनों को नही मानता .. और आप जानते हैं मै क्यों नही मानता । क्या आप ये चाहतेगें कि मै भी गलत काफियाबन्दी कर के उदाहरण पेश कर दूँ ? मै जानता हूँ आप नही चाहेंगे । मै फिर कहता हूँ - .( <strong>मेरे लिये आप काफी हैं )</strong></p>
<p>/.( <strong>मेरे लिये आप काफी हैं</strong> ) / आ. समर भाई , <strong>इसके बाद और कुछ रह जाता है क्या</strong>.. ? आपने कहा मैने माना ... बाक़ी बातें मैने उदाहरण के लिये कहीं ... कि मै इन उदाहरनों को नही मानता .. और आप जानते हैं मै क्यों नही मानता । क्या आप ये चाहतेगें कि मै भी गलत काफियाबन्दी कर के उदाहरण पेश कर दूँ ? मै जानता हूँ आप नही चाहेंगे । मै फिर कहता हूँ - .( <strong>मेरे लिये आप काफी हैं )</strong></p> मैं किसी भी शब्द का प्रयोग दू…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8482402017-04-09T12:27:27.627ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मैं किसी भी शब्द का प्रयोग दूसरों को देख कर नहीं करता,जब तक शब्कोष उसे सही न बताये,फिरोज़ुललुग़ात में पहले शब्द 'चटान'है और बाद में 'चट्टान'लिखा है,आप कहेंगे तो उस पेज की तस्वीर यहाँ दे सकता हूँ,उदाहरण में शैर पेश करना कोई बुरी बात तो नहीं,हाँ अगर किसी ने ग़लत शब्द लिया हो तो दूसरी बात है,लेकिन 'चटान'और 'चट्टान'दोनों सो फ़ीसदी सही है ।<br />
जब आप मेरी बात को इतना सम्मान देते हैं तो भरोसा कीजिये,मैंने कोई गलत शब्द न तो इस्तेमाल किया है और न कभी करूँगा ।
मैं किसी भी शब्द का प्रयोग दूसरों को देख कर नहीं करता,जब तक शब्कोष उसे सही न बताये,फिरोज़ुललुग़ात में पहले शब्द 'चटान'है और बाद में 'चट्टान'लिखा है,आप कहेंगे तो उस पेज की तस्वीर यहाँ दे सकता हूँ,उदाहरण में शैर पेश करना कोई बुरी बात तो नहीं,हाँ अगर किसी ने ग़लत शब्द लिया हो तो दूसरी बात है,लेकिन 'चटान'और 'चट्टान'दोनों सो फ़ीसदी सही है ।<br />
जब आप मेरी बात को इतना सम्मान देते हैं तो भरोसा कीजिये,मैंने कोई गलत शब्द न तो इस्तेमाल किया है और न कभी करूँगा । आदरणीय समर भाई , मै व्यक्तिगत…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483512017-04-09T12:07:28.104Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय समर भाई , मै व्यक्तिगत तौर पर तमाम शुअरा के शेर के उदाहरण देने को सही नही मानता , चाहे वो शायर कोई भी हो , जितना पढ़ता जाता हूँ .. यही साबित होता जा रहा है ..कि सभी ने कभी न कभी अपने किसी शेर को बचाने के लिये अल्फाज़ से छेड़खानी की है । हाँ मै किसी को उन गलतियों को दुहराने से रोकता नही ... न ही रोक सकने की मेरी क़ुव्वत है । <strong>मै लुगाद मे लिखे को ही सच मानता हूँ ।</strong></p>
<p>मैने केवल चटान पर शंका ज़ाहिर की थी .. कोई दावा नही किया था ... और वो भी इसलिये कि .. मद्दाह साहिब की…</p>
<p>आदरणीय समर भाई , मै व्यक्तिगत तौर पर तमाम शुअरा के शेर के उदाहरण देने को सही नही मानता , चाहे वो शायर कोई भी हो , जितना पढ़ता जाता हूँ .. यही साबित होता जा रहा है ..कि सभी ने कभी न कभी अपने किसी शेर को बचाने के लिये अल्फाज़ से छेड़खानी की है । हाँ मै किसी को उन गलतियों को दुहराने से रोकता नही ... न ही रोक सकने की मेरी क़ुव्वत है । <strong>मै लुगाद मे लिखे को ही सच मानता हूँ ।</strong></p>
<p>मैने केवल चटान पर शंका ज़ाहिर की थी .. कोई दावा नही किया था ... और वो भी इसलिये कि .. मद्दाह साहिब की लुगाद मे न तो चटान है और न चट्टान ... शायद आपकी फिरोज़ुल लुगाद मे हो । इसलिये मैने चट्टान को हिन्दी शब्द समझा ,और माना । ... और हिन्दी मे मैने हमेशा चट्टान ही लिखा देखा ।</p>
<p>अदब के प्रति आपकी इमानदारी से कौन परिचित नही है ... आप कह रहे हैं तो चटान सही होगा ... किसी शेर के उदाहरण से आपकी बात कमज़ोर ही होगी . मेरी नज़र में .( मेरे लिये आप काफी हैं )</p> जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8481662017-04-09T09:56:06.535ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,'चटान'और 'चट्टान' दोनों ही सही शब्द हैं,ये मैं नहीं,शब्दकोष कहता है,ग़ज़ल पर आपने कुछ नहीं कहा ?
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,'चटान'और 'चट्टान' दोनों ही सही शब्द हैं,ये मैं नहीं,शब्दकोष कहता है,ग़ज़ल पर आपने कुछ नहीं कहा ? जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,आ…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483472017-04-09T09:48:31.673ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,आपने कभी मुझे उर्दू का कोई ग़लत शब्द इस्तेमाल करते नहीं देखा होगा,'चटान'और 'चट्टान'दोनों ही सही शब्द हैं,जिस तरह 'मर्ज़','मरज़','क़द्र','क़दर'वग़ैरह हैं,आपने 'साग़र आज़मी'की ग़ज़ल का मशहूर शैर नहीं सुना :-<br />
'कश्मीर की वादी में बेपर्दा जो निकले हो<br />
क्या आग लगाओगे बर्फ़ीली चटानों में'<br />
सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,आपने कभी मुझे उर्दू का कोई ग़लत शब्द इस्तेमाल करते नहीं देखा होगा,'चटान'और 'चट्टान'दोनों ही सही शब्द हैं,जिस तरह 'मर्ज़','मरज़','क़द्र','क़दर'वग़ैरह हैं,आपने 'साग़र आज़मी'की ग़ज़ल का मशहूर शैर नहीं सुना :-<br />
'कश्मीर की वादी में बेपर्दा जो निकले हो<br />
क्या आग लगाओगे बर्फ़ीली चटानों में'<br />
सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया । जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ग़…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483462017-04-09T09:38:30.428ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल म…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483452017-04-09T09:36:39.378ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब यमित पुनेथा जी आदाब,आपका…tag:openbooks.ning.com,2017-04-09:5170231:Comment:8483442017-04-09T09:33:28.880ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब यमित पुनेथा जी आदाब,आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब यमित पुनेथा जी आदाब,आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।