Comments - हमने सांसें भी गिरवी रख दी हैं (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T09:51:58Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A843116&xn_auth=noआदरनीय जयनित भाई , अच्छी गज़ल…tag:openbooks.ning.com,2017-03-21:5170231:Comment:8439122017-03-21T09:55:30.294Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय जयनित भाई , अच्छी गज़ल कही , बधाइयाँ स्वीकार करें । महज़ की मात्रिकता 12 या 21 .. क्या हो ये सोचने लायक बात है ।</p>
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<p>आदरनीय जयनित भाई , अच्छी गज़ल कही , बधाइयाँ स्वीकार करें । महज़ की मात्रिकता 12 या 21 .. क्या हो ये सोचने लायक बात है ।</p>
<p></p> आदरणीय जयनित जी बडि़या गजल कह…tag:openbooks.ning.com,2017-03-21:5170231:Comment:8438162017-03-21T06:25:41.100ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय जयनित जी बडि़या गजल कही है आपने</p>
<p>नींद भी रात भी तुम्हारी है बहुत खूब बधाई स्वीकार करें</p>
<p>आदरणीय जयनित जी बडि़या गजल कही है आपने</p>
<p>नींद भी रात भी तुम्हारी है बहुत खूब बधाई स्वीकार करें</p> वाह बहुत खूबसूरत गजलtag:openbooks.ning.com,2017-03-19:5170231:Comment:8437782017-03-19T11:25:39.715Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
वाह बहुत खूबसूरत गजल
वाह बहुत खूबसूरत गजल आदरणीय जयनित भाई,बेहतरीन अशआर…tag:openbooks.ning.com,2017-03-18:5170231:Comment:8434782017-03-18T17:43:09.713Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय जयनित भाई,बेहतरीन अशआर हुए हैं तहेदिल मुबारकबाद
आदरणीय जयनित भाई,बेहतरीन अशआर हुए हैं तहेदिल मुबारकबाद आदरणीय जयनित कुमार जी आदाब, ह…tag:openbooks.ning.com,2017-03-17:5170231:Comment:8432172017-03-17T12:26:33.642ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
आदरणीय जयनित कुमार जी आदाब, हर शेर उम्दा । दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए ।
आदरणीय जयनित कुमार जी आदाब, हर शेर उम्दा । दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए ।