Comments - प्रतिशोध - लघुकथा – - Open Books Online2024-03-29T08:13:41Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A842386&xn_auth=noहार्दिक आभार आदरणीय उमा विश्व…tag:openbooks.ning.com,2017-10-03:5170231:Comment:8868222017-10-03T12:27:20.514ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय उमा विश्वकर्मा जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय उमा विश्वकर्मा जी।</p> बधाई हो तेज वीर सिंह जी, हक़ीक…tag:openbooks.ning.com,2017-09-11:5170231:Comment:8801402017-09-11T06:46:20.689ZUma Vishwakarmahttp://openbooks.ning.com/profile/UmaVishwakarma
<p>बधाई हो तेज वीर सिंह जी, हक़ीकत के क़रीब लघुकथा बहुत ही मार्मिक है | किंतु ये विषय ऐसी मानसिकता का है, जो हमारे सभ्य समाज के लिए अभिशाप बनता जा रही है | कुछ दिन का सोर, फिर शांति -------? </p>
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<p>बधाई हो तेज वीर सिंह जी, हक़ीकत के क़रीब लघुकथा बहुत ही मार्मिक है | किंतु ये विषय ऐसी मानसिकता का है, जो हमारे सभ्य समाज के लिए अभिशाप बनता जा रही है | कुछ दिन का सोर, फिर शांति -------? </p>
<p></p> हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर…tag:openbooks.ning.com,2017-03-15:5170231:Comment:8426532017-03-15T09:44:36.022ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।</p> हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।tag:openbooks.ning.com,2017-03-15:5170231:Comment:8426522017-03-15T09:43:56.236ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।</p> जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8424992017-03-14T12:38:26.887ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत अच्छी लगी ये लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करे ।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत अच्छी लगी ये लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करे । आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्का…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8426302017-03-14T11:01:50.550ZNeelam Upadhyayahttp://openbooks.ning.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । मै अदरणीय आरिफ जी के कथन से पूरी तरह सहमत हूँ । हमारे क़ानून इतने सख़्त नहीं हैं जिसका फायदा उठाकर तेज़ाब हमले के अपराधी छूट जाते हैं । इसलिए लड़कियों को खुलकर सामने आने की आवश्यकता है । उन्हें स्वयं आत्म हत्या जैसा क़दम न उठाकर आत्म रक्षा के गुर सीखना चाहिए और अपराधियों को दंड दिलाने के लिए तत्पर होना चाहिए । बहुत अच्छी लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । मै अदरणीय आरिफ जी के कथन से पूरी तरह सहमत हूँ । हमारे क़ानून इतने सख़्त नहीं हैं जिसका फायदा उठाकर तेज़ाब हमले के अपराधी छूट जाते हैं । इसलिए लड़कियों को खुलकर सामने आने की आवश्यकता है । उन्हें स्वयं आत्म हत्या जैसा क़दम न उठाकर आत्म रक्षा के गुर सीखना चाहिए और अपराधियों को दंड दिलाने के लिए तत्पर होना चाहिए । बहुत अच्छी लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p> हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष मि…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8424022017-03-14T06:01:32.246ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी।आपको भी होली की बधाई एवम शुभ कामनायें।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी।आपको भी होली की बधाई एवम शुभ कामनायें।</p> हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आ…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8425882017-03-14T05:52:47.378ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब जी।आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूं।इंसान आत्म हत्या जैसा कदम उसी सूरत में उठाता है जब उसे सारे रास्ते बन्द मिलते हैं।आपको भी होली की बधाई एवम शुभ कामनायें।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब जी।आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूं।इंसान आत्म हत्या जैसा कदम उसी सूरत में उठाता है जब उसे सारे रास्ते बन्द मिलते हैं।आपको भी होली की बधाई एवम शुभ कामनायें।</p> अति सूंदर रचना हार्दिक बधाई स…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8426232017-03-14T05:49:53.761ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
अति सूंदर रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें
अति सूंदर रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,आज…tag:openbooks.ning.com,2017-03-13:5170231:Comment:8423922017-03-13T16:15:49.917ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,आज तक निर्भया कांड के दर्दान्त अपराधियों को हम मौत के घाट नहीं उतार पाएँ, हमारे क़ानून भी इतने सख़्त नहीं हैं, कईं तेज़ाब लड़कियों पर डालने वाले अपराधी भी छूट चुके हैं । आज आवश्यकता है लड़कियों को खुलकर सामने आने की । उन्हें स्वयं आत्म हत्या जैसा क़दम न उठाकर अपराधियों को दंड दिलाना होगा । अच्छी लघुकथा , बधाई और होली पर्व की शुभ-कामनाएँ ।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,आज तक निर्भया कांड के दर्दान्त अपराधियों को हम मौत के घाट नहीं उतार पाएँ, हमारे क़ानून भी इतने सख़्त नहीं हैं, कईं तेज़ाब लड़कियों पर डालने वाले अपराधी भी छूट चुके हैं । आज आवश्यकता है लड़कियों को खुलकर सामने आने की । उन्हें स्वयं आत्म हत्या जैसा क़दम न उठाकर अपराधियों को दंड दिलाना होगा । अच्छी लघुकथा , बधाई और होली पर्व की शुभ-कामनाएँ ।