Comments - गुँथन-उलझन - Open Books Online2024-03-29T06:58:45Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A841336&xn_auth=noरचना की उत्तम सराहना के लिए ह…tag:openbooks.ning.com,2017-04-07:5170231:Comment:8477502017-04-07T04:33:59.957Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p><span>रचना की उत्तम सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी। </span></p>
<p><span>रचना की उत्तम सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी। </span></p> रचना की सराहना के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2017-04-07:5170231:Comment:8479192017-04-07T04:33:05.381Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p><span>रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय भाई गिरिराज जी।</span></p>
<p><span>रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय भाई गिरिराज जी।</span></p> रचना की सराहना से आपने मेरा म…tag:openbooks.ning.com,2017-04-07:5170231:Comment:8478392017-04-07T04:32:00.584Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>रचना की सराहना से आपने मेरा मनोबल बढ़ाया। इसके लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय महेन्द्र जी।</p>
<p>रचना की सराहना से आपने मेरा मनोबल बढ़ाया। इसके लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय महेन्द्र जी।</p> वह तार नियति ने निर्दयता से क…tag:openbooks.ning.com,2017-03-16:5170231:Comment:8429352017-03-16T09:01:11.255ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>वह तार नियति ने निर्दयता से कस दिए इतने<br/>कि तकलीफ़ भरी छाती में है अभी तक<br/>कोई गड्ढा गहरा ...<br/>चारों तरफ़ बेचैनी !<br/>झूठ ? कैसा झूठ ? ... दोष मेरा ही होगा <br/>वाह अंतर्द्वंद की अप्रतिम प्रस्तुति सर .... हमेशा की तरह दिल को छूती इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर. .</p>
<p>वह तार नियति ने निर्दयता से कस दिए इतने<br/>कि तकलीफ़ भरी छाती में है अभी तक<br/>कोई गड्ढा गहरा ...<br/>चारों तरफ़ बेचैनी !<br/>झूठ ? कैसा झूठ ? ... दोष मेरा ही होगा <br/>वाह अंतर्द्वंद की अप्रतिम प्रस्तुति सर .... हमेशा की तरह दिल को छूती इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर. .</p> रचना की सराहना के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8424962017-03-14T09:42:41.677Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p><span><span>रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय</span> मोहम्मद आरिफ़ जी।</span></p>
<p><span><span>रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय</span> मोहम्मद आरिफ़ जी।</span></p> रचना की सराहना के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2017-03-14:5170231:Comment:8427172017-03-14T09:39:27.216Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी।</p>
<p>रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी।</p> रचना पर आपसे इतना मान मिलना म…tag:openbooks.ning.com,2017-03-12:5170231:Comment:8423812017-03-12T09:50:02.379Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>रचना पर आपसे इतना मान मिलना म्रेरे लिए पारितोषक है। आपका हार्दिक आभार, आदरणीय समर भाई।</p>
<p>रचना पर आपसे इतना मान मिलना म्रेरे लिए पारितोषक है। आपका हार्दिक आभार, आदरणीय समर भाई।</p> आदरनीय बड़े भाई विजय जी , सच्च…tag:openbooks.ning.com,2017-03-09:5170231:Comment:8414212017-03-09T06:07:58.779Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय बड़े भाई विजय जी , सच्चा प्यार विवश ही होता है शयद , और इसीलिये कभी इससे इतर सोच ही नही पाता है । आपकी कविता मुझे एक विवश प्रेम की आत्मकथा लगी । बहुत खूब ... हार्दिक बधाइयाँ</p>
<p>आदरनीय बड़े भाई विजय जी , सच्चा प्यार विवश ही होता है शयद , और इसीलिये कभी इससे इतर सोच ही नही पाता है । आपकी कविता मुझे एक विवश प्रेम की आत्मकथा लगी । बहुत खूब ... हार्दिक बधाइयाँ</p> हमेशा की तरह एक और बढ़िया कवित…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8410982017-03-08T16:04:56.028ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
हमेशा की तरह एक और बढ़िया कविता। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय विजय जी। सादर।
हमेशा की तरह एक और बढ़िया कविता। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय विजय जी। सादर। आदरणीय विजय निकोरे जी आदाब, ब…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8413462017-03-08T11:04:36.748ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
आदरणीय विजय निकोरे जी आदाब, बहुत बेबाकी से आच्छादित कविता की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय विजय निकोरे जी आदाब, बहुत बेबाकी से आच्छादित कविता की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें ।