Comments - लौकी (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T13:53:14Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A840696&xn_auth=noविनम्र आभार, आदरणीय महेंद्र क…tag:openbooks.ning.com,2017-03-09:5170231:Comment:8415372017-03-09T17:33:54.815ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>विनम्र आभार, आदरणीय महेंद्र कुमार जी। </p>
<p>विनम्र आभार, आदरणीय महेंद्र कुमार जी। </p> आदरणीय विजय निकोर साहब , आपका…tag:openbooks.ning.com,2017-03-09:5170231:Comment:8416152017-03-09T17:32:48.951ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>आदरणीय विजय निकोर साहब , आपका कथा पर उपस्थित होकर अपने मनोभाव व्यक्त करना मुझे प्रसन्नता दायक है। विनम्र आभार। </p>
<p>आदरणीय विजय निकोर साहब , आपका कथा पर उपस्थित होकर अपने मनोभाव व्यक्त करना मुझे प्रसन्नता दायक है। विनम्र आभार। </p> सुन्दर व्यंग्य ! हार्दिक बधा…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8413772017-03-08T17:35:12.974Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
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<p>सुन्दर व्यंग्य ! हार्दिक बधाई।</p>
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<p>सुन्दर व्यंग्य ! हार्दिक बधाई।</p> बहुत बढ़िया लघुकथा है आदरणीय ट…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8411972017-03-08T15:32:07.087ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
बहुत बढ़िया लघुकथा है आदरणीय टी.आर. सुकुल जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। एक सुझाव है कि //सम्हालो अपना थैला// की जगह "सम्हालो अपनी लौकी" कर लें, यदि ठीक लगे। सादर।
बहुत बढ़िया लघुकथा है आदरणीय टी.आर. सुकुल जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। एक सुझाव है कि //सम्हालो अपना थैला// की जगह "सम्हालो अपनी लौकी" कर लें, यदि ठीक लगे। सादर। कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8413352017-03-08T06:42:41.731ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी । </p>
<p>कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी । </p> कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8411692017-03-08T06:41:15.393ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीया नीता जी। </p>
<p>कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीया नीता जी। </p> विनम्र आभार आदरणीय सुरेन्द्रन…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8410572017-03-08T06:40:01.132ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>विनम्र आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह जी। </p>
<p>विनम्र आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह जी। </p> कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के…tag:openbooks.ning.com,2017-03-08:5170231:Comment:8412372017-03-08T06:39:04.581ZDr T R Sukulhttp://openbooks.ning.com/profile/DrTRSukul
<p>कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी। </p>
<p>कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी। </p> आदरणीय शुकुल जी अपना नाम कमान…tag:openbooks.ning.com,2017-03-07:5170231:Comment:8409942017-03-07T12:55:22.440ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीय शुकुल जी अपना नाम कमाने के लिए किसी के दाम काट लिए व्यंग्य करती हुयी शानदार रचना हार्दिक बधाई सादर
आदरणीय शुकुल जी अपना नाम कमाने के लिए किसी के दाम काट लिए व्यंग्य करती हुयी शानदार रचना हार्दिक बधाई सादर आद0 डॉ टी आर सुकुल जी सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2017-03-07:5170231:Comment:8411112017-03-07T09:55:50.661Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 डॉ टी आर सुकुल जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। बढ़िया व्यंयात्मक लघुकथा लिखी आपने, बधाई।
आद0 डॉ टी आर सुकुल जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। बढ़िया व्यंयात्मक लघुकथा लिखी आपने, बधाई।