Comments - कह्र.... - Open Books Online2024-03-29T11:51:49Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A823148&xn_auth=noआदरणीय राजेश कुमारी जी प्रस्त…tag:openbooks.ning.com,2017-01-18:5170231:Comment:8295492017-01-18T12:30:18.073ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी प्रस्तुति के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का हार्दिक आभार। </p>
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी प्रस्तुति के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का हार्दिक आभार। </p> आद० सुशील सरना जी ,बहुत सुंदर…tag:openbooks.ning.com,2017-01-18:5170231:Comment:8295392017-01-18T06:57:27.382Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० सुशील सरना जी ,बहुत सुंदर कविता.. क्या मुझे तो ये नज्म की तरह लगी बहुत खूबसूरत ..बहुत बहुत बधाई </p>
<p>आद० सुशील सरना जी ,बहुत सुंदर कविता.. क्या मुझे तो ये नज्म की तरह लगी बहुत खूबसूरत ..बहुत बहुत बधाई </p> आ. मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुत…tag:openbooks.ning.com,2016-12-30:5170231:Comment:8233892016-12-30T09:27:39.966ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आ. मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।</p>
<p>आ. मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।</p> आ. Mahendra Kumar जी प्रस्तु…tag:openbooks.ning.com,2016-12-30:5170231:Comment:8235492016-12-30T09:27:33.502ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आ. <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/MahendraKumar965" class="fn url">Mahendra Kumar</a> जी प्रस्तुति के भावों को अपना आत्मीय सम्मान देने का दिल से शुक्रिया।</p>
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<p>आ. <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/MahendraKumar965" class="fn url">Mahendra Kumar</a> जी प्रस्तुति के भावों को अपना आत्मीय सम्मान देने का दिल से शुक्रिया।</p>
<p></p> आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत बढ़…tag:openbooks.ning.com,2016-12-29:5170231:Comment:8234072016-12-29T18:29:21.518Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत बढ़िया प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. सादर </p>
<p>आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत बढ़िया प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. सादर </p> बंद पलकों से
पिघल कर
तकिये को…tag:openbooks.ning.com,2016-12-29:5170231:Comment:8231892016-12-29T14:30:11.555ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
बंद पलकों से<br />
पिघल कर<br />
तकिये को<br />
गीला कर जाएंगे<br />
सहर की पहली शरर पे<br />
रिस्ते ज़ख्मों का<br />
कह्र लिख जाएंगे ...वाह! बहुत ही बढ़िया कविता लिखी है आपने आदरणीय सुशील सरना जी। आपको बहुत-बहुत बधाई। सादर।
बंद पलकों से<br />
पिघल कर<br />
तकिये को<br />
गीला कर जाएंगे<br />
सहर की पहली शरर पे<br />
रिस्ते ज़ख्मों का<br />
कह्र लिख जाएंगे ...वाह! बहुत ही बढ़िया कविता लिखी है आपने आदरणीय सुशील सरना जी। आपको बहुत-बहुत बधाई। सादर। आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कु…tag:openbooks.ning.com,2016-12-29:5170231:Comment:8232882016-12-29T09:42:48.962ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप</a> जी प्रस्त्तुति के भावों को सम्मानित करने का हार्दिक आभार। </p>
<p>आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप</a> जी प्रस्त्तुति के भावों को सम्मानित करने का हार्दिक आभार। </p> आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्त्…tag:openbooks.ning.com,2016-12-29:5170231:Comment:8233492016-12-29T09:40:27.198ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्त्तुति को अपने आत्मीय स्नेह से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्त्तुति को अपने आत्मीय स्नेह से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। </p> आदरणीय डॉ गोपाल जी भाई साहि…tag:openbooks.ning.com,2016-12-29:5170231:Comment:8230722016-12-29T09:39:04.123ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय डॉ गोपाल जी भाई साहिब प्रस्त्तुति को अपने स्नेहाशीष से पल्लवित करने का हार्दिक आभार। </p>
<p>आदरणीय डॉ गोपाल जी भाई साहिब प्रस्त्तुति को अपने स्नेहाशीष से पल्लवित करने का हार्दिक आभार। </p> आदरणीया कल्पना भट्ट जी प्रस्त…tag:openbooks.ning.com,2016-12-29:5170231:Comment:8230702016-12-29T09:36:45.293ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति के भावों को अपना आत्मीय स्नेह देने का हार्दिक आभार। </p>
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति के भावों को अपना आत्मीय स्नेह देने का हार्दिक आभार। </p>