Comments - कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण रामानुज - Open Books Online2024-03-29T07:35:31Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A817686&xn_auth=no कुंडलिया छंद सराहने के लिए ह…tag:openbooks.ning.com,2016-12-06:5170231:Comment:8187162016-12-06T05:25:33.224Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p> कुंडलिया छंद सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA" class="fn url">रामबली गुप्ता</a><span> जी </span></p>
<p> कुंडलिया छंद सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA" class="fn url">रामबली गुप्ता</a><span> जी </span></p> अच्छी कुण्डलिया बन पड़ी है बधा…tag:openbooks.ning.com,2016-12-05:5170231:Comment:8182912016-12-05T13:00:38.207Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
अच्छी कुण्डलिया बन पड़ी है बधाई स्वीकार करें भाई लक्ष्मण रामानुज जी
अच्छी कुण्डलिया बन पड़ी है बधाई स्वीकार करें भाई लक्ष्मण रामानुज जी छंद सराहने के लिए हार्दिक आभा…tag:openbooks.ning.com,2016-12-05:5170231:Comment:8185072016-12-05T07:32:13.802Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>छंद सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री मिथिलेश वामनकर जी </p>
<p>छंद सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री मिथिलेश वामनकर जी </p> आदरणीय लक्ष्मण सर, बहुत बढ़िया…tag:openbooks.ning.com,2016-12-04:5170231:Comment:8181052016-12-04T15:12:08.593Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर, बहुत बढ़िया कुण्डलिया छंद लिखा है आपने. हार्दिक बधाई. सादर </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर, बहुत बढ़िया कुण्डलिया छंद लिखा है आपने. हार्दिक बधाई. सादर </p> जी | कुंडलिया छंद पर उत्साहवर…tag:openbooks.ning.com,2016-12-04:5170231:Comment:8181282016-12-04T07:37:24.408Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>जी | कुंडलिया छंद पर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका श्री गिरिराज भंडारी जी | सादर </p>
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<p>जी | कुंडलिया छंद पर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका श्री गिरिराज भंडारी जी | सादर </p>
<p></p> हार्दिक आभार आपका श्री विजय न…tag:openbooks.ning.com,2016-12-03:5170231:Comment:8179842016-12-03T12:07:38.953Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>हार्दिक आभार आपका श्री विजय निकोरे जी </p>
<p>हार्दिक आभार आपका श्री विजय निकोरे जी </p> आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढिया कु…tag:openbooks.ning.com,2016-12-03:5170231:Comment:8180472016-12-03T04:36:50.646Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढिया कुन्डलिया की रचना की आपने , हार्दिक बधाई आपको ।</p>
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<p>गोरी ही करना सही है -- गौरी अलग अर्थ दे रहा है ।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढिया कुन्डलिया की रचना की आपने , हार्दिक बधाई आपको ।</p>
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<p>गोरी ही करना सही है -- गौरी अलग अर्थ दे रहा है ।</p> बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई, लक…tag:openbooks.ning.com,2016-12-02:5170231:Comment:8178452016-12-02T10:02:51.601Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई, लक्ष्मण जी।</p>
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<p>बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई, लक्ष्मण जी।</p>
<p></p> नमस्ते समर कबीर साहब | कुंडल…tag:openbooks.ning.com,2016-12-02:5170231:Comment:8180252016-12-02T08:08:27.160Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p> नमस्ते समर कबीर साहब | कुंडलिया छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे | सादर </p>
<p> नमस्ते समर कबीर साहब | कुंडलिया छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे | सादर </p> जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला…tag:openbooks.ning.com,2016-12-01:5170231:Comment:8177192016-12-01T11:39:50.419ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी आदाब,अच्छा लगा आपका कुण्डलिया छन्द,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
पहली पंक्ति में दोनों जगह 'गोरें' को "गोरे" कर लें ।
जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी आदाब,अच्छा लगा आपका कुण्डलिया छन्द,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
पहली पंक्ति में दोनों जगह 'गोरें' को "गोरे" कर लें ।