Comments - इश्क छुपता नहीं छुपाने से -बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' - Open Books Online2024-03-29T13:40:59Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A816385&xn_auth=noआदरणीय गिरिराज भंडारी साहेब .…tag:openbooks.ning.com,2016-12-03:5170231:Comment:8178782016-12-03T12:36:25.777ZDR. BAIJNATH SHARMA'MINTU'http://openbooks.ning.com/profile/BAIJNATHSHARMAMINTU
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहेब ......आपका परामर्श सर आँखों पे ...........नमन व शुक्रिया आपका |</p>
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहेब ......आपका परामर्श सर आँखों पे ...........नमन व शुक्रिया आपका |</p> आदरणीया निधि जी .............…tag:openbooks.ning.com,2016-12-03:5170231:Comment:8179882016-12-03T12:33:48.831ZDR. BAIJNATH SHARMA'MINTU'http://openbooks.ning.com/profile/BAIJNATHSHARMAMINTU
<p>आदरणीया निधि जी .............नमन व शुक्रिया </p>
<p>आदरणीया निधि जी .............नमन व शुक्रिया </p> आदरणीय बैज नाथ भाई , गज़ल अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2016-12-02:5170231:Comment:8178292016-12-02T04:54:11.179Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय बैज नाथ भाई , गज़ल अच्छी हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें । दो एक सुधार , अगर अछा लगे तो स्वीकार करें --</p>
<p>कुछ भी मिलता न सच बताने से |</p>
<p>फिर तो हम क्यों कहें ज़माने से| -- <strong>हम कहें भी तो क्या ज़माने से<br/>और -</strong></p>
<p>या ख़ुदा कुछ न पा सका ‘मिंटू’</p>
<p>रायगाँ ज़िन्दगी गँवाने से | --- <strong>क्या मिला जिन्दगी गवाने से </strong></p>
<p>आदरणीय बैज नाथ भाई , गज़ल अच्छी हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें । दो एक सुधार , अगर अछा लगे तो स्वीकार करें --</p>
<p>कुछ भी मिलता न सच बताने से |</p>
<p>फिर तो हम क्यों कहें ज़माने से| -- <strong>हम कहें भी तो क्या ज़माने से<br/>और -</strong></p>
<p>या ख़ुदा कुछ न पा सका ‘मिंटू’</p>
<p>रायगाँ ज़िन्दगी गँवाने से | --- <strong>क्या मिला जिन्दगी गवाने से </strong></p> सुपर्ब ग़ज़ल हुई आदरणीय बैजनाथ…tag:openbooks.ning.com,2016-11-30:5170231:Comment:8170632016-11-30T06:12:32.171ZNidhi Agrawalhttp://openbooks.ning.com/profile/MamtaAgrawalNidhi
<p>सुपर्ब ग़ज़ल हुई आदरणीय बैजनाथ जी .. याद आते हो तुम भुलाने से </p>
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<p>सुपर्ब ग़ज़ल हुई आदरणीय बैजनाथ जी .. याद आते हो तुम भुलाने से </p>
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